बेहद गरीब और लाचार व्यक्ति को मिला गौसेवा संगठन का सहारा
पांव के जख्म सड़ चुके थे किड़े बीलबीला रहे थे
खरसिया। खरसिया जानकी धर्मशाला के पास अंधेरे में विजय घोष नाम का एक व्यक्ति पड़ा था और दर्द से कराह रहा था। पांव में घाव था जो पुरी तरह सड़ चुके थे आसपास भयंकर बदबु से लोग परेशान हो रहे थे। वहां से गुजरने वाले नाक में रुमाल कपड़े ढंक कर चल रहे थे लेकिन इसकी तकलीफ़ पीड़ा किसी को दिखाई नहीं दे रही थी। नगर के बीचों-बीच धनाढ्य बस्ती जानकी धर्मशाला के बाहर एक कोने में पड़े असहनीय पीड़ा को सहन करते रोते बिलखते जीवन गुजार रहे इस लाचार बेबस पर किसी कि नज़र नहीं पड़ रही थी।
रात्रि में वहां से गुजर रहे खरसिया नगर के समाजसेवी संदेश शर्मा जी कि नजर पड़ी और उन्होंने तत्काल राकेश केशरवानी गौसेवक को फोन से इसके बारे में बताया। राकेश ने संदेश को बोला आप उसे किसी आटो से तुरंत पद्मावती हास्पिटल भेजो मैं वहीं पहुंच रहा हुं। घाव से इतना ज्यादा बदबु आ रहे थ...










