

नक्सलवाद को जड़ से मिटाने और प्रदेश को ‘नक्सल-मुक्त’ बनाने छत्तीसगढ़ सरकार ने एक खास योजना बनाई है, जिसके तहत नक्सलियों को आत्मसमर्पण करने के लिए प्रोत्साहित करने वाली ग्राम पंचायतों को विकास कार्यों के लिए एक करोड़ रुपए देने समेत वहां बिजली और मोबाइल नेटवर्क पहुंचाने जैसे कई लुभावने वादे किए गए हैं।
इसके अलावा सरकार नक्सल हिंसा में जान गंवाने वाले सुरक्षाकर्मियों की प्रतिमा भी उनके गांव में स्थापित करेगी। राज्य सरकार ने हाल ही में पारित नई छत्तीसगढ़ नक्सल आत्मसमर्पण और पीड़ित राहत एवं पुनर्वास नीति-2025 में ये सारे वादे किए हैं। जिसके बारे में बताते हुए राज्य के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने कहा कि नई नीति के क्रियान्वयन से अधिक संख्या में नक्सलियों को हथियार डालने और मुख्यधारा में शामिल होने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा।
इस बारे में जानकारी देते हुए विजय शर्मा ने बताया कि, ‘पंचायत विभाग के अंतर्गत राज्य सरकार ‘एलवद पंचायत अभियान’ शुरू करेगी, जिसके तहत अगर कोई ग्राम पंचायत अपने इलाके में नक्सलियों को आत्मसमर्पण कराने में मदद करती है और खुद को माओवादी मुक्त घोषित करने का प्रस्ताव पारित करती है, तो संबंधित पंचायत के लिए एक करोड़ रुपए के निर्माण कार्य स्वीकृत किए जाएंगे।’ साथ ही उन्होंने बताया कि इसके अलावा उन पंचायतों में मोबाइल नेटवर्क और बिजली कनेक्टिविटी भी उपलब्ध कराई जाएगी। नई आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति उन लोगों के लिए भी है जो नक्सली हिंसा के शिकार हैं।
शर्मा ने कहा कि माओवादी खतरे के कारण जो लोग अपने गांव छोड़कर दूसरे स्थानों पर चले गए हैं, उन्हें भी नई नीति के तहत वित्तीय सहायता, जमीन और अन्य चीजों से लाभान्वित किया जाएगा।
उपमुख्यमंत्री ने बताया कि वीर बलिदानी योजना के तहत सरकार ने राज्य में नक्सली हिंसा में अपनी जान गंवाने वाले सुरक्षाकर्मियों की प्रतिमा स्थापित करने के लिए पंचायत विभाग के माध्यम से 10 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं। उन्होंने कहा कि शहीद जवानों के परिजनों की यह लंबे समय से मांग थी, जो अब पूरी होने जा रही है। उन्होंने कहा कि शुरुआती चरण में 500-600 प्रतिमाएं स्थापित की जाएंगी। वहीं राज्य में अबतक शहीद हुए जवानों की सैकड़ों प्रतिमाएं भी भविष्य में उनके पैतृक गांवों में स्थापित की जाएंगी।
नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में अपनी सरकार की उपलब्धियों को विस्तार से बताते हुए शर्मा ने कहा कि बीजापुर शहर से जिले के सबसे दूरस्थ गांव पामेड़ तक बस सेवा शुरू हो गई है। इससे पहले तक बीजापुर जिला मुख्यालय से पामेड़ तक कोई सीधा संपर्क नहीं था और केवल तेलंगाना के रास्ते 250 किलोमीटर की दूरी तय करके वहां पहुंचा जा सकता था। लेकिन अब सुरक्षा बलों की कोशिशों से बीजापुर से तर्रेम और कोंडापल्ली होते हुए 90 किलोमीटर की दूरी तय करके पामेड़ पहुंचा जा सकता है और इस मार्ग पर यात्रियों के लिए एक बस का संचालन शुरू किया गया है।
शर्मा ने बताया कि बस्तर क्षेत्र के अन्य दूरदराज के गांवों के लिए भी बस सेवा शुरू की गई है। गरपा, पुजारी कांकेर और कोंडापल्ली सहित कई दूरदराज के गांवों में साप्ताहिक बाजार, जो पिछले कई सालों से माओवादी गतिविधियों के कारण बंद थे, उन्हें फिर से खोल दिया गया है। शर्मा ने बताया कि क्षेत्र में कम से कम 577 नए मोबाइल टॉवर लगाए गए हैं।
इसके साथ ही शर्मा ने राज्य सरकार द्वारा हाल ही में स्वीकृत नई छत्तीसगढ़ नक्सल आत्मसमर्पण और पीड़ित राहत एवं पुनर्वास नीति-2025 के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इसमें आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को कई तरह से मदद देने का प्रावधान किया गया है। उन्होंने बताया कि नई नीति में सरेंडर करने वाले नक्सलियों को तीन साल तक मुफ्त आवास और भोजन की सुविधा देने के साथ ही हर महीने 10 हजार रुपए आर्थिक सहायता देने का प्रावधान भी किया गया है। इसके अलावा उन्हें कौशल विकास प्रशिक्षण, जमीन और पीएम आवास योजना के तहत घर भी दिए जाएंगे।’
इसके अलावा राज्य सरकार ने कैबिनेट द्वारा मंजूर पुनर्वास नीति में पहल करने की घोषणा की है, जिसका उद्देश्य नक्सलियों को आत्मसमर्पण करने और मुख्यधारा के समाज में पुनः शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करना है। राज्य के बस्तर क्षेत्र में हुई दो अलग-अलग मुठभेड़ों में सुरक्षा बलों द्वारा 30 नक्सलियों को मार गिराए जाने के एक दिन बाद प्रदेश के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने इस बारे में घोषणा की।
