रायपुर। जेल से कोर्ट पेशी के दौरान पैसे के दम पर बदमाश, हिस्ट्रीशीटरों की कैसे पुलिस और जेल कर्मी आवभगत करते है, इसका नजारा रायपुर कोर्ट परिसर में दिखा। दरअसल, पिछले दिनों रायपुर सेंट्रल जेल से दुर्ग जेल में शिफ्ट किए गए हिस्ट्रीशीटर मुकेश गुप्ता उर्फ बनिया की कोर्ट में पेशी थी। दुर्ग जेल से उसे पुलिस के जवान पेशी पर लेकर आए थे।
पुलिस जवानों की मौजूदगी में परिवार न्यायालय परिसर में बिना हथकड़ी लगाए मुकेश नशा करता हुए कैमरे में कैद हुआ। उसकी नजर जैसे ही कैमरे पर पड़ी वह भागने लगा, साथ में पीछे-पीछे पुलिस जवान भी अपने आप को बचाते भागते हुए कोर्ट परिसर स्थित पुलिस सहायता केंद्र में जा घुसे। यहीं नहीं हिस्ट्रीशीटर और खुद को कैमरे की जद से बचाने के लिए पुलिसकर्मियों ने सहायता केंद्र का दरवाजा बंद कर दिया।
इस मामले में जिम्मेदार अधिकारी कुछ भी बोलने से यह कहकर बचते रहे कि मामला दुर्ग जेल का है। मुकेश बनिया के खिलाफ गांजा तस्करी, हत्या के प्रयास, मारपीट, चाकूबाजी, अवैध उगाही समेत करीब 25 मामले शहर के अलग-अलग पुलिस थानों में दर्ज है। गौरतलब है कि इससे पहले डेंटल हास्पिटल में दांत का इलाज करने के बहाने पहुंचे दोहरे हत्याकांड का आरोपित डा.अजय राय पुलिस अभिरक्षा में बिना हथकड़ी घूमने के साथ होटल से खाना मंगवाकर खाते हुए कैमरे में कैद हुआ था। इस मामले में भी अब तक जिम्मेदारों ने कोई कार्रवाई नहीं की है।
मारपीट करने के आरोप के बाद दुर्ग जेल शिफ्ट
पिछले दिनों मुकेश ने रायपुर जेल के प्रहरी टिकाराम वर्मा और सहायक अधीक्षक सेवकराम सोनकर पर 50 हजार रुपये मांगने का और पैसे न देने और पेशी निरस्त कराने लंबे समय से उसे परेशान करने का आरोप भी लगाया था।साथ ही मारपीट में हाथ-पैर में लगी चोट को दिखाया था। इसका वीडियो इंटरनेट मीडिया पर वायरल होने के बाद जेल प्रशासन में हड़कंप मच गया था। डीजी जेल राजेश मिश्रा के आदेश पर मामले की जांच के बाद प्रहरी टिकाराम वर्मा और सहायक अधीक्षक सेवकराम सोनकर को निलंबित कर मुख्यालय में अटैच कर दिया गया था।हिस्ट्रीशीटर मुकेश ने कोल घोटाला मामले में जेल भेजे गए आरोपितों के मोबाइल से वीडियो बनाए जाने की बात कही थी। इसके बाद मुकेश को रायपुर से दुर्ग जेल में शिफ्ट कर दिया गया।
मौखिक आदेश पर सोनकर की पदस्थापना
जेल के जानकार सूत्रों ने बताया कि सहायक अधीक्षक सेवकराम सोनकर की मूलत: अंबिकापुर जेल में पदस्थापना थी। उसे कांग्रेस शासनकाल में दिसंबर 2023 को रायपुर केंद्रीय जेल में लाया गया था। इस पदस्थापना के लिखित आदेश को लेकर भी संशय है।केवल मौखिक आदेश पर यहां भेजकर ईडी की गिरफ्तर में आकर जेल भेजे गए रसूखदार कारोबारियों, अधिकारियों की तीमारदारी में लगाया गया था।राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद उन सभी की वीआइपी सुविधाएं खत्म कर सामान्य बैरकों में भेज दिया गया है।