ग्राम दर्रामुड़ा में स्वर्गीय जमुना बाई पटैल की पुण्य स्मृति में आयोजित श्री शिवमहापुराण कथा का भव्य और अलौकिक आयोजन

  • पंचम दिवस पर शिव-पार्वती विवाह की मनमोहक झांकी और भव्य बारात ने बिखेरा भक्ति का रंग
  • पंडित दीपककृष्ण महाराज की मधुर वाणी ने श्रद्धालुओं को किया मंत्रमुग्ध

खरसिया, 21 अप्रैल 2025। खरसिया के ग्राम दर्रामुड़ा में गौतम चौक के समीप एक अनुपम और आध्यात्मिक उत्सव का साक्षी बन रहा है, जहां स्वर्गीय जमुना बाई पटैल की पुण्य स्मृति में पटैल परिवार और समस्त ग्रामवासियों के अथक सहयोग से श्री शिवमहापुराण कथा का भव्य आयोजन हो रहा है। यह धार्मिक अनुष्ठान न केवल भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि सामुदायिक एकता और सामूहिक समर्पण का एक जीवंत उदाहरण भी प्रस्तुत कर रहा है। आयोजक समारू राम पटैल, मुकेश पटैल, लव पटैल, कुश पटैल, टेकलाल पटैल और समस्त ग्रामवासियों के संयुक्त प्रयासों से यह आयोजन एक ऐतिहासिक और अविस्मरणीय रूप ले चुका है।

*पंचम दिवस : शिव-पार्वती विवाह की झांकी और भक्ति का उत्सव*
21 अप्रैल 2025 को श्री शिवमहापुराण कथा के पंचम दिवस पर छत्तीसगढ़ के प्रख्यात और लोकप्रिय कथा प्रवक्ता पंडित दीपककृष्ण महाराज (ग्राम घघरा, खरसिया) ने अपनी मधुर और भावपूर्ण वाणी से श्रद्धालुओं को भक्ति के सागर में डुबो दिया। उनके कथावाचन ने न केवल आत्मिक शांति प्रदान की, बल्कि उपस्थित जनसमूह को शिव-पार्वती के दिव्य प्रेम और तप की गाथा से जोड़ दिया। पंडित जी ने पार्वती जी के प्राकट्य, उनकी कठिन तपस्या और शिव-पार्वती के विवाह जैसे पवित्र प्रसंगों का इतने सजीव और भावविभोर तरीके से वर्णन किया कि पूरा कथा पंडाल ‘हर हर महादेव’ के उद्घोष से गूंज उठा। पंडित दीपककृष्ण महाराज ने बताया कि पार्वती जी, जो पूर्वजन्म में सती के रूप में थीं, हिमवान और मैना की पुत्री के रूप में पुनः अवतरित हुईं। भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए उन्होंने अग्नि, वायु और जल के बिना वर्षों तक कठोर तप किया। उनकी अटल भक्ति और समर्पण से प्रसन्न होकर स्वयं भगवान शंकर प्रकट हुए और उनका प्रेम स्वीकार किया। इस दिव्य प्रसंग को पंडित जी ने इतने मनोहारी ढंग से प्रस्तुत किया कि श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो गए। उन्होंने कहा, “पार्वती जी की तपस्या हमें सिखाती है कि सच्चा समर्पण और विश्वास हर असंभव को संभव बना सकता है।

*शिव-पार्वती विवाह का भव्य उत्सव : झांकी और बारात ने जीता दिल*
पंचम दिवस का सबसे आकर्षक और हृदयस्पर्शी क्षण तब आया, जब शिव-पार्वती विवाह को भव्य रूप से मनाया गया। कथा के मध्य एक मनमोहक और अलौकिक शिव-पार्वती झांकी निकाली गई, जिसने सभी के मन को मोह लिया। इस झांकी में भगवान शिव और माता पार्वती की सुंदर झांकियों को सजाया गया, और उनके विवाह के दृश्य को जीवंत रूप में प्रस्तुत किया गया। श्रद्धालुओं की आंखें इस दृश्य को देखकर नम हो गईं, और पूरा वातावरण भक्ति के रंग में सराबोर हो गया। विशेष रूप से, भगवान शिव की बारात का आयोजन इस आयोजन का मुख्य आकर्षण रहा। यह बारात कथा स्थल से शुरू होकर ग्रामवासी सुंदरलाल पटैल के निवास तक पहुंची, जहां विवाह समारोह संपन्न हुआ। बारात में भगवान शिव के साथ भूत-प्रेत, गण और शिवगणों की सजीव झलक देखने को मिली। डीजे साउंड पर भक्तिमय भजनों की स्वरलहरियों के बीच श्रद्धालु झूमते-नाचते हुए इस उत्सव में शामिल हुए। शिव और पार्वती द्वारा एक-दूसरे को वरमाला पहनाने का दृश्य इतना भावपूर्ण था कि श्रद्धालुओं के हृदय में भक्ति की लहर दौड़ गई। यह नजारा न केवल धार्मिक उल्लास का प्रतीक था, बल्कि सामुदायिक एकता और सामूहिक उत्साह का एक अनुपम उदाहरण भी प्रस्तुत करता था।

*प्रसाद वितरण और भोजन व्यवस्था : भक्ति के साथ सेवा का संगम*
श्री शिवमहापुराण कथा के प्रत्येक दिन संध्या आरती के पश्चात श्रद्धालुओं के लिए प्रसाद वितरण और भोजन की व्यवस्था की जा रही है। यह सेवा कार्य न केवल भक्तों को आध्यात्मिक संतुष्टि प्रदान करता है, बल्कि उनके शारीरिक पोषण का भी ध्यान रखता है। ग्रामवासियों और आयोजकों की यह पहल इस आयोजन को और भी विशेष बनाती है, क्योंकि यह भक्ति और सेवा के अद्भुत संगम को दर्शाता है। प्रत्येक दिन सैकड़ों श्रद्धालु इस प्रसाद और भोजन का लाभ उठा रहे हैं, जो उनके लिए आशीर्वाद और आत्मिक संतुष्टि का स्रोत बन रहा है।

*आयोजन को सफल बनाने में योगदान*
इस भव्य आयोजन को सफल बनाने में कथावाचक पंडित दीपककृष्ण महाराज के साथ-साथ आचार्य चंचल महाराज, दीनबंधु महाराज, भुवनदास महाराज, पीलादास महाराज और समस्त पटैल परिवार ने अहम भूमिका निभाई। इसके अलावा, बड़ी संख्या में युवा कार्यकर्ताओं और ग्रामवासियों ने अपनी सक्रिय भागीदारी से इस आयोजन को एक यादगार अनुभव बनाया। आयोजकों का यह समर्पण और सामूहिक प्रयास इस बात का प्रमाण है कि जब समुदाय एकजुट होकर किसी कार्य को अंजाम देता है, तो वह अविस्मरणीय बन जाता है।

*श्रद्धालुओं का उत्साह और सामुदायिक एकता*
प्रतिदिन कथा में शामिल होने वाले सैकड़ों श्रद्धालु इस आयोजन को एक उत्सव की तरह मना रहे हैं। ग्राम दर्रामुड़ा और आसपास के क्षेत्रों से लोग बड़ी संख्या में कथा सुनने और पुण्य लाभ अर्जित करने के लिए पहुंच रहे हैं। यह आयोजन केवल एक धार्मिक अनुष्ठान ही नहीं, बल्कि सामुदायिक एकता और सामाजिक समरसता का एक उत्कृष्ट उदाहरण भी बन गया है। ग्रामवासियों का उत्साह और उनकी सक्रिय भागीदारी इस आयोजन को और भी भव्य और प्रेरणादायी बना रही है।

*भक्ति, संस्कृति और एकता का संगम*
ग्राम दर्रामुड़ा में आयोजित श्री शिवमहापुराण कथा का यह आयोजन न केवल स्वर्गीय जमुना बाई पटैल की पुण्य स्मृति को समर्पित है, बल्कि यह भक्ति, संस्कृति और सामुदायिक एकता का एक अनुपम संगम भी है। पंडित दीपककृष्ण महाराज की मधुर वाणी, शिव-पार्वती विवाह की भव्य झांकी, बारात का उत्साह और ग्रामवासियों का समर्पण इस आयोजन को एक ऐतिहासिक और अविस्मरणीय रूप दे रहा है। यह आयोजन न केवल श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक शांति प्रदान कर रहा है, बल्कि यह ग्राम दर्रामुड़ा की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान को भी नई ऊंचाइयों तक ले जा रहा है।