रायगढ़, 23 अक्टूबर 2023। रायगढ़ विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा और कांग्रेस ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। भाजपा ने प्रदेश महामंत्री पूर्व आईएस ओपी चौधरी को अपना उम्मीदवार बनाया है वहीं कांग्रेस ने विधायक प्रकाश नायक को अपना प्रत्याशी घोषित किया है। अधिकृत प्रत्याशियों की घोषणा के बाद दोनों ही दलों के प्रत्याशी चुनाव प्रचार-प्रसार में लग गए हैं। लोगों के बीच ओमप्रकाश वर्सेस प्रकाश के बीच कौन जीतेगा की चर्चा हो रही है।
इन सबके बीच जनचर्चा है कि “दोनों ही दलों ने आखिरकार अग्रवाल समाज के नेताओं को क्यों नकार दिया? वर्तमान में रायगढ़ में राजनीति कर रहे अग्र समाज के कई नेता दोनों ही दलों में सक्रिय हैं जिन्हें विधायक का टिकट मिलने की उम्मीद थी लेकिन नहीं मिली। सपने टूटने के बाद अपमान का घूंट पीकर वे लोग मौन धारण किये हुए हैं। लोगों का कहना है कि यह फैसला अग्र समाज के नेताओं के अलावा कोलता समाज के नेताओं को भी रास नहीं आ रहा है लेकिन उनकी मजबूरी है खुलकर आवाज नहीं उठा सकते इसलिए अंदर ही अंदर चक्रव्यूह रच रहे हैं। उनकी चुप्पी तूफान से पहले की खामोशी है।”
इस खामोशी का असर अब देखने को मिल रहा है क्योंकि दोनों ही दलों में बगावत के सुर उपजने शुरू हो गए हैं। एक ओर भाजपा में जहां गोपीका गुप्ता ने बागी तेवर अपनाया हुआ है वहीं कांग्रेस से कोषाध्यक्ष शंकर लाल अग्रवाल के बगावत की खबर सामने आ रही है। दोनों ही नेताओं के बागी सुर की खबर के बाद रायगढ़ की राजनीति में अचानक से उबाल आ गया है। हमने अपने सोर्सेस से पता लगाया तो खबर छनकर सामने आई कि रायगढ़ कांग्रेस के कोषाध्यक्ष शंकर लाल अग्रवाल रायगढ़ विधानसभा से चुनाव लड़ने का मन बना लिया है। अग्र समाज के कुछ नेताओं ने भी शंकर लाल अग्रवाल को चुनाव में साथ देने की बात कहते हुए उनका मनोबल बढ़ाया है। इसके अलावा पूर्वांचल, पुसौर, सरिया, बरमकेला क्षेत्र के उनके सहयोगियों ने भी उन्हें चुनाव समर में उतरने की बात कही है जिसके बाद शंकर लाल अग्रवाल ने चुनाव लड़ना लगभग फाइनल कर दिया है।
सूत्रों का कहना है कि शंकर लाल अग्रवाल ने आज अपने सहयोगी के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक आहूत की थी, जहां चुनाव लड़ने या ना लड़ने पर सभी से रायशुमारी ली गयी। मीटिंग के बाद सहमति बनी कि उनको चुनाव लड़ना चाहिए। बता दें कि दिल्ली आम आदमी पार्टी के नेताओं के संपर्क में हैं। यदि आम आदमी पार्टी और शंकर लाल अग्रवाल के बीच समझौता हो जाता है तो वे जल्द ही आम आदमी पार्टी प्रवेश करेंगे और पार्टी के बैनर तले चुनाव लड़ेंगे। यदि उनका यह समीकरण सही नहीं बैठा तो वे निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ने के लिए बिल्कुल तैयार हैं। यानी यह कंफर्म है कि शंकर लाल अग्रवाल रायगढ़ विधानसभा के तीसरे मोर्चे के रूप में चुनावी मैदान में ताल ठोकेंगे।
जनता को मिलेगा विकल्प
शंकर लाल अग्रवाल यदि चुनाव लड़ते हैं तो कांग्रेस और भाजपा के अलावा जनता को तीसरा विकल्प मिल जाएगा। श्री अग्रवाल के चुनाव लड़ने से 2018 चुनाव की तरह त्रिकोणीय चुनाव फिर से होने की संभावना है लेकिन इस बार कांग्रेस को ज्यादा नुकसान हो सकता है क्योंकि कांग्रेस कोषाध्यक्ष के रूप में शंकर लाल अग्रवाल राजनीति में सक्रिय रहे हैं जो कांग्रेसी मतदाताओं को प्रभावित करते हैं। दूसरी ओर श्री अग्रवाल ने कांग्रेस की योजनाओं को ग्रामीण एरिया में पहुंचाने के लिए दिन-रात मेहनत किया था जिसके कारण लोग उन्हें नाम और चेहरे से दोनों से जानते हैं।
राजनीतिक रूप से सक्षम और सफल उद्योगपति होने के नाते धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक कार्यक्रमों में इनकी सहभागिता से भी आमजन भलीभांति परिचित हैं। बीजेपी और कांग्रेस में वर्षों से स्थापित अग्र समाज के नेताओं में मन ही मन खुशी का माहौल है क्योंकि उन्हें अपने समाज से एक चेहरा मिल सकता है। बहरहाल अब देखना यह है की कितनी जल्दी शंकर लाल अग्रवाल चुनाव लड़ने की घोषणा करते हैं। दूसरी और यदि बात करें गोपिका गुप्ता की तो बीजेपी उन्हें मनाने में लगी हुई है लेकिन शंकर लाल अग्रवाल को कांग्रेस मनाएगी या नहीं ये भविष्य के गर्भ में। हालांकि सोशल मीडिया के पेज शंकर लाल अख़बार समर्थक से उनके समर्थकों ने “रायगढ़ के सम्मान में शंकर भैया मैदान” में लिखकर यह संकेत दे दिया है कि शंकर लाल अग्रवाल चुनाव लड़ेंगे।