चार दिनों तक चलने वाला सूर्य उपासना का महापर्व, व्रति आज देंगी डूबते सूर्य को अर्घ्य

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में छठ पूजा का आयोजन इस बार बड़े धूमधाम से हो रहा है। यह पर्व सूर्य देवता और उनकी बहन छठी मैया की पूजा के रूप में मनाया जाता है। विशेष रूप से यह पर्व बिहार, झारखंड, पूर्वांचल, पश्चिम बंगाल और नेपाल के तराई क्षेत्रों में लोकप्रिय है। रायपुर में छठ पूजा महादेव घाट स्थित खारून नदी तट और 60 तालाबों पर बड़े श्रद्धा भाव से मनाई जा रही है। पूजा का महापर्व चार दिनों तक चलता है, जिसमें व्रती सूर्य देवता की पूजा और व्रत का पालन करते हैं। इस बार पूजा की शुरुआत पांच नवंबर को नहाय-खाय से हुई थी। इस दिन व्रती महिलाएं शुद्ध आहार ग्रहण करती हैं और अपने व्रत को आरंभ करती हैं। इसके बाद, छठ महापर्व का दूसरा दिन छह नवंबर को खरना होता है। इस दिन व्रती उपवास रखते हैं और प्रसाद के रूप में गुड़, चिउड़े, और कद्दू का भोग बनाते हैं।

डूबते सूर्य और उगते सूर्य को देते है अर्घ्य

सात नवंबर को व्रति डूबते सूर्य को अर्घ्य देंगे। अर्घ्य देने के लिए व्रती नदी या तालाब के किनारे खड़े होकर सूर्य देवता को जल चढ़ाते हैं। इस दिन का महत्व बहुत अधिक होता है, क्योंकि सूर्य देव को अर्घ्य देने से जीवन में सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। इसके बाद, आठ नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा और इस दिन पूजा का समापन होगा।

घाटों पर खूब रौनक

इस बार महादेव घाट में खास तैयारियां की गई हैं। महादेव घाट के घाटों की साफ-सफाई पूरी हो चुकी है और वहां विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाएगा। खासतौर पर, सात नवंबर की शाम को महादेव घाट में सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति होगी, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय लोक गायिका कल्पना पटवारी, गायत्री यादव, परिणीता राव पटनायक और छत्तीसगढ़ के भजन गायक दुकालु यादव अपनी प्रस्तुति देंगे। इसके साथ ही, एक नृत्य नाटिका भी प्रदर्शित की जाएगी।

स्वच्छता का प्रतीक होती है छठ पूजा

छठ पूजा का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह स्वच्छता का संदेश देती है। व्रती महिलाएं इस दिन शुद्ध प्रसाद बनाती हैं और पूजा स्थल को स्वच्छ रखती हैं। मान्यता है कि छठी मैया दुनिया की सबसे बड़ी स्वच्छता की ब्रांड एंबेसडर हैं। छठ पूजा में भाग लेने वाले लोग सड़क और घाटों की सफाई में भी योगदान देते हैं। छठ पूजा के दौरान, सभी व्रति अपनी श्रद्धा और समर्पण से सूर्य देवता और छठी मैया की पूजा करते हैं, जो जीवन में खुशहाली और समृद्धि लाने का प्रतीक है।