बस्तर संभाग में चलाये जा रहे सरेंडर और पुनर्वास नीति के तहत इन माओवादियों ने हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में लौटने का फैसला किया। पूना मारगेम (पुनर्वास से पुनर्जीवन) और लोन वर्राटू (घर वापस आईये) अभियान से प्रभावित होकर सरेंडर करने की इच्छा जताई।