RAIGARH BIG EXPOSE : रायगढ़ में हाईटेंशन टावर लाईन के नीचे Sun City आवासीय Colony, ऊपर ‘मौत’ बनकर लटकती बिजली लाइन ! नीचे प्लांट की पाईप लाइन भी गुजरी, डायवर्सन से लेकर टाउन एंड कंट्री प्लानिंग से कैसे मिली अनुमति, विकास अनुज्ञा देने के पूर्व स्थल निरीक्षण में पटवारी ने छिपाई जानकारी.. प्लॉट खरीदने से पहले यह रिपोर्ट ज़रूर पढ़ें

रायगढ़। रायगढ़ में अगर कोई बिल्डर चाहे तो वह कुछ भी कर सकता है। वह चाहे तो नदी को पाटकर कॉलोनी बना दे या तालाब को नक्शे से ही गायब कर दे। राजस्व विभाग के कुछ कर्मचारी ऐसे कामों में माहिर हैं। यही काम कोतरा रोड के आखिरी छोर पर स्थित सन सिटी कॉलोनी में किया गया है। कॉलोनी की भूमि के अंदर हाईटेंशन टावर लाइन गुजरी है। बाजू से जेएसपीएल की पाइपलाइन भी निकली है। रायगढ़ शहर में कॉलोनाइजरों ने गाइडलाइन को हमेशा ठेंगा दिखाया है। किसी ने नहर किनारे सडक़ बना दी तो किसी ने नदी किनारे बाउंड्रीवॉल। कोई सरकारी जमीन को कब्जा करके बैठा है तो कोई तालाब ही गायब करने में जुटा है।

कहीं आधी जमीन का डायवर्सन करके पूरे में प्लॉट काटे जा रहे हैं तो कहीं फेज 2 के नाम पर अवैध प्लॉटिंग हो रही है। डायवर्सन हो या टाउन एंड कंट्री प्लानिंग से अनुमति, सबमें स्थल जांच प्रतिवेदन की जरूरत पड़ती है जिसको बिल्डर अपने हिसाब से बनवाता है। कोतरा रोड क्षेत्र में सन सिटी कॉलोनी का काम भी ऐसा ही है। ग्राम कलमी की खसरा नंबर 179/2, 180, 182/1, 182/2, 182/3 और 182/4 कुल रकबा 3.235 हे. का वाणिज्यिक, सह आवासीय एवं अद्ध सार्वजनिक प्रयोजन के लिए डायवर्सन करवाया गया है। डायवर्सन की शर्तों के हिसाब से पटवारी को रिपोर्ट देनी थी। रेलवे लाइन से लगी हुई भूमि पर कॉलोनी बनाई जा रही है। शर्तों के मुताबिक कॉलोनी की जमीन के दस मीटर त्रिज्या में कोई पाईप लाइन स्थित नहीं है। हकीकत इससे अलग है।

कॉलोनी की बाउंड्रीवॉल से लगकर जेएसपीएल की पाईप लाइन गुजरी है। दीवार गिर जाने की वजह से पाईप लाइन सतह पर आ गई है। यहीं पर बाउंड्रीवॉल का निर्माण भी किया जा रहा है, लेकिन पटवारी ने लिख दिया कि कोई पाईप लाइन नहीं गुजरी है। वहीं केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के विनियम 2010 के अंतर्गत भूमि पर प्रतिबंध नहीं है। कॉलोनी की भूमि के बीचोंबीच हाईटेंशन टावर लाइन गुजरी है। एक विशाल टावर तो कॉलोनी के बीचोंबीच खड़ा है। इसके एक ओर तार के नीचे दो-चार मीटर हटकर कम्युनिटी बिल्डिंग या क्लब हाऊस का निर्माण किया जा रहा है।

कैसे दे दी अनुमति

ग्राम पंचायत क्षेत्र होने के कारण एसडीएम कार्यालय से कॉलोनी विकास अनुज्ञा जारी हुई है। इसके पूर्व भूमि का स्थल जांच प्रतिवेदन मंगवाया गया होगा। पटवारी ने जो रिपोर्ट दी होगी, उसमें टावर लाइन को नहीं दर्शाया गया। इसकी जानकारी छिपाई गई है। 17 अक्टूबर 2014 को सहायक संचालक नगर तथा ग्राम निवेश ने अनुमति दी है। बिना स्थल जांच किए ही रिपोर्ट बना दी गई है। अब उसके नीचे निर्माण हो रहा है।

आज के अंक में

कॉलोनी का रेरा पंजीयन एक्सपायर

रेरा में पंजीयन के बाद कॉलोनी को सर्टिफिकेट जारी किया गया था। रेरा ने 25 मई 2022 को एप्रूवल दिया था। 31 दिसंबर 2022 तक कॉलोनी का विकास कार्य पूरा किया जाना था, लेकिन वर्तमान में इसका सर्टिफिकेट एक्सपायर हो चुका है। पूर्णता तिथि के पूर्व कॉलोनी में विकास कार्य पूर्ण होने के फोटोग्राफ अपलोड करना होता है। साथ ही रेरा को इसकी जानकारी भी देनी होती है। पूर्णता प्रमाण पत्र भी जमा करना होता है। अभी भी कॉलोनी का काम पूरा नहीं हो सका है।

अभी बन रही पानी टंकी

कॉलोनी के अंदर सडकें भी खराब हो रही हैं। पानी टंकी का निर्माण अभी हो रहा है। गार्डन का पता नहीं है। न तो पर्याप्त वृक्षारोपण किया गया है जबकि विकास अनुज्ञा की शर्त में यह भी शामिल होता है। ले-आउट को लेकर बदलाव किए जा रहे हैं, जिसकी जानकारी रेरा को नहीं दी गई है। कई जगह पर सडकें उखाड़ी जा चुकी हैं। अभी तक रेरा पोर्टल पर कई अहम दस्तावेज तक अपलोड नहीं हो सके हैं।

पंजीयन पर उठे सवाल

4 सितंबर 2015 को खसरा नंबर 179/2 रकबा 0.190 हे., खनं 180 रकबा 0.567 हे., खनं 182/1 रकबा 0.547 हे., खनं 182/2 रकबा 0.587 हे., खनं 182/3 रकबा 0.966 हे., खनं 184/4 रकबा 0.925 हे. कुल रकबा 3.235 हे. का डायवर्सन किया गया था। डायवर्सन ऑर्डर में शर्त थी कि भूमि पर विद्युत लाइन हस्तांतरित करने का व्यय आवेदकगण द्वारा वहन किया जाएगा। भविष्य में कोई विधिक प्रावधान उल्लंघन होना पाए जाने पर आदेश शून्य माना जाएगा। कॉलोनी की विकास अनुज्ञा 18 जून 2014 को तत्कालीन एसडीएम ने दिया था।

रेरा एकाउंट भी नहीं

रेरा पोर्टल में हर कॉलोनी प्रमोटर को दस्तावेज अपलोड करने होते हैं। लेकिन सन सिटी के लिए टाउन एंड कंट्री प्लानिंग का एप्रूवल लेटर, स्वीकृत बिल्डिंग प्लान, ले-आउट प्लान, विकास अनुमति आदि अपलोड नहीं की गई। रेरा विनिर्दिष्ट बैंक एकाउंट भी नहीं दिया गया। रेरा के अफसरों ने भी बिना दस्तावेज अपलोड किए नियम विरुद्ध पंजीयन किया है। इतने लंबे समय तक दस्तावेज अपलोड नहीं किए गए। नए सिरे से लेआउट और विकास अनुमति ली जानी थी लेकिन बिल्डर ने ऐसा नहीं किया।

पटवारी ने नहीं किया निरीक्षण

रेरा में अपलोड सीमांकन रिपोर्ट देखें तो कई खामियां सामने आती हैं। तत्कालीन पटवारी और आरआई ने नायब तहसीलदार को जो रिपोर्ट दी है उसमें खनं 179/2 और 180 कुल रकबा 0.757 का ही जिक्र है। उक्त भूमि की चतुर्सीमा नापकर रिपोर्ट दी गई। वहां मौजूद हाईटेंशन लाइन का जिक्र तक नहीं किया गया। इसके नीचे निर्माण होने लगे हैं।