छत्तीसगढ़ के कथित शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने रायपुर से दो शराब कारोबारियों को गिरफ्तार किया है। ईडी ने इस बारे में एक बयान जारी करते हुए बताया कि इस घोटाले को लेकर अरविन्द सिंह और त्रिलोक सिंह ढिल्लन को 1 जुलाई को रायपुर की सेंट्रल जेल से गिरफ्तार किया गया था, जिन्हें बाद में स्पेशल PMLA (विशेष धन शोधन निवारण अधिनियम) कोर्ट ने 6 जुलाई तक के लिए ईडी की हिरासत में भेज दिया।
संघीय जांच एजेंसी ने दावा किया कि शराब व्यवसायी त्रिलोक सिंह ढिल्लन मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए अपराध की आय अर्जित करने का प्रमुख लाभार्थी था। ईडी के मुताबिक ‘उसने स्वेच्छा से और जानबूझकर अपने बैंक खातों और फर्मों को अपराध की आय की बड़ी मात्रा को इकट्ठा करने के लिए इस्तेमाल करने की अनुमति दी। इसके अलावा बिना किसी उचित स्पष्टीकरण के उसने FL-10A लाइसेंस धारकों से बैंकिंग चैनलों के माध्यम से धन लिया है और उन्हें गलत तरीके से असुरक्षित ऋण के रूप में दिखाया और फिर उन्हें फिक्स्ड डिपॉजिट के रूप में अपने पास रखा।’
ईडी के मुताबिक, ‘ढिल्लन ने व्यापारिक लेनदेन की आड़ में प्रमुख देशी शराब आपूर्तिकर्ताओं से भी रिश्वत ली और पैसे अपने पास रखे। इसके अलावा उसने जो व्यापारिक लेन-देन बताए जांच में वे भी पूरी तरह से फर्जी पाए गए।’
ईडी ने अपने बयान में यह भी दावा किया कि गिरफ्तार किए गए एक अन्य शराब व्यवसायी अरविंद सिंह ने छत्तीसगढ़ शराब सिंडिकेट में सक्रिय भूमिका निभाई और वह अनवर ढेबर (रायपुर के मेयर और कांग्रेस नेता एजाज ढेबर का बड़ा भाई) का दाहिना हाथ था। एजेंसी ने आरोप लगाया कि सिंह डुप्लीकेट होलोग्राम की आपूर्ति, नकदी एकत्र करने और अपने सहयोगियों के माध्यम से डिस्टिलर्स को बिना बिल के शराब की बोतलें आपूर्ति करने के लिए जिम्मेदार था।
ईडी ने दावा किया कि अपनी भूमिका के लिए सिंह ने अपराध की पर्याप्त आय भी अर्जित की, साथ ही उसने बेहिसाब शराब की बिक्री से भी हिस्सा प्राप्त किया। इस जांच के तहत अब तक एजेंसी द्वारा विभिन्न आरोपियों की लगभग 205 करोड़ रुपए की संपत्ति भी जब्त की गई है।
ईडी द्वारा दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग का यह मामला जनवरी में दर्ज EOW/ACB की FIR से निकला था और इसमें पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा, पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड सहित 70 अन्य व्यक्तियों और कंपनियों के नाम भी शामिल हैं।
इस कथित शराब घोटाले में ईडी ने 2,161 करोड़ रुपए की अपराध की आय का अनुमान लगाया है और यह घोटाला कथित तौर पर 2019-2022 के बीच हुआ था, जब राज्य में कांग्रेस सत्ता में थी। इस मामले में ईडी ने पूर्व IAS अधिकारी अनिल टुटेजा के साथ-साथ कुछ अन्य नौकरशाहों और राजनेताओं को भी गिरफ्तार किया है।