ग्राम दर्रामुड़ा में श्री शिवमहापुराण कथा का भव्य आयोजन संपन्न

खरसिया, 26 अप्रैल 2025। खरसिया के ग्राम दर्रामुड़ा में गौतम चौक के समीप, पटैल परिवार द्वारा स्वर्गीय जमुना बाई पटैल की पावन स्मृति में आयोजित श्री शिवमहापुराण कथा का विशाल आयोजन 17 अप्रैल से 24 अप्रैल 2025 तक भक्ति और उत्साह के साथ संपन्न हुआ। सात दिवसीय इस धार्मिक अनुष्ठान में हजारों श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया, जिन्होंने भगवान शिव की लीलाओं का श्रवण कर आध्यात्मिक शांति प्राप्त की। समारू राम पटैल, मुकेश पटैल, लव पटैल, कुश पटैल, टेकलाल पटैल, समस्त ग्रामवासियों और क्षेत्रवासियों के सहयोग से यह आयोजन ऐतिहासिक बन गया, जो सामाजिक एकता और धार्मिक भावना का प्रतीक रहा।

कलश यात्रा के साथ भव्य शुभारंभ
श्री शिवमहापुराण कथा का शुभारंभ 17 अप्रैल 2025 को भव्य कलश यात्रा के साथ हुआ। सैकड़ों महिलाएँ और पुरुष पारंपरिक वेशभूषा में, मंगल गीत गाते और भगवान शिव के जयकारों के साथ कलश यात्रा में शामिल हुए। इस यात्रा ने पूरे गाँव में भक्ति का माहौल बना दिया। प्रतिदिन दोपहर 3 बजे से शिव कृपा तक आयोजित कथा में छत्तीसगढ़ के प्रख्यात कथा प्रवक्ता पंडित दीपककृष्ण महाराज (ग्राम-घघरा, खरसिया) ने शिवमहापुराण की कथाओं को रोचक और प्रेरणादायी ढंग से प्रस्तुत किया। उनके साथ आचार्य चंचल महाराज, दीनबंधु महाराज, भुवनदास महाराज, पीलादास महाराज, खुलेश्वर महाराज और संगीतज्ञ टीम ने आयोजन को भक्तिमय बनाया।

कथावाचक पंडित दीपककृष्ण महाराज का उद्बोधन
पंडित दीपककृष्ण महाराज ने अपने उद्बोधन में कहा, “शिवमहापुराण जीवन को सत्य, प्रेम और करुणा से परिपूर्ण करने का मार्ग है। भगवान शिव सभी के कल्याणकारी और सहज हैं। उनकी कथाएँ हमें संतुलन, त्याग और भक्ति की सीख देती हैं। इस कथा के श्रवण से हम अपने कष्टों से मुक्ति पा सकते हैं और समाज में सकारात्मकता का प्रसार कर सकते हैं।” स्वर्गीय जमुना बाई पटैल को याद करते हुए उन्होंने कहा, “यह कथा स्वर्गीय जमुना बाई पटैल की स्मृति में आयोजित है, जिनका जीवन भक्ति और परिवार के प्रति समर्पण का प्रतीक था। उनकी आत्मा को शांति मिले और यह कथा उनके पुण्य कार्यों को अमर बनाए।” उनके इस भावपूर्ण उद्बोधन ने श्रद्धालुओं को भगवान शिव के प्रति श्रद्धा और स्वर्गीय जमुना बाई के प्रति सम्मान से भर दिया।

आयोजक मुकेश पटैल का उद्बोधन
आयोजन समिति के प्रमुख मुकेश पटैल ने समापन अवसर पर कहा, “हमारी माँ स्वर्गीय जमुना बाई पटैल की स्मृति में यह कथा हमारे परिवार और गाँव के लिए एक आध्यात्मिक यात्रा थी। हमने उनकी श्रद्धांजलि के साथ-साथ समाज में भक्ति और एकता का संदेश प्रसारित किया। यह आयोजन सभी के सहयोग से ऐतिहासिक बना। मैं ग्रामवासियों, क्षेत्रवासियों, कथावाचकों, संगीतज्ञों और श्रद्धालुओं का हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ। हम भविष्य में भी ऐसी धार्मिक पहल जारी रखेंगे।” उनके इस उद्बोधन ने आयोजन के उद्देश्य को और सार्थक बनाया, जिसने सभी को भावुक कर दिया।

भगवान शिव-पार्वती विवाह और शिव बारात का उत्सव
कथा के दौरान भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह की कथा को भव्य रूप से प्रस्तुत किया गया। झांकियों में शिव-पार्वती विवाह को जीवंत रूप से दर्शाया गया, जिसने श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। भगवान शिव की बारात आयोजन का प्रमुख आकर्षण रही, जिसमें ग्रामवासी डीजे साउण्ड, भजनों और जयकारों के साथ शामिल हुए। बारात में शिव के गणों, नंदी और पौराणिक चरित्रों की झांकियाँ निकाली गईं, जिसने गाँव में उत्सव का माहौल बना दिया। श्रद्धालुओं ने नाच-गाकर भगवान शिव की महिमा का गुणगान किया, जिसने आयोजन को अविस्मरणीय बनाया।

भक्तिमय भजन और झांकियों ने बाँधा समा
संगीतज्ञ टीम ने “बम बम भोले”, “शंकर भोलानाथ” और “हर हर महादेव” जैसे भजनों को इतने सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया कि श्रद्धालु झूम उठे। कथा के दौरान शिव तांडव, गंगा अवतरण और अन्य लीलाओं पर आधारित झांकियाँ निकाली गईं, जिन्होंने भक्ति का रंग गहरा किया। ये गतिविधियाँ आयोजन को और यादगार बनाती गईं। प्रतिदिन संध्या आरती के बाद प्रसाद और भोजन वितरण किया गया, जिसका लाभ सैकड़ों श्रद्धालुओं ने लिया।

हवन यज्ञ और सहस्त्र धारा स्नान के साथ समापन
कथा का समापन 24 अप्रैल 2025 को हवन यज्ञ, सहस्त्र धारा स्नान, ब्राह्मण भोज और प्रसाद वितरण के साथ हुआ। सैकड़ों श्रद्धालुओं ने हवन में आहुति दी और भगवान शिव की मूर्ति पर जल-दूध चढ़ाकर भक्ति अर्पित की। ब्राह्मण भोज में ब्राह्मणों को भोजन कराया गया। समापन समारोह ने भक्ति और प्रेम के बंधन को मजबूत किया, और आयोजन की सफलता ने दर्रामुड़ा को आध्यात्मिक नक्शे पर विशेष स्थान दिलाया। आयोजकों ने सभी सहयोगियों, विशेष रूप से पंडित दीपककृष्ण महाराज, अन्य महाराजों, संगीतज्ञों, ग्रामवासियों, स्वयंसेवकों और मीडिया का हार्दिक आभार व्यक्त किया।