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छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक कपल की याचिका पर सुनवाई करते हुए पिता को बच्चे की कस्टडी देने से इनकार कर दिया। बच्चे का पिता मुस्लिम समुदाय से जबकि मां हिंदू है। लिव इन रिलेशनशिप के दौरान बच्चे का जन्म हुआ था। अब पिता उसकी कस्टडी चाहता था लेकिन कोर्ट ने उसकी याचिका खारिज कर दी। ऐसा कोर्ट ने ऐसा व्यक्तिगत कानून और अंतरधार्मिक (इंटरफेथ) शादियों की जटिलताओं पर जोर देते हुए किया।
जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस संजय एस अग्रवाल की पीठ ने कहा कि लिव-इन रिलेशनशिप का विचार…’भारतीय संस्कृति में एक कलंक के रूप में देखा जाता है क्योंकि यह पारंपरिक भारतीय मान्यताओं के खिलाफ है। यह भारतीय सिद्धांतों की सामान्य अपेक्षाओं से उलट एक फिलोसॉफी है।’ कोर्ट ने कहा कि व्यक्तिगत कानून के नियमों को किसी भी अदालत में तब तक लागू नहीं किया जा सकता जब तक कि उन्हें प्रथागत प्रैक्टिस के तौर पर मान्य नहीं किया जाता है।’
क्या है मामला
दंतेवाड़ा निवासी 43 साल के याचिकाकर्ता अब्दुल हमीद सिद्दीकी ने एक अलग धर्म की 36 साल की महिला के साथ लिव-इन रिलेशनशिप से पैदा हुए बच्चे की कस्टडी की मांग की। दंतेवाड़ा की एक फैमिली कोर्ट अदालत ने दिसंबर 2023 में उसकी याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद उसने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सिद्दीकी ने दावा किया कि 2021 में ‘शादी’ करने से पहले वे तीन साल तक साथ रहे थे। उसने दावा किया कि उसने हिंदू कानून का पालन करने वाली महिला के साथ ‘मुस्लिम रीति-रिवाजों के अनुसार’ अंतरधार्मिक विवाह किया था।