
खरसिया। क्षेत्र में अपराधियों के हौसले इतने बुलंद हो गए हैं कि अब सरकारी समितियाँ भी सुरक्षित नहीं रहीं! खरसिया विकासखंड के ग्राम बारभौना स्थित सहकारिता समिति (धान खरीदी उप केंद्र) — जो बानी पाथर सहकारिता समिति का उप केंद्र है — वहाँ से दिनदहाड़े बरदाना चोरी की सनसनीखेज वारदात सामने आई है।
मिली जानकारी के अनुसार, समिति के प्रबंधक जनक राम पटेल के अधीन कार्यरत इस केंद्र में लगभग 56 गठान बरदाने रखे हुए थे। लेकिन करीब 2 से 3 दिन पहले, दोपहर के समय करीब 2 से 3 बजे के बीच, एक बड़ी गाड़ी में सवार होकर आए अज्ञात चोर मौके का फायदा उठाकर 36 गठान बरदाने को चोरी कर फरार हो गए।
डर से लौटाए बरदाने, फिर भी नहीं मिला पूरा माल
मामले ने तब और तूल पकड़ लिया जब 17 अक्टूबर की रात को चोरों ने चोरी किए गए बरदानों में से 29 गठान को खरसिया के ग्राम छीरपानी के नाला किनारे फेंक दिया। संभवतः पुलिस कार्रवाई के डर या खरीदार द्वारा इंकार किए जाने के कारण चोरों ने माल को ठिकाने लगाने का फैसला लिया। सूचना मिलते ही खरसिया पुलिस मौके पर पहुंची और जांच शुरू की। पुलिस ने मौके से 26 गठान साबुत बरामद किए, जबकि 3 गठान खुले हुए पाए गए। अब भी 7 गठान बरदाने का कोई सुराग नहीं मिल सका है।
पुलिस की जांच तेज, अज्ञात चोरों पर मामला दर्ज
घटना के बाद पुलिस ने अज्ञात चोरों के खिलाफ धारा 380(2) (गृहभेदन कर चोरी) के तहत अपराध दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पुलिस सूत्रों के अनुसार, आसपास के CCTV फुटेज और स्थानीय मुखबिरों के आधार पर सुराग जुटाए जा रहे हैं।
कौन है बरदाना चोरी का मास्टरमाइंड?
अब बड़ा सवाल यह है कि आखिर इस चोरी के पीछे कोई अनजान गैंग है या फिर समिति के भीतर से किसी जानकार शातिर दिमाग का हाथ? स्थानीय लोगों का कहना है कि इतनी बड़ी मात्रा में बरदाना चोरी होना किसी साधारण चोरी की घटना नहीं हो सकती — यह पूर्व-नियोजित षड्यंत्र प्रतीत होता है।
प्रशासन पर उठे सवाल, सुरक्षा पर गंभीर लापरवाही!
इस घटना ने सहकारिता समितियों की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। धान खरीदी सीजन के पहले ही इस तरह की वारदात से प्रशासन की नींद उड़ गई है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर समय रहते ऐसी घटनाओं पर लगाम नहीं लगाई गई, तो आने वाले दिनों में धान खरीदी केंद्र अपराधियों के निशाने पर रहेंगे।
फिलहाल पुलिस मामले की बारीकी से जांच कर रही है। देखना होगा कि इस बरदाना चोरी के पीछे कौन है — कोई बाहरी गिरोह या भीतर का कोई ‘जानकार शातिर’?




