छत्तीसगढ़ कैबिनेट ने कई बड़े फैसले लिए हैं। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में मेयर और अन्य नगर निकायों के अध्यक्षों के पदों के लिए प्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली को बहाल करने का फैसला लिया गया।
छत्तीसगढ़ में अब जनता सीधे महापौर का चुनाव करेगी। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने सोमवार को एक्स पर अपने पोस्ट में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में अब मेयर, नगर पालिका और नगर पंचायत अध्यक्षों का चुनाव प्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली से होगा। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने बताया कि कैबिनेट की बैठक में इससे जुड़े प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। इस बैठक में पर्यटन के मसले पर भी बड़ा फैसला हुआ है। कैबिनेट ने सूबे में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए इसको उद्योग का दर्जा देने से जुड़े प्रस्ताव पर मुहर लगाई है।
पीटीआई के मुताबिक, छत्तीसगढ़ सरकार ने सोमवार को नगर निगमों के महापौर और अन्य नगर निकायों के अध्यक्षों के पदों के लिए प्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली को बहाल करने का फैसला लिया। इस फैसले ने पिछली भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के फैसले को पलट दिया है। तत्कालीन बघेल सरकार के फैसले के अनुसार, जनता पार्षदों को चुनती थी। इसके बाद पार्षद अपने बीच से महापौर और अध्यक्षों का चुनाव करते थे। इस प्रणाली का इस्तेमाल राज्य में 2019 में हुए नगर निकाय चुनावों में किया गया था।
सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक के दौरान पिछली प्रणाली को बहाल करने का निर्णय लिया गया। कैबिनेट में लिए गए निर्णयों की जानकारी देते हुए सीएम विष्णु देव साय ने एक्स पर अपने पोस्ट में कहा- छत्तीसगढ़ की आवाम अब सीधे मेयर का चुनाव करेगी। सूबे में अब मेयर, नगर पालिका और नगर पंचायत अध्यक्षों का चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से होगा। कैबिनेट ने इससे जुड़े प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की है।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने अपने पोस्ट में कहा- 1999 से मेयर, नगर पालिका और नगर पंचायत अध्यक्षों का चुनाव डायरेक्ट होता था लेकिन 2019 में कांग्रेस सरकार ने अप्रत्यक्ष प्रणाली को अपनाया था। अब कैबिनेट ने छत्तीसगढ़ नगर निगम अधिनियम, 1956 (संशोधन) अध्यादेश 2024 और छत्तीसगढ़ नगर पालिका अधिनियम 1961 (संशोधन) अध्यादेश 2024 (प्रत्यक्ष चुनाव और आरक्षण से संबंधित प्रावधान) की विभिन्न धाराओं में संशोधन के संबंध में अध्यादेश 2024 के प्रारूप को मंजूरी दी है।