भूपेश बघेल के घर क्यों सुबह-सुबह पहुंची CBI टीम, किस मामले में छापेमारी; जानें पूरी बात

सीबीआई ने छत्तीसगढ़ के विभिन्न पुलिस थानों और आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) से 77 एफआईआर को एकीकृत करके एक रेगुलर केस (या प्रथम सूचना रिपोर्ट) दर्ज की थी। छत्तीसगढ़ पुलिस ने 4 मार्च, 2024 को दर्ज की गई एफआईआर में बघेल को आरोपी बनाया था।

Sneha Baluni रायपुर। हिन्दुस्तान टाइम्सWed, 26 March 2025 10:50 AM
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भूपेश बघेल के घर क्यों सुबह-सुबह पहुंची CBI टीम, किस मामले में छापेमारी; जानें पूरी बात

महादेव ऑनलाइन सट्टेबाजी ऐप घोटाले में भ्रष्टाचार का मामला दर्ज करने के दो महीने बाद, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने बुधवार सुबह छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के आवास सहित कई स्थानों पर छापेमारी की। केंद्रीय एजेंसी 6,000 करोड़ रुपये के सट्टेबाजी घोटाले के मामले में एक बड़ी साजिश की जांच कर रही है। हिन्दुस्तान टाइम्स ने 21 जनवरी को सबसे पहले बताया था कि सीबीआई ने छत्तीसगढ़ सरकार के अनुरोध पर मामला दर्ज किया है और बघेल इस जांच के दायरे में हैं।

सीबीआई ने छत्तीसगढ़ के विभिन्न पुलिस थानों और आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) से 77 एफआईआर को एकीकृत करके एक रेगुलर केस (या प्रथम सूचना रिपोर्ट) दर्ज की थी। छत्तीसगढ़ पुलिस ने 4 मार्च, 2024 को दर्ज की गई एफआईआर में बघेल को आरोपी बनाया था। इसके अलावा महादेव ऐप के भगोड़े संस्थापक सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल को भी आरोपी बनाया गया था, जिनके प्रत्यर्पण के लिए संयुक्त अरब अमीरात में प्रयास किए जा रहे हैं।

इस एफआईआर को भी सीबीआई ने अपने कब्जे में ले लिया है। बघेल ने इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा की गई महादेव जांच में अपना बचाव करते हुए कहा था कि उनका नाम राज्य की सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार द्वारा “जबरन” जोड़ा गया था। अगस्त 2024 और जनवरी 2025 के बीच, सीबीआई एफआईआर, राज्य पुलिस द्वारा दायर आरोपपत्र और अदालती दस्तावेजों सहित भारी मात्रा में दस्तावेजों को एकत्रित करने में व्यस्त थी, जिसके बाद जनवरी में मामला दर्ज किया गया।

जुलाई 2024 में दायर चार्जशीट में छत्तीसगढ़ पुलिस के ईओडब्ल्यू ने कहा कि महादेव सर्विस अब भी चालू है और इसके प्रमोटर्स ने ऑनलाइन सट्टेबाजी से संबंधित अपनी आपराधिक गतिविधियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई को रोकने के लिए विभिन्न पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ-साथ प्रभावशाली राजनीतिक हस्तियों से संरक्षण प्राप्त किया था। मामले में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच कर रही ईडी ने आरोप लगाया कि चंद्राकर और उप्पल ने पूर्व सीएम बघेल को 508 करोड़ रुपये की रिश्वत दी थी।