मानवता की मिसाल बने महेश पोद्दार – एक जान नहीं, दो ज़िंदगियाँ बचाईं

  • गर्भवती महिला को समय रहते पहुंचाया अस्पताल, अब दोनों सुरक्षित

रायपुर। कभी-कभी एक इंसान की छोटी सी तत्परता दो ज़िंदगियों के लिए वरदान बन जाती है। ऐसी ही एक प्रेरणादायी कहानी सामने आई है हेल्पिंग हैंड्स क्लब फाउंडेशन के सक्रिय सदस्य महेश पोद्दार की, जिन्होंने ना सिर्फ मानवीय संवेदनाओं का परिचय दिया, बल्कि जीवन के सबसे अनमोल क्षणों में एक अनजान परिवार के लिए फरिश्ता बनकर सामने आए।

रायपुर निवासी महेश पोद्दार किसी आम दिन की तरह अपने कार्य से लौट रहे थे। तभी उन्होंने सड़क किनारे एक दर्दनाक दृश्य देखा—एक गर्भवती महिला, जिसे तेज़ रफ्तार से आ रही एक कार ने टक्कर मार दी थी, ज़मीन पर गिरी हुई थी और आसपास अफरा-तफरी मची थी।

इस कठिन घड़ी में अधिकांश लोग तमाशबीन बने रह जाते हैं, लेकिन महेश जी रुके नहीं। उन्होंने तुरंत अपनी गाड़ी रोकी, महिला को उठाया, पानी पिलाया और बिना देर किए पास में एक ऑटो को रोका और महिला को एम्स अस्पताल पहुंचाया। रास्ते में उन्होंने किसी तरह महिला के परिजनों को भी खबर दी, जो कुछ ही देर में अस्पताल पहुंच गए।

डॉक्टरों ने बताया कि यदि थोड़ी भी देर हो जाती तो मां और गर्भस्थ शिशु की जान पर बन आती। समय पर पहुंचाए गए इलाज से अब दोनों पूरी तरह सुरक्षित हैं। परिजन भावुक होकर बार-बार महेश जी का धन्यवाद कर रहे हैं।

महेश जी ने इस क्षण को अपने जीवन का सबसे सुकूनभरा अनुभव बताया और कहा, “हम सभी का फर्ज है कि जरूरतमंद की मदद करें, चाहे वो जान-पहचान का हो या न हो। यही असली इंसानियत है।”

हेल्पिंग हैंड्स क्लब फाउंडेशन ने भी महेश पोद्दार के इस कार्य की सराहना करते हुए सभी नागरिकों से अपील की है कि इस प्रकार की संवेदनशीलता और तत्परता हम सबको अपने भीतर विकसित करनी चाहिए।

इसी बीच, छत्तीसगढ़ ट्रैफिक पुलिस के ए.आई.जी. श्री संजय शर्मा ने महेश पोद्दार को इस साहसिक और मानवीय कार्य के लिए गुड सेमिरिटन अवॉर्ड से सम्मानित करने की घोषणा की है।

हेल्पिंग हैंड्स क्लब फाउंडेशन 24×7 लोगों की सेवा के लिए समर्पित है और इस घटना ने यह साबित कर दिया कि जब इरादे नेक हों, तो एक अकेला इंसान भी बहुत कुछ बदल सकता है।