सरस्वती राइस मिल के खुलेंगे राज, कमिश्नर ने दिए जांच के आदेश

  • कम मूल्य आकलन कर रजिस्ट्री की शिकायत पर कलेक्टर को लिखा पत्र, एक महीने तक दबी रही फाइल

रायगढ़। राजस्व विभाग में गड़बडिय़ों पर स्थानीय स्तर पर कार्रवाई बंद हो गई तो अब शिकायतें कमिश्नर के पास पहुंचने लगी हैं। सरस्वती राइस मिल सहदेवपाली मामले में कमिश्नर ने कलेक्टर को जांच के आदेश दिए हैं। मामला संपत्ति का कम आकलन कर रजिस्ट्री कराने का है। दरअसल सरकार को स्टाम्प ड्यूटी कम देनी पड़े इसलिए डायवर्टेड लैंड को वापस कृषि भूमि दर्ज करवाया गया। पुसौर तहसील के सहदेवपाली में स्थित सरस्वती राइस मिल कई राज समेटे हुए है। इसका प्रारंभिक रूप से खुलासा हो चुका है। अब मामला बिलासपुर संभागायुक्त तक पहुंच गया है।

कमिश्नर ने कलेक्टर को इसकी जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। यह मामला बेहद गंभीर है जिसमें एक बार रजिस्ट्री कराई जा चुकी है। पुसौर तहसील के सहदेवपाली में पटवारी हल्का नंबर 41 खसरा नंबर 29/1 रकबा 2.771 हे. में सरस्वती राइस मिल स्थापित की गई थी। इसके पूर्व 1993 में पूरी भूमि का व्यावसायिक डायवर्सन कराया गया था। स्वामी रामकुमार पिता नरसिंहदास ने 22-23 में आवेदन लगाया कि 2.771 हे. में से 1.901 में ही मिल लगी है। उन्होंने बाकी 0.870 हे. भूमि को पुन: व्यावसायिक/औद्योगिक से कृषि भूमि में डायवर्सन करने आवेदन लगाया।

दरअसल उनकी मंशा जमीन को बेचने की थी इसलिए पहले डायवर्सन निरस्त करवाया। नियम विरुद्ध डायवर्सन को खारिज किया गया। व्यवसायी रामकुमार के आवेदन पर 0.870 हे. का डायवर्सन व्यावसायिक से कृषि कर दिया गया जबकि ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। पटवारी ने रिकॉर्ड दुरुस्त कर नया खसरा नंबर 29/4 रकबा 0.870 हे. सृजित किया गया। इसके बाद जमीन प्रभाकर सिंघानिया पिता शंकर लाल सिंघानिया निवासी फ्रेंड्स कॉलोनी रायगढ़ को बेच दी गई। 18 अगस्त 2023 को रजिस्ट्री हुई। जांच के आदेश होने के बाद फाइल रोककर रखी गई थी।

चार करोड़ की जमीन हो गई 60 लाख की
इससे व्यवसायी को लाखों का फायदा हुआ लेकिन सरकार की जेब कट गई। डायवर्टेड भूमि की गाइडलाइन दर सहदेवपाली में रोड से 20 मीटर दूर के हिसाब से 4340 रुपए प्रति वर्ग मीटर है। 0.870 हे. मतलब 8700 वर्ग मीटर क्षेत्रफल का 3,77,58,000 रुपए होगा। इसकी ढाई गुना राशि पर 6.6 प्रश स्टाम्प ड्यूटी व अन्य कर 62.30 लाख रुपए होगी। अगर जमीन सहदेवपाली के अंदर मानी जाए तो दर 2590 रुपए प्रति वर्ग मीटर होगी। इस हिसाब से भूमि की वैल्यु 2,25,33,000 रुपए होती है। इसका ढाई गुना करके 6.6 प्रश स्टाम्प ड्यूटी व अन्य कर 37.18 लाख रुपए होगा। लेकिन रजिस्ट्री में कृषि भूमि के हिसाब से वैल्यु ही 27,66,400 रुपए प्रति हे. के हिसाब से आकलित की गई। इस वजह से जमीन की कीमत 24.07 लाख निकाली गई। हालांकि विक्रय प्रतिफल 60 लाख रुपए दर्शाया गया है, जिसके आधार पर 3,96,100 रुपए स्टाम्प ड्यूटी व अन्य कर दिए गए। सोचिए कि जहां सरकारी खजाने को 37 लाख या 62 लाख मिलते, वहां मात्र चार लाख रुपए मिले।

बाकी जमीन पर वारिसों का नाम चढ़ा
अब खनं 29/1 में शेष 1.901 हे. में भूमि पर राइस मिल, गोदाम आदि निर्माण हैं। इसको बेचने की तैयारी है। लेकिन इसके वैल्युएशन में गड़बड़ी की गई है। डायवर्टेड भूमि पर परिसंपत्तियों की भी कीमत जोड़ी जाती है। उस पूरी राशि पर ही स्टाम्प ड्यूटी व अन्य कर लगाए जाते हैं। पहले यह जमीन रामकुमार पिता नरसिंहदास के नाम पर थी लेकिन अब इस पर उनके पुत्र प्रवीण, संजय, संदीप बंसल समेत पौत्र प्रखर, अनमोल, मयंक, वैभव, दिव्यांश और रश्मि बंसल का नाम चढ़ाया जा चुका है।