रायगढ़ जिला कांग्रेस का ग्रामीण अध्यक्ष कौन बनेगा? नगेंद्र, नैना या आकाश, किसके सिर सजेगा ताज! लांबा की ‘वन-टू-वन’ रिपोर्ट से बढ़ी सियासी हलचल..

रायगढ़। राज्य में सत्ता गंवाने के बाद, कांग्रेस संगठन की प्राथमिक चुनौती ज़मीनी स्तर पर खुद को मज़बूत करना बन गई है, और इसी कड़ी में ज़िला अध्यक्षों का चयन प्रदेश की भावी विपक्षी रणनीति का निर्णायक केंद्र बन चुका है। सियासी गलियारों में यह चर्चा ज़ोर पकड़ चुकी है कि नेतृत्व का चयन इस बार केवल वरिष्ठता पर नहीं, बल्कि संघर्ष की क्षमता, जमीनी पकड़ और सक्रिय कार्यकर्ताओं की पसंद पर होगा, युवाओं को प्राथमिकता दी जाएगी, जिसने अनुभवी और युवा नेताओं के बीच सीधी और कड़ी प्रतिस्पर्धा पैदा कर दी है। प्रदेश के सभी जिलों में नए अध्यक्षों का चयन होना है। नेतृत्व चयन की इस कड़ी में, एआईसीसी के पर्यवेक्षक सीताराम लांबा रायगढ़ में डटे हुए हैं। वह नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ गहन ‘वन-टू-वन’ रायशुमारी कर रहे हैं, और ब्लॉक स्तर पर जाकर सीधे ज़मीनी फीडबैक ले रहे हैं, ताकि गुटबाजी से परे एक मजबूत ग्रामीण अध्यक्ष चुना जा सके। विश्लेषकों का मानना है कि पर्यवेक्षक का यह मंथन साफ संकेत देता है कि इस बार कार्यकर्ता ही ‘किंग मेकर’ हैं। कांग्रेस सूत्रों के अनुसार, लांबा इस रायशुमारी के बाद चुनिंदा नामों की सशक्त रिपोर्ट हाईकमान को प्रेषित करेंगे, जिसके आधार पर अध्यक्ष पद की ताजपोशी होगी।

नगेन्द्र नेगी

ज़िला ग्रामीण अध्यक्ष पद के लिए फ़िलहाल चार प्रमुख नामों के बीच कांटे की टक्कर है, जिन्हें लेकर राजनीतिक गलियारों में गरमाहट बनी हुई है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि वरिष्ठ नेता नगेंद्र नेगी अनुभवी खेमे से मजबूत चुनौती पेश कर रहे हैं। नेगी की सबसे बड़ी ताकत संगठनात्मक स्थिरता और सहज समन्वय क्षमता है। नेगी छत्तीसगढ़ शासन के कृषक कल्याण परिषद के सदस्य रह चुके हैं, रायगढ़ शहर के पूर्व जिला अध्यक्ष भी रहे हैं, और वर्तमान में ग्रामीण अध्यक्ष का दायित्व निभा रहे हैं। इन वर्षों के अनुभव और गहन संगठनात्मक साख के दम पर नेगी हाईकमान के लिए भरोसेमंद और सुरक्षित विकल्प माने जाते हैं। अनुभवी नेता होने के कारण इनकी छवि जमीनी कार्यकर्ताओं के बीच इन्हें लोकप्रिय बनाती है। लेकिन इस बार इनकी राह आसान नहीं है क्योंकि कई युवा इन्हें टक्कर देते नजर आ रहे हैं।

आकाश मिश्रा

राजनीतिक गलियारों में इस समय नगेंद्र नेगी को सीधी टक्कर देने वाले नेता के रूप में आकाश मिश्रा की दावेदारी सबसे अधिक सुर्खियों में है। खरसिया विधानसभा के पुसौर ब्लॉक से आने वाले मिश्रा को संघर्षशील, जमीन से जुड़े और प्रभावी युवा नेता के रूप में देखा जाता है। कम उम्र के बावजूद उनके पास दो दशक से अधिक का सक्रिय राजनीतिक अनुभव है। वे जिपं सदस्य रह चुके हैं। सरपंच पद पर उन्होंने पहले कार्यकाल में अपनी माताजी को विजय दिलाई और दूसरे कार्यकाल में स्वयं निर्वाचित हुए। हाल ही में जिपं चुनाव में उन्होंने बीजेपी के मंत्री समर्थित प्रत्याशी को कड़ी चुनौती दी, जिससे उनकी संघर्षशील और मुखर छवि और मजबूत हुई। जनचर्चा है कि कार्यकर्ताओं के बीच उनकी लोकप्रियता का सबसे बड़ा कारण क्षेत्र में उनका मजबूत जनाधार और विपक्ष में रहते हुए भी सत्ता के खिलाफ़ निर्भीक आवाज़ उठाने की क्षमता है। संगठन में लंबे समय से सक्रिय आकाश मिश्रा विभिन्न जिम्मेदारियों का सफल निर्वहन कर चुके हैं, मिश्रा के पास अच्छी खासी युवाओं की फौज है जिसके चलते संगठन संचालन का अनुभव भी उन्हें इस दौड़ में अन्य दावेदारों से अलग पहचान दिलाता है।

नैना गबेल

खरसिया विधानसभा की कांग्रेस नेत्री नैना  गबेल इस दौड़ में सबसे चर्चित दावेदारों में शामिल हैं। उनकी दावेदारी महिला सशक्तिकरण और राजनीतिक मजबूती पर टिकी है। वह जिले की एकमात्र ऐसी महिला नेत्री हैं, जो हर राजनीतिक और जनहित के मुद्दे पर विपक्ष में मुखर भूमिका निभाती हैं। रायगढ़ जिले के सभी विधानसभा क्षेत्रों में महिलाओं में उनकी लोकप्रियता उल्लेखनीय है, और प्रदेश स्तर पर भी उन्होंने अपनी पहचान स्थापित की है। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यदि नैना गबेल को अध्यक्ष पद सौंपा गया, तो यह न केवल महिला मतदाताओं को सक्रिय रूप से जोड़ने का अवसर होगा, बल्कि कांग्रेस संगठन में एक मजबूत और मुखर नेतृत्व की नींव रखने का भी संदेश देगा। लंबे समय तक पुरुष नेताओं को प्राथमिकता देने वाले जिले में उनकी अध्यक्षता महिलाओं के सम्मान और नारी शक्ति की ताकत को सामने लाएगी। यदि जमीनी कार्यकर्ताओं की पसंद उनके पक्ष में रही, तो रायगढ़ जिला कांग्रेस ग्रामीण का नेतृत्व पहली बार महिला हाथों में आ सकता है।

अन्य प्रमुख दावेदारों की बात करें तो विकास शर्मा अपनी संगठनात्मक मज़बूती के चलते दौड़ में बने हुए हैं। यदि धरमजयगढ़ और लैलूंगा के कार्यकर्ताओं की पसंद उन पर केंद्रित होती है, तो क्षेत्रीय संतुलन के आधार पर वह एक मजबूत दावेदार बनकर उभर सकते हैं। हालांकि, उनकी दावेदारी खरसिया के नगेंद्र नेगी, आकाश मिश्रा और नैना गबेल के सामने थोड़ी कम आंकी जा रही है। प्रमुख दावेदारों की कड़ी टक्कर के बीच, संतोष बोहिदार भी अपनी मजबूत दावेदारी पेश कर रहे हैं। उन्हें उनकी बेबाक राजनीति और निडर, मुखर छवि के लिए जाना जाता है, जो उन्हें संघर्षशील विपक्ष के लिए एक महत्वपूर्ण चेहरा बनाती है। इनके अलावा, बिहारी पटेल, सुरेंद्र सिदार, शिव शर्मा, लल्लू सिंह, मुकुंद मुरारी पटनायक और कामता पटेल ने भी दावेदारी पेश की है।

50 साल से कम उम्र के युवाओं को मिलेगा प्रतिनिधित्व – दीपक बैज

पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज

छत्तीसगढ़ कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा है कि प्रदेश में जिलाध्यक्षों की नियुक्ति में 50 साल से कम उम्र के युवाओं को प्राथमिकता दी जाएगी और संगठन सृजन में 50 प्रतिशत युवाओं का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित होगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि नियुक्ति प्रक्रिया पारदर्शी होगी, इसमें न गुटबाजी चलेगी और न किसी नेता की व्यक्तिगत पसंद, बल्कि केवल कांग्रेस की विचारधारा और समर्पित कार्यकर्ताओं को मौका मिलेगा। जातिगत और सामाजिक समीकरण का भी ध्यान रखा जाएगा ताकि सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व हो।

बहरहाल दीपक बैज के बयान के बाद रायगढ़ के राजनीतिक गलियारों में अंतिम चर्चा इसी बात पर केंद्रित है कि लांबा की रिपोर्ट में कार्यकर्ताओं ने स्पष्ट तौर पर एक ऐसे नेता की मांग की होगी जो युवा हो, उनकी पसंद का हो और सत्ता के खिलाफ मुखर होकर आवाज़ उठाए। कांग्रेस सूत्रों का स्पष्ट मत है कि यदि ज़िले में भाजपा को प्रभावी टक्कर देनी है, तो उच्च नेतृत्व को ज़मीनी स्तर के कार्यकर्ताओं की पसंद को ही तरजीह देनी होगी। संगठन द्वारा थोपा गया कोई भी निर्णय कार्यकर्ताओं में नाराज़गी पैदा कर सकता है। अब सभी की निगाहें नवंबर की घोषणा पर टिकी हैं जो रायगढ़ ज़िले में कांग्रेस की अगले पाँच सालों की विपक्षी रणनीति का खाका तय करेगी। क्या उच्च नेतृत्व अनुभव को तरजीह देगा, या फिर संघर्षशील छवि वाले युवा नेता या कद्दावर महिला नेतृत्व को आगे लाएगा? यह देखना दिलचस्प होगा।