
- बच्चों में निमोनिया की रोकथाम हेतु टीकाकरण और जागरूकता पर दिया जोर
रायगढ़, 12 नवम्बर 2025/ कलेक्टर श्री मयंक चतुर्वेदी के निर्देषन एवं मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अनिल कुमार जगत के मागदर्शन में विश्व निमोनिया दिवस का जिला स्तरीय शुभारंभ शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र रामभांठा में महिला आरोग्य समिति की सदस्य श्रीमती गीता सारथी द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया। इस अवसर पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा जागरूकता अभियान के माध्यम से 0 से 5 वर्ष के अभिभावकों को निमोनिया के कारण, लक्षण एवं उसके बचाव के संबंध में जानकारी दी गई। जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ.भानू प्रताप पटेल ने बताया कि पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों में निमोनिया मृत्यु का एक प्रमुख कारण है, जबकि यह पूर्णतः रोके जाने योग्य रोग है। बच्चों में खांसी, तेज बुखार, सांस लेने में कठिनाई, पसलियों का अंदर धँसना जैसे लक्षण निमोनिया के संकेत हैं। ऐसे लक्षण दिखाई देने पर तुरंत स्वास्थ्य संस्थान में जांच व उपचार कराना आवश्यक है।
कार्यक्रम के अंतर्गत पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों की विशेष जांच शिविर आयोजित किए जा रहे हैं, जिसमें आवश्यकता अनुसार दवाइयाँ निःशुल्क उपलब्ध कराई जा रही हैं। निमोनिया से बचाव हेतु टीकाकरण सबसे प्रभावी उपाय है। ’पीसीवी (Pneumococcal Conjugate Vaccine) की तीन खुराकें 6 सप्ताह, 14 सप्ताह और 9 माह की उम्र पर- शासकीय स्वास्थ्य संस्थानों में निःशुल्क उपलब्ध हैं। सांस अभियान के अंतर्गत स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, आशा, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं एवं सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों को निमोनिया की पहचान एवं बचाव संबंधी जानकारी दी जा रही है।
जिला कार्यक्रम प्रबंधक सुश्री रंजना पैंकरा, नोडल अधिकारी डॉ केनन डेनियल, डॉ. सुमित कुमार शैलेन्द्र मंडल, डॉ. सोनाली मेश्राम की टीम के द्वारा संपूर्ण कार्यक्रम के प्रबंधन में स्वास्थ्य विभाग द्वारा जन-जागरूकता बढ़ाने के लिए विशेष रूप से ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में अभियान चलाया जा रहा है सांस अभियान के जरिये स्वास्थ्य विभाग का लक्ष्य न केवल बीमारी पर नियंत्रण बल्कि अभिभवकों को जागरूक कर हर बच्चे को स्वस्थ बचपन की ओर अग्रसर करना है ताकि हर माता-पिता अपने बच्चे के स्वास्थ्य के प्रति सजग रहें और निमोनिया से एक भी मृत्यु न हो।
निमोनिया के कारण एवं लक्षण
निमोनिया फेफड़ों में संक्रमण के कारण होता है। इसके प्रमुख लक्षण हैं – खांसी-जुकाम, तेज बुखार, सांस फूलना, पसलियों का धँसना, बच्चे का खाना या दूध न पीना, सुस्ती या अत्यधिक नींद आना आदि। ऐसे लक्षण दिखने पर तुरंत चिकित्सीय जांच आवश्यक है।
बचाव के उपाय
निमोनिया से बचाव के लिए घर में स्वच्छ व हवादार वातावरण रखें। रसोई व कमरों में धुआँ न हो, बच्चों को ठंड से बचाएँ, समय पर टीकाकरण कराएँ, स्तनपान करवाएँ तथा पौष्टिक आहार दें। बच्चे के जन्म के पहले घंटे में स्तनपान प्रारंभ कराना अत्यंत लाभदायक है।

