
रायगढ़। नगर निगम चुनाव में कांच का गिलास छाप में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में उतरे रायगढ़ के पहले महापौर जेठूराम मनहर ने इस बार चुनावी माहौल में जबरदस्त हलचल मचा दी है। भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी लड़ाई की परंपरागत धारणा को चुनौती देते हुए, उन्होंने खुद को एक मजबूत विकल्प के रूप में पेश किया है। बतौर पहले महापौर, उन्होंने अपने प्रभावशाली कार्यकाल से जनता के बीच जो विश्वास अर्जित किया था, वही अब उनके पक्ष में माहौल बना रहा है। राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा जोरों पर है कि क्या रायगढ़ की जनता इस बार एक नया इतिहास रचने जा रही है?
जेठूराम का जनसंपर्क बना चर्चा का केंद्र
जेठूराम मनहर का जनसंपर्क अभियान रायगढ़ में एक नई चुनावी धारा बहा रहा है। उनकी रणनीति पारंपरिक राजनीति से हटकर सीधे जनता से संवाद पर केंद्रित है, जो उन्हें अन्य प्रत्याशियों से अलग बनाती है। वह लगातार वार्डों में घूमकर लोगों से मिल रहे हैं, उनकी समस्याएँ सुन रहे हैं और शहर के विकास को लेकर अपनी योजनाएँ साझा कर रहे हैं। खास बात यह है कि जहाँ भी वे पहुँच रहे हैं, जनता का अपार समर्थन मिल रहा है। युवाओं में उनके प्रति जबरदस्त उत्साह है, महिलाएँ उनके विज़न पर भरोसा जता रही हैं, और बुजुर्ग उन्हें एक अनुभवी नेतृत्वकर्ता के रूप में देख रहे हैं, जिसने पहले भी शहर को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया था। जेठूराम मनहर की बढ़ती लोकप्रियता यह संकेत दे रही है कि रायगढ़ की जनता उन्हें सिर्फ एक प्रत्याशी के रूप में नहीं, बल्कि एक ऐसे नेता के रूप में देख रही है, जो शहर की मूलभूत जरूरतों को समझता है और ठोस बदलाव लाने की क्षमता रखता है।
“रायगढ़ को समर्पित हूँ, विकास ही मेरा लक्ष्य” – जेठूराम मनहर
जेठूराम मनहर को रायगढ़ का नेतृत्व करने का अनुभव पहले से है। बतौर पहले महापौर, उन्होंने कई प्रभावी योजनाओं को मूर्त रूप दिया और शहर के बुनियादी ढांचे को मजबूत किया। उनका मानना है कि विकास किसी पार्टी विशेष से नहीं, बल्कि इच्छाशक्ति और ईमानदारी से होता है।जनता से संवाद के दौरान उन्होंने स्पष्ट कहा, “रायगढ़ मेरी कर्मभूमि है और इसका विकास ही मेरी प्राथमिकता रही है। मैं राजनीति को सेवा का माध्यम मानता हूं और जनता के समर्थन से इस शहर को नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हूं। महापौर के रूप में पहले भी मैंने जनता की सेवा की, और अब फिर से आपका आशीर्वाद लेकर बेहतर रायगढ़ बनाना चाहता हूं। यह चुनाव किसी दल की जीत-हार से ज्यादा, रायगढ़ के भविष्य का सवाल है।”
भाजपा और कांग्रेस की बढ़ी चिंता, समीकरण बदलने के संकेत!
जेठूराम मनहर की बढ़ती लोकप्रियता ने भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों की चिंता बढ़ा दी है। दोनों ही दल अपने-अपने प्रत्याशियों को जिताने के लिए रणनीतियाँ बना रहे हैं, लेकिन जनता के बीच जिस तरह मनहर की मजबूत पकड़ दिख रही है, उसने सियासी हलकों में हलचल पैदा कर दी है। विश्लेषकों का मानना है कि अगर यही लहर जारी रही, तो इस चुनाव में एक बड़ा उलटफेर तय है।
क्या रायगढ़ की जनता फिर रचेगी इतिहास?
रायगढ़ की जनता ने पहले भी बदलाव का इतिहास लिखा है, और इस बार के चुनावी संकेत भी कुछ वैसा ही परिदृश्य बना रहे हैं। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या जनता का यह उत्साह वोटों में तब्दील होगा? अगर मौजूदा माहौल चुनावी नतीजों तक बरकरार रहा, तो रायगढ़ एक बार फिर इतिहास रच सकता है। यह चुनाव अब किसी पार्टी विशेष का नहीं, बल्कि रायगढ़ के नेतृत्व के लिए सबसे योग्य व्यक्ति के चयन का बन चुका है। देखना दिलचस्प होगा कि जनता शहर की बागडोर किसके हाथों में सौंपती है, लेकिन इतना तय है कि इस चुनाव में जेठूराम मनहर सबसे प्रभावशाली उम्मीदवार के रूप में उभर चुके हैं!

