लोढ़ाझर सब स्टेशन की बिजली कटौती से ग्रामीण परेशान, बारिश में बढ़ी मुश्किलें

खरसिया। खरसिया क्षेत्र के लोढ़ाझर सब स्टेशन के अंतर्गत आने वाले बड़े जामपाली और आसपास के गांवों में बार-बार बिजली गुल होने से ग्रामीणों का जीना मुहाल हो गया है। हल्की हवा और बारिश के मौसम में बिजली कटौती की समस्या ने लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। पिछले दो दिनों से रात के समय बिजली आधे-अधूरे समय के लिए ही उपलब्ध हो रही है, जबकि दिन में भी कई बार बिजली कट रही है। ग्रामीणों का कहना है कि बारिश के मौसम में जब बिजली की सबसे ज्यादा जरूरत होती है, तब यह समस्या और गंभीर हो जाती है।

ग्रामीणों ने बताया कि रात के अंधेरे में सांप, बिच्छू और अन्य जहरीले जीवों का खतरा बढ़ जाता है, खासकर उन परिवारों में जहां छोटे बच्चे हैं। माता-पिता को बच्चों की सुरक्षा की चिंता सताने लगती है। एक ग्रामीण ने गुस्से में कहा, “बिजली बिल अगर एक दिन भी लेट हो तो उसका जुर्माना बढ़ जाता है, लेकिन जब हमें बिजली की जरूरत होती है, तब बिजली गायब रहती है। यह कैसा न्याय है?”

ग्रामीणों का आरोप है कि बिजली विभाग की लापरवाही के कारण यह स्थिति बनी हुई है। दिन के समय पेड़ों की टहनियों को हटाने, टूटे तारों को ठीक करने या कमजोर इंसुलेटर को बदलने जैसे जरूरी काम नहीं किए जा रहे। एक स्थानीय निवासी ने कहा, “जब तक बिजली चल रही होती है, तब तक विभाग को कोई फिक्र नहीं। लेकिन हमारी परेशानी कोई नहीं देखता।”

किसानों के लिए भी यह बिजली कटौती किसी बड़े संकट से कम नहीं। खेती-बाड़ी के लिए बिजली की जरूरत पड़ती है, लेकिन बार-बार बिजली गुल होने से बोरवेल जलने और पानी की कमी की समस्या सामने आ रही है। किसानों का कहना है कि उनकी आजीविका पर इसका बुरा असर पड़ रहा है। साथ ही, पीने के पानी की किल्लत भी बढ़ रही है, जिससे ग्रामीणों का गुस्सा और भड़क रहा है।

गांव वालों ने चेतावनी दी है कि अगर अगले तीन-चार दिनों तक यही स्थिति रही तो वे लोढ़ाझर सब स्टेशन पर इकट्ठा होकर बिजली विभाग के कर्मचारियों और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे। ग्रामीणों की मांग है कि बिजली व्यवस्था को सुचारु किया जाए और बारिश के मौसम में ऐसी लापरवाही न बरती जाए।

स्थानीय लोगों ने जिम्मेदार अधिकारियों से तत्काल इस समस्या का समाधान करने की अपील की है, ताकि उनकी रोजमर्रा की जिंदगी और खेती-बाड़ी का काम सुचारु रूप से चल सके। बिजली विभाग की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि अब उनकी सब्र की सीमा खत्म हो रही है।