छत्तीसगढ़ में पक्षी प्रेमियों ने राज्य सरकार द्वारा अपने पूर्व में जारी किए आदेश को वापस लेने को लेकर खुशी जताई है। इस आदेश से स्पष्ट है कि जिन घरों में तोते या अन्य पक्षी पाले जा रहे है उन पर फिलहाल किसी तरह की कार्रवाई नहीं होगी। राज्य सरकार के इस आदेश के वापस लेने के बाद, छत्तीसगढ़ में तोते पालने के शौकीनों को फिलहाल किसी भी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। आइए जानते हैं छत्तीसगढ़ सरकार ने क्या संशोधन किया है।
दरअसल, कार्यालय प्रधान मुख्य वन संरक्षक और वन बल प्रमुख छत्तीसगढ़ द्वारा 23 अगस्त को रायपुर जिला सहित प्रदेश में कानूनन संरक्षण पाए तोते और अन्य पक्षियों के धडल्ले से बिक्री के संबंध में कार्रवाई के निर्देश जारी किए थे। इसमें संशोधन करते हुए अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (संरक्षण) द्वारा सभी मुख्य वन संरक्षक एवं वन मंडलाधिकारी को पत्र प्रेषित किया गया है, जिसके तहत प्रतिबंधित संरक्षण पाए गए वन पक्षियों की धड़ल्ले से हो रही बिक्री पर वर्तमान में कार्रवाई करने को कहा गया था। हालांकि, अब इस मामले पर सरकार ने पक्षी प्रेमियों को खुशखबरी देते हुए आदेश वापस ले लिया है। अब कोई ऐक्शन नहीं लिया जाएगा।
विभाग ने पक्षी प्रेमियों से सात दिन के भीतर कानन पेंडारी चिड़ियाघर में अपने पालतू तोते जमा करने के निर्देश दिए। इसके बाद कार्रवाई करने की चेतावनी भी दी गई। इस आदेश से तोता पालकों के बीच हड़कंप मच गया। वह कार्रवाई होने से इतना डर गए, चिड़ियाघर पहुंचकर तोते को सुपुर्द करने लगे। तीन से चार दिन के भीतर कानन में 58 तोते जमा हुए। जिन्हें चिड़ियाघर प्रबंधन ने क्वारंटाइन में रखा। इन्हें एक- दो दिन के अचानकमार टाइगर रिजर्व छोड़ने की तैयारी थी। हालांकि प्रदेश भर में इस आदेश के बाद खलबली मची थी। कुछ ने विभाग के इस आदेश पर जबरदस्त विरोध भी जताया।