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छत्तीसगढ़ के रायपुर के आरंग में महानदी नदी के पुल के नीचे तीन मवेशी ट्रांसपोर्टरों की लाश मिलने के कथित मॉब लिंचिंग मामले के एक महीने बाद, पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की है। पुलिस ने आरोप-पत्र में कहा है कि मृतक डर के कारण पुल से कूद गए थे। लोगों ने उन्हें पीटा नहीं था। 8 जुलाई को दायर आरोपपत्र में यह भी कहा गया है कि मृतकों का कम से कम 54 किलोमीटर तक तीन कारों द्वारा पीछा किया गया था।
वहीं इस आरोपपत्र पर मृतकों के पक्ष के वकील ने कहा कि यह चार्जशीट पूरी तरह से भ्रामक है। वह जल्द ही हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। मृतक परिवारों की ओर से पैरवी कर रहे वकील मांग करेंगे कि हत्या की धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की जाए क्योंकि तीनों पीड़ितों को कथित तौर पर पुल से फेंकने से पहले घंटों तक बेरहमी से पीटा गया था।
बता दें कि 7 जून को, दो मवेशी ट्रांसपोर्टर- चांद मिया और गुड्डू- की मौत हो गई थी। वहीं एक अन्य सद्दाम अरनाग पुलिस स्टेशन क्षेत्र में भीड़ द्वारा कथित रूप से पीछा किए जाने के बाद संदिग्ध परिस्थितियों में गंभीर रूप से घायल हो गया था। सद्दाम को एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उसकी एक हफ्ते बाद इलाज के दौरान मृत्यु हो गई थी। इस मामले में रायपुर पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 307 (हत्या के प्रयास) और 304 (गैर इरादतन हत्या) के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी।
उल्लेखनीय है कि 18 जून को अस्पताल में सद्दाम की मौत के बाद पुलिस ने अपने बयान में कहा था कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हमले के कारण लगी चोटों का जिक्र नहीं है। इस वजह से हत्या के प्रयास के आरोप हटा दिए गए हैं। ऐसे में सभी पांच आरोपियों पर धारा 304 (साझा इरादे से किया गया कृत्य) के तहत आरोप लगाए गए हैं।
घटना के एक दिन बाद चांद और सद्दाम के चचेरे भाई शोएब ने दावा किया था कि भीड़ ने तीनों लोगों पर हमला किया था। शोएब ने दावा किया था कि चांद ने बताया कि उन पर भीड़ ने हमला कर दिया है। लेकिन इससे पहले कि वह कोई विस्तृत जानकारी दे पाता, फोन कट हो गया था। शोएब ने कहा कि मोहसिन को की गई दूसरी कॉल में सद्दाम को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि उसके हाथ-पैर टूट गए हैं। दावा यह भी किया गया कि यह कॉल 47 मिनट तक चली थी।