

छत्तीसगढ़ विधानसभा से कई कांग्रेस विधायकों को निलंबित कर दिया गया है। निंलबन के पीछे की वजह सदन की कार्रवाई को बाधित करते हुए नारेबाजी करना है। कांग्रेसियों ने सत्ता पक्ष से प्रश्नकाल के दौरान नारेबाजी करते हुए शोर मचाया। नारेबाजी और हंगामा के पीछे का कारण छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के घर ईडी की छापेमारी है।
सोमवार को छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल के बेटे के घर ईडी ने शराब घोटाला मामले के तहत मनी लॉन्ड्रिंग मामले में छापेमारी की है। कांग्रेसियों ने सदन में सत्ता पक्ष से इस छापेमारी पर सवाल करने चाहे थे। इसके चलते ही लेकिन नेता सदन ने शून्य काल में इन सवालों को पूछने की बात ही थी। मगर विपक्षी दल के विधायकों ने ऐसा नहीं किया और निलंबित होने के बावजूद सदन से बाहर नहीं गए।
सदन की कार्यवाही शुरू होते ही कांग्रेस विधायकों ने प्रश्नकाल में व्यवधान डाला और ईडी की छापेमारी का मुद्दा उठाया। उन्होंने दावा किया कि सरकार में कथित भ्रष्टाचार पर सवाल उठाने वालों को केंद्रीय एजेंसी का इस्तेमाल कर निशाना बनाया जा रहा है। पूर्व मंत्री उमेश पटेल समेत कांग्रेस सदस्यों ने सत्तारूढ़ भाजपा के खिलाफ नारे लगाने शुरू कर दिए और दावा किया कि लोकतंत्र की “हत्या” की जा रही है।
स्पीकर रमन सिंह ने मुख्य विपक्षी दल के सदस्यों से प्रश्नकाल के महत्व का हवाला देते हुए शून्यकाल में अपने मुद्दे उठाने को कहा, लेकिन कांग्रेस विधायक नारेबाजी करते रहे। कांग्रेस विधायक नारेबाजी करते हुए सदन के वेल में आ गए और विधानसभा के नियमों के अनुसार उन्हें स्वतः ही निलंबित कर दिया गया।
सूत्रों ने बताया कि भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल के भिलाई स्थित परिसरों, चैतन्य बघेल के कथित करीबी सहयोगी लक्ष्मी नारायण बंसल उर्फ पप्पू बंसल और कुछ अन्य के परिसरों पर भी मनी लॉन्ड्रिंग के प्रावधानों के तहत छापेमारी की जा रही है। चैतन्य बघेल अपने पिता के साथ भिलाई में रहते हैं। इसलिए परिसरों की तलाशी ली जा रही है। उन्होंने बताया कि उन (चैतन्य बघेल) पर शराब घोटाले की आय का प्राप्तकर्ता होने का संदेह है। उन्होंने बताया कि राज्य में करीब 14-15 परिसरों पर छापेमारी की जा रही है।

