नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पिछले दिनों निचली अदालत ने जमानत दी थी। लेकिन, बाद में हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी। आम आदमी पार्टी (आप) की नेता रीना गुप्ता ने रविवार को कहा कि ऐसी जानकारी मिल रही है कि हाईकोर्ट की जिस बेंच ने आदेश पर रोक लगाई थी, उस बेंच के एक जज के भाई ईडी के स्पेशल वकील हैं।
उन्होंने कहा कि अगर इसमें जरा सी भी सच्चाई है, तो यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण बात है। हर व्यक्ति को भरोसा होता है कि न्यायपालिका उसके साथ न्याय करेगी। लेकिन, ऐसा लग रहा है कि अरविंद केजरीवाल को जेल के अंदर रखने के लिए न्यायपालिका पर भी दबाव बनाने की कोशिश की जा रही है।
उन्होंने कहा कि पीएमएलए के केस में जमानत मिलने का मतलब है कि व्यक्ति निर्दाेष है और ट्रायल कोर्ट ने केजरीवाल को जमानत दे दी थी। पूरा देश दो साल से तथाकथित शराब घोटाले की कहानियां सुन रहा है। दो साल से जांच चल रही है, इस दौरान कोर्ट में लाखों पन्नों के कागजात पेश हुए, 50 हजार पन्नों के डॉक्यूमेंट जमा हुए, 554 गवाहों की गवाही ली गई, लेकिन इन सबके बावजूद जांच एजेंसियों के पास अरविंद केजरीवाल के खिलाफ कोई सबूत नहीं है। कुछ लोगों को जमानत का लालच देकर झूठा बयान दर्ज कराया गया। वहीं, कुछ गवाहों को इतना मारा-पीटा गया कि उनके कान से खून निकलने लगा और तब जाकर उनकी गवाही दर्ज कराई गई।
रीना गुप्ता ने कहा कि इनकी पूरी कोशिश है कि अरविंद केजरीवाल किसी भी तरह से जेल से बाहर न आ पाएं। ट्रायल कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को जमानत देते हुए कहा था कि केजरीवाल के खिलाफ कोई मनी ट्रेल नहीं है। सीबीआई ने 14 महीने पहले यानी 16 अप्रैल 2023 को अरविंद केजरीवाल को पूछताछ के लिए बुलाया था। केजरीवाल पूछताछ के लिए गए, उनसे जो भी सवाल पूछे गए, उसका जवाब दिए। इसके बाद देश की प्रमुख जांच एजेंसी सीबीआई 14 महीनों तक सोती रही। इस दौरान उसने किसी तरह की पूछताछ नहीं की। 14 महीने पहले जिस सीबीआई ने अरविंद केजरीवाल को गवाह के तौर पर बुलाया था, अब उसने उन्हें आरोपी बनाकर गिरफ्तार कर लिया। अब धीरे-धीरे सारा देश जान गया है कि शराब घोटाला फर्जी है।