
रायगढ़। कभी-कभी पुलिस की कार्रवाई से ज्यादा दुख, उस चुप्पी से होता है जो किसी निर्दोष के फंसाए जाने पर समाज पर छा जाती है। शहर में अब यही चुप्पी है, और सवाल भी।जूट मिल गेट के सामने हुए एक झगड़े में पुलिस ने जिस युवक के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है, वह शहर के जाने-पहचाने पत्रकार मनीष सिंह के बड़े भाई बंटी सिंह हैं लेकिन सच कहा जाए तो, एफआईआर से पहले जो देखा गया, वो कहीं ज़्यादा बोलता है। वीडियो फुटेज मौजूद है। और वीडियो झूठ नहीं बोलता। उसमें साफ दिखता है कि बंटी सिंह न लड़ रहे हैं, न किसी को मार रहे हैं। वो बस मोबाइल हाथ में लिए, “छोड़ो-छोड़ो” कहकर लड़ाई रुकवाने की कोशिश कर रहे हैं। वो तमाशबीन भी नहीं बने, उन्होंने दखल दी ताकि कोई बड़ी अनहोनी न हो जाए। लेकिन अब वही शख्स आरोपी बना दिया गया है। क्यों?
इस बार पुलिस ने गलत किया है… और इसे मानना पड़ेगा!
रायगढ़ पुलिस हमेशा से सख़्त रही है, पर इस बार जो किया है, वो सिर्फ सख़्ती नहीं, नाइंसाफ़ी है। यह कोई नई बात नहीं कि किसी घटना में “कौन-कहां-कैसे शामिल था” इसका तुरंत पता नहीं चलता। लेकिन जब वीडियो सबूत सामने है, चश्मदीद भी कह रहे हैं कि बंटी सिंह लड़ाई रोक रहे थे, तो फिर किस दबाव में पुलिस ने यह कार्रवाई की?
एक पत्रकार का परिवार निशाने पर क्यों?
बंटी सिंह सिर्फ मनीष सिंह के बड़े भाई नहीं, बल्कि समाज के उन लोगों में से हैं जो हर बवाल में बीच-बचाव करने खड़े हो जाते हैं। वो लड़ाई नहीं चाहते, सुलह चाहते हैं। परिवार का आरोप है कि यह पूरा मामला सिर्फ इसलिए तूल पकड़ गया क्योंकि वे एक पत्रकार से जुड़े हैं। और यह रायगढ़ की जनता भी समझ रही है। कई बार सिस्टम उन लोगों को ही कुचलने लगता है जो आवाज़ उठाते हैं। यह तो सब जानते हैं कि कुछ मामलों में पुलिस पर दबाव रहता है। लेकिन यह भी तो सच है कि कानून सच देखने का नाम है, डर में आंखें बंद करने का नहीं।
क्या अब लड़ाई छुड़ाने वालों को भी केस झेलना होगा?
बड़ा सवाल ये है कि अगर आज बंटी सिंह के खिलाफ पुलिस ने कार्यवाही कर दी है अब शायद ही कल कोई भी किसी झगड़े में हस्तक्षेप नहीं करेगा। सब तमाशबीन बनेंगे, वीडियो बनाएंगे, पर कोई “छोड़ो-छोड़ो” नहीं कहेगा। इसका दोष किस पर जाएगा? समाज पर? सरकार पर? या पुलिस पर? आज एक गलत एफआईआर सिर्फ बंटी सिंह को नहीं डरा रही, वो पूरे शहर को ये संदेश दे रही है कि सच बोलना और सही करना भी गुनाह बन सकता है।
बंटी सिंह को इंसाफ मिलना चाहिए… और पुलिस को सच्चाई देखनी चाहिए
वीडियो देखकर भी अगर आंखें बंद हैं, तो यह केवल कानून की कमजोरी नहीं, हमारी इंसानियत की हार है। पुलिस को चाहिए कि वह मामले की निष्पक्ष जांच करे, और एफआईआर वापस लेकर बंटी सिंह का नाम साफ करे वरना रायगढ़ के लोग एक ही बात दोहराते रहेंगे –
“जिसने लड़ाई रोकी, उसी को दोषी बना दिया गया… यह कौन सा इंसाफ है?”
वीडियो अपने पाठकों के लिए हमने अपलोड किया है ताकि आप देखिए और समझिए कि क्या काले रंग की टीशर्ट पहने बंटी सिंह किसी से मारपीट कर रहे हैं या बीच बचाव कर रहे हैं?

