रायगढ़। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा 8 फरवरी को छत्तीसगढ़ के रायगढ़ पहुंची. यहां उन्होंने कहा कि एक साल पहले हमने कश्मीर से कन्याकुमारी तक यात्रा शुरू. कई लोग इसके खिलाफ उतरे. हमारी पहली यात्रा से नारा निकला था ‘नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान.’ अब दूसरी यात्रा में हमने इसमें न्याय शब्द जोड़ दिया. क्योंकि हमने देखा कि देश में अन्याय हो रहा है. देश में अन्याय का नफरत और हिंसा से लिंक है.
कल मुझसे उड़ीसा में पत्रकार ने पूछा कि आप पिछड़ों को हक की बात करते हैं, क्या इससे नफरत नहीं बढ़ेगी. तब मैंने कहा कि आप बताइए नेशनल मीडिया में कितने दलित, आदिवासी, पिछड़े हैं. मीडिया हाउस के कितने मालिक दलित, आदिवासी, पिछड़े हैं. सरकार ने पिछड़े वर्ग का डाटा सार्वजनिक नहीं किया है. लेकिन बताया जाता है कि पचास से साठ प्रतिशत पिछड़े हैं. 73 प्रतिशत जनता की आवाज न मीडिया, न हॉस्पिटल, न स्कूल, न यूनिवर्सिटी में है फिर हिंदुस्तान कैसे चलेगा. 73 प्रतिशत लोगों को भूखा रखकर, उनका हक मारकर देश कैसे आगे बढ़ेगा.
जातीय गणना को हम नहीं छोड़ेंगे- राहुल
देश में जो 90 ब्यूरोक्रेट में कितने ओबीसी हैं. राहुल गांधी ने कहा कि देश में केवल दो जात अमीर-गरीब नहीं हैं. यहां अलग-अलग जातें हैं. इसलिए सरकार को जातीय जनगणना करनी पड़ेगी. कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे को नहीं छोड़ेगी. ये सामाजिक न्याय की बात है. छत्तीसगढ़ आने से पहले राहुल गांधी ने ओडिशा में कहा कि बेरोजगारी की बीमारी देश भर में फैल रही है और हर प्रदेश इस बीमारी से बुरी तरह पीड़ित है. ओडिशा के आंकड़े देखिए 40% युवा पढ़ाई और कमाई से दूर हैं. 1 लाख से अधिक सरकारी पद खाली हैं और लाखों युवा नौकरी की तलाश में हैं. ओडिशा के 30 लाख से अधिक युवा नौकरी के लिए अन्य राज्यों में भटक रहे हैं और यहां बाहर से आए 30 अरबपति उद्योगपति राज्य के संसाधनों को लूट रहे हैं. हर बड़ा संस्थान बेचा जा रहा है.