Pooja Khedkar: महाराष्ट्र की ट्रेनी आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर इन दिनों सुर्खियों में बनीं हुई हैं. पूजा खेडकर पर कई गंभीर आरोप हैं. उन पर आरोप है कि उन्होंने सिविल सेवा की परीक्षा क्वालिफाई करने के लिए दिव्यांगता और ओबीसी का फर्जी प्रमाणपत्र बनवाया था. उन्होेंने कथित तौर पर सत्ता का दुरुपयोग भी किया है. उन्हें अब ट्रांसफर करके वासिम भेज दिया गया है. उन्होंने दावा किया था कि वे दृष्टिबधित और मानसिक रूप से कमजोर हैं. उन्हें मेडिकल के लिए छह बार मौका दिया गया पर वे नहीं गईं. बावजूद इसके वे यूपीएससी में चयनित हो गईं.
पुणे में सहायक कलेक्टर के रूप में पदस्थ होने से पहले ही उन्होंने अपने लिए एक अलग दफ्तर, एक घर और एक कार की मांग की थी. उनकी वाट्सएप चैट से खुलासा हुआ कि वह एक अधिकारी को निर्देश दे रही हैं कि तीन जून को वे ज्वाइन करेंगी और इससे पहले उनकी मांगों को पूरा किया जाए. चैट में वह एक अधिकारी को बोल रही हैं कि तीन जून को मुझे ज्वाइन करना है. प्लीज इससे पहले कैबिन-गाड़ी का पूरा कर लें. इसके बाद समय नहीं मिल पाएगा. उन्होंने आगे चैट पर कहा कि अगर किसी प्रकार की दिक्कत है तो आप मुझे बताएं, मैं कलेक्टर साहब से बात कर लेती हूं.
वीआईपी हॉल को केबिन बनाने का प्रस्ताव
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारी ने पूजा को अपना चैंबर ही देने के लिए कहा था लेकिन अटैच बाथरूम की समस्या के कारण पूजा ने उनका चैंबर नहीं लिया. ज्वाइनिंग से पहले ही वे अपने पति दिलीप खेडकर के साथ कार्यालय गई थीं. इस दौरान उन्होंने बगल के VIP हॉल को ही उनका केबिन बनाने का प्रस्ताव रखा था. पूजा को बताया गया कि वह प्रोबेशन पर हैं. प्रोबेशन में उन्हें यह सुविधाएं नहीं मिल सकती हैं. उन्हें आवास दिलाया जाएगा.
विवाद बढ़ा तो हुआ ट्रांसफर
पुणे जिला कलेक्टर ने पूजा की असामान्य मांगों का मुद्दा मुख्य सचिव के सामने रखा. अपनी रिपोर्ट में कलेक्टर ने सुझाव दिया कि पुणे में पूजा की ट्रेनिंग जारी रखना अनुचित होगा. इससे प्रशासनिक समस्याएं सामने आ सकती हैं. इसके बाद पूजा को ट्रेनिंग पूरी करने के लिए वाशिम भेज दिया गया. उन्हें वाशिम में सहायक कलेक्टर के रूप में नियुक्त किया गया है.
मेडिकल टेस्ट से भी किया इनकार
खेडकर ने मेडिकल परीक्षण से छह बार इनकार भी किया था. उनका पहला मेडिकल टेस्ट अप्रैल 2022 को एम्स में निर्धारित किया गया था पर कोविड-19 पॉजिटिव टेस्ट दिखा कर बच गई थीं. अगले महीने भी उन्होंने जुलाई और अगस्त के मेडिकल टेस्ट को छोड़ दिया. सिंतबर में छठे टेस्ट के लिए वे गईं तो पर ब्लांइनेस टेस्ट ही नहीं करवाई.
पूजा पर यह आरोप भी लगे
इन सबके अलावा, खेडकर ने अपनी निजी ऑडी गाड़ी पर भी महाराष्ट्र सरकार का नंबर प्लेट, सायरन और वीआईपी नंबर प्लेट का इस्तेमाल करती थी. मामला सामने आया तो उनकी पोस्टिंग पुणे से वाशिम कर दी गई. पुणे कलेक्टर सुहास दिवासे ने खेडकर की पुन नियुक्ति के लिए महाराष्ट्र सरकार के मुख्य सचिव को पत्र भी लिखा था.
इसके अलावा, खेडकर को पुणे के अतिरिक्त कलेक्टर अजय मोरे के कार्यालय का इस्तेमाल करते भी पाया गया था. जब वे बाहर थे. खेडकर ने कथित तौर पर उनकी नेमप्लेट और फर्नीचर हटा दिया था. उन्होंने लेटर हेड की भी मांग की थी. बता दें, यह सुविधा उन जूनियर अधिकारियों को नहीं मिलती, जो 24 महीने की प्रोबेशन पर होते हैं.