रायगढ़ :-प्रशासन के आला अधिकारियों के द्वारा रसूख के आगे नतमस्तक होने के किस्से अब सामान्य से हो गए है। शायद इसलिए अब जिले के सर्वेसर्वा भी एक ऐसे मामले में कार्यवाही किये जाने को लेकर पशोपेश में हैं। पर्यावरण संरक्षण से जुड़े इस हाइप्रोफाइल मामले की हकीकत बड़ी दिलचस्प और हैरान करने वाली है। यह पूरा मामला प्रदेश के एक बड़ी कंपनी के डायरेक्टर के नाम पर स्थित एक जमीन पर खड़े सैकड़ों पेड़ों की कटाई से जुड़ा हुआ है। इस पूरे मामले में सरकार के तमाम नियम कानून को धता बताते हुए मनमाने तरीके से काम किया गया। वहीं, अब विवाद की स्थिति उत्पन्न होने के कारण जिले के अधिकारियों के हाथ भी मानों बंधे हुए नज़र आ रहे हैं।
इस पूरे मामले में सबसे पहले संबंधित कंपनी के डायरेक्टर के द्वारा उसकी जमीन पर खड़े पेड़ों की कटाई की अनुमति मांगी जाती है। जिस पर एसडीएम न्यायालय से विधिवत रूप से पेड़ कटाई का आदेश जारी किया जाता है। विकास के नाम पर असली खेल इसके बाद शुरू होता है। स्थानीय राजस्व मामलों के दशकों के इतिहास में संभवतः पहली बार इस मामले में ऐसा हुआ होगा जिसमें आवेदक द्वारा पेड़ों की कटाई के प्रकरण में अपील की गई। जिसके बाद जिले के एक राजस्व न्यायालय ने अपील स्वीकार करते हुए 500 से अधिक पेडों की कटाई के आदेश जारी कर दिये। हैरानी यह भी है कि इस आदेश में संबंधित जमीन पर कोल वाशरी स्थापित होने से स्थानीय लोगों को रोजगार का लाभ मिलने की बात का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है।
उल्लेखनीय है कि इस विवादित आदेश के आधार पर वर्तमान समय में आवेदक डायरेक्टर के द्वारा खुद ही 500 से अधिक पेड़ों की कटाई करा ली गई है। जानकारी के मुताबिक काटे गए पेड़ महीनों से जंगल में पड़े हुए हैं। इस पूरे मामले में जिले के एक राजस्व न्यायालय के इस आदेश पर विवाद की स्थिति तब सामने आई जब वन विभाग के एक आला अधिकारी ने इस आदेश को सरकारी आदेश के विपरीत बताया और आगे की कार्यवाही के लिए जिलाधिकारी से मार्गदर्शन भी मांगा है। इसके साथ ही पर्यावरण संरक्षण और शासन के नियमों की धज्जियां उड़ाने वाली इस हैरतअंगेज कहानी में कई ऐसे तथ्य सामने आये हैं। जो बताते हैं कि कॉरपोरेट घरानों और प्रशासन के चंद नुमाइंदों के बीच का नेक्सस अब और भी विस्तार लेता जा रहा है। बहरहाल इस पूरे मामले में आगामी रिपोर्ट में और भी सनसनीखेज खुलासे होने वाले हैं।