रायगढ़। शहर में पेयजल आपूर्ति के लिए अमृत मिशन योजना के तहत काम तो हुआ लेकिन सही मानिटरिंग के अभाव में पूरी राशि खर्च होने के बावजूद आधी आबादी को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। शहर के डेढ दर्जन से अधिक वार्ड जहां योजना से अछूते हैं तो वहीं जिन वार्डों में कनेक्शन बिछाया गया है वहां के लोग भी एक एक बूंद पानी को तरस रहे हैं। लगभग पूरे शहरी इलाके में पाइप लाइन तो बिछा दी गई लेकिन अधिकांश जगह पानी टंकी से कनेक्टिविटी ही नहीं हो पाई। यही वजह है कि 164 करोड़ रूपए खर्च होने के बावजूद अब भी बोर पंप या हैण्डपंप पर लोग निर्भर हैं।
नगर निगम ने वर्ष 2016 में अमृत मिशन योजना की नींव रखी थी। इस योजना के तहत नगर निगम क्षेत्र के कुल 40 वार्डों में पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए शहर में 315 किमी की पाइप लाइन बिछाई जानी थी। शहर में सात पानी की टंकियां, एक इंटकवेल, एक स्टाप डेम के साथ एक वाटर फिल्टर प्लांट भी बनाया जाना था। केंद्र सरकार से योजना के तहत 164 करोड़ रुपए की मंजूरी मिलने के बाद तीन सालों के भीतर काम पूरा करने का लक्ष्य भी शासन ने दिया था । शुरुआती दौर में ही योजना लेटलतीफी का शिकार हो गई। वर्ष 2020 में कोविड की वजह से भी काम पूरा होने में विलंब हुआ। आखिरकार वर्ष 2022 में नगर निगम ने 28 हजार घरों में कनेक्शन देकर योजना को पूरा करने का दावा किया और सीएम के हाथों प्रोजेक्ट का लोकार्पण भी करा दिया था।
वहीं नगर निगम में जुड़े 8 नये वार्डों के लिए अलग से योजना बना कर पाईप लाईन बिछाने का काम शुरू करवाया गया था। जल आपूर्ति के लिए 164 करोड़ खर्च करने के बाद भी शहर की आधी से अधिक आबादी को योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। इसके पिछे मुख्य वजह यह है कि निर्माण एजेंसी के द्वारा कमीशन के लालच में अनाप-शनाप कनेक्शन तो दे दिये गये परंतु पाइप लाइन बिछाने के दौरान वाटर लेवल का ध्यान न रखने की वजह से बड़ी आबादी के घरों तक पानी ही नहीं पहुंच रहा है। वहीं कई मोहल्लों में पाईप लाईन तो बिछा दी गई है लेकिन घरों में कनेक्शन ही नहीं किया गया है। कुछ जगह मुख्य पाईप लाईन की पानी से कनेक्टिविटी ही नहीं की गई है।
निर्माण एजेंसी ने आधे अधूरे काम को पूरा बता दिया और निगम के अधिकारी भी बिना किसी जांच पड़ताल के एजेंसी पर विश्वास कर लिया। इस लापरवाही का खमियाजा अब शहर की जनता को भुगतना पड़ रहा है। अमृत मिशन का काम पूरा होने की बात कहते हुए निगम प्रशासन ने बोर पंप को निकलवाना प्रारंभ कर दिया था लेकिन पानी की किल्लत को देखते हुए पार्षदों की मांग पर बोर पंप वापस लगवाया गया। अब आलम यह है कि अमृत मिशन का पानी तो लोगों तक नहीं पंहुच पा रहा है जिससे बोर पंप व हैण्ड पंप पर लोग निर्भर हैं।
पात्र मुंह ताकते रह गये अपात्रों के यहां लग गया कनेक्शन
अमृत मिशन योजना के दौरान नगर निगम को शहर के 48 हजार घरों तक नल कनेक्शन पहुंचाना था। योजना को जल्द पूरा करने निगम ने कोविड के दौरान लॉकडाउन में कनेक्शन देना शुरु करवा दिया था। तब योजना की मॉनीटरिंग नहीं की गई। इधऱ निर्माण एजेंसी ने कमीशन के लालच में एक सिरे से पाइप लाइन बिछाने के साथ साथ लोगों के घरों में कनेक्शन देना और वाटर मीटर लगाना शुरु कर दिया। आलम ये था कि कई कई घरों में दो से तीन मीटर लगा दिये गए। मीटरों को भी घरों के बाहर लगाया गया। नतीजन आधी आबादी तक ही योजना पहुंच पाई और टारगेट पूरा हो गया। इधर एजेंसी ने पाईप लाईन बिछाने के बाद दो साल तक पानी टंकी की मेन लाइन से इसका कनेक्शन ही नहीं किया। इसके परिणाम स्वरूप घरों के बाहर लगे वाटर मीटर चोरी हो गए। पाइप लाइन टूट फूट गई। अब एक बड़ी आबादी पानी के लिए आज भी जद्दोजहद कर रही है। नगर निगम के सर्वे में ये बात सामने आई है कि तकरीबन छह हजार घरों से वाटर मीटर चोरी हो चुके हैं। नगर निगम के पास दूसरा मीटर लगाने फंड नहीं है, लिहाजा योजना अधर में लटकी हुई है। इधर लोगों का कहना है कि उनसे नगर निगम जबरिया जल कर वसूल रहा है लेकिन योजना के नाम पर एक बूंद पानी नहीं मिल रहा। नगर निगम ने चौबीसों घंटे पानी देने का दावा किया था, लेकिन एक टाईम भी पानी नहीं आ रहा है। ऐसे में वे परेशान हैं।
योजना को पूरा करने शासन से पैसे मांगे
अमृत मिशन योजना में 164 करोड़ रूपए खर्च होने के बावजूद निर्माण एजेंसी की मनमानी और निगम के अधिकारियों की लापरवाही के कारण शहरवासियों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। वहीं बचा हुआ कार्य पूरा करने व पानी टंकी की और आवश्यक्ता को देखते हुए नगर निगम की ओर से राज्य शासन से और राशि देने की मांग की गई है। शहर सरकार ने इसके लिए 15 करोड़ रूपए का प्रस्ताव बना कर स्वीकृति के लिए परिषद की बैठक में रखा गया था। वहीं भाजपा के वरिष्ठ पार्षद सुभाष पाण्डेय के सुझाव पर सभी भाजपा पार्षदों ने दो अतिरिक्त पानी टंकी निर्माण, पाईप लाईन विस्तार व फिल्टर प्लांट को दुरूस्त करने के लिए इस राशि को कम बताया जिसके बाद सर्वसम्म्ति से 30 करोड़ रूपए की राशि शासन से लिये जाने का प्रस्ताव पारित किया गया है।
भाजपा ने लगाया राशि का दुरूपयोग व भ्रष्टाचार का आरोप
अमृत मिशन के अधूरे कार्य को लेकर भाजपा ने निगम प्रशासन पर राशि का दुरूपयोग करने व काम में भ्रष्टाचार होने का आरोप लगाया है। भाजपा के वरिष्ठ पार्षद सुभाष पाण्डेय का कहना है कि शुद्ध पेयजल आपूर्ति के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अमृत मिशन योजना लागू की थी। प्रधानमंत्री की इस महत्वाकांक्षी योजना के काम में काफी लेट लतीफी हुई है। वहीं पूर्व महापौर मधु बाई एवं वर्तमान शहर सरकार की महापौर जानकी काटजू के कार्यकाल में योजना का सही ढंग से क्रियान्वयन नहीं हो पाया। यही वजह है कि निर्माण एजेंसी द्वारा मनमानी काम किया गया । इस योजना में जहां भ्रष्टाचार हुआ है,वहीं सही मॉनिटरिंग के अभाव में राशि का दुरूपयोग भी हुआ है। फिलहाल योजना को पूरा करने परिषद में 15 करोड़ का प्रस्ताव लाया गया था जिसे भाजपा पार्षदों ने बढ़ा कर 30 करोड़ करवाया ताकि भविष्य में राशि के अभाव में काम अधूरा न रहे।
क्या कहती हैं महापौर
शहर के विस्तार के साथ घरों की संख्या बढ़ रही है। ऐसे में छूटे हुए घरों तक योजना का लाभ पहुंचाने के लिए राज्य शासन से राशि की मांग की गई है। राशि मिलते ही शत प्रतिशत घरों तक पानी पंहुचाने का काम किया जायेगा । जल संकट को देखते हुए निगम अलर्ट मोड पर है। शहर में जल संकट की स्थिति उत्पन्न नहीं होगी जहां पानी की कमी महसूस हो रही है वहां बोर पंप व टैंकर के जरिये पानी की आपूर्ति की जा रही है- श्रीमती जानकी काटजू