खरसियावासियों के लिए रेलवे क्रासिंग बनी समस्या, स्कूली बच्चों एवं एंबुलेंस को होती है सबसे ज्यादा परेशानी, एक साल पहले हो चुका है खरसिया आरओबी का टेंडर

खरसिया। नगर की सबसे बड़ी समस्या रेलवे क्रॉसिंग जिसे लेकर राजनीतिक पार्टियों संजीदा नहीं है। चुनाव आता है जब राजनीतिक दलों द्वारा जोर-शोर से इस मुद्दे को उठाते हुए शीघ्र ही इसका निराकरण करने का आश्वासन आम जनता को दिया जाता है परंतु चुनाव खत्म हो जाने के बाद आम जनता की सुधि लेने वाला कोई नहीं होता। खरसिया नगर वासियों को घंटे रेलवे क्रॉसिंग में जाम का शिकार होना पड़ता है। सीरियस पेशेंट को ले जा रही एम्बुलेंस, बच्चों की स्कूली बस एवं अपने साधनों से स्कूल जा रहे बच्चे तथा अपनी नौकरी और काम धंधे पर जा रहे व्यक्ति रेलवे क्रॉसिंग बंद होने से सबसे ज्यादा हताश निराश और परेशानी का शिकार होते हैं। अभी हाल ही में रेलवे क्रॉसिंग बंद होने की वजह से एक व्यक्ति की अकाल मृत्यु हो चुकी है। अभी इस वक्त जब यह न्यूज़ बनाई जा रही है तब भी पिछले एक घंटे से ज्यादा समय से एंबुलेंस जाम में फंसी हुई है जिसमें एक सीरियस पेशेंट है जिसे रायगढ़ रेफर किया गया है। रेलवे क्रॉसिंग दो बार खुलकर बंद हो चुका है। इसे देखते हुए समाचार के माध्यम से पत्रकार कैलाश शर्मा द्वारा शासन प्रशासन और सरकार को जगाने का यह प्रयास किया जा रहा है ताकि रेलवे क्रॉसिंग का कार्य शीघ्र प्रारंभ हो सके।

बताते चलें कि खरसिया नगर दो हिस्सों में बंटा हुआ है आधा हिस्सा खरसिया शहर और आधा हिस्सा शीतला नगर है जहां सभी सरकारी कार्यालय एवं न्यायालय तहसील स्थित है एवं तीन से चार स्कूल भी है रेलवे क्रॉसिंग कभी-कभी तो घंटे भर तक भी बंद हो जाता है अक्सर माल गाडिय़ां रेलवे क्रॉसिंग पर ही खड़ी हो जाती हैं। रेलवे क्रॉसिंग पर प्रशासन की व्यवस्था नहीं होने की वजह से फाटक खुलने के बाद भी लोगों की जल्दबाजी एवं अपनी दिशा छोडक़र दूसरी दिशा में वाहनों के घुसा देने की वजह से भी जाम लगा रहता है। तब तक फाटक एक बार फिर से बंद हो चुका होता है। प्रशासन द्वारा भी इस पर कड़ाई किए जाने की आवश्यकता है। खरसिया रेलवे क्रॉसिंग का टेंडर होने को करीब एक साल होने जा रहा है। अभी तक विभाग ने मंजूरी ही नहीं दी है, ताकि एग्रीमेंट हो सके। इस वजह से खरसिया के लोग फाटक बंद होने की परेशानी से जूझ रहे हैं। एक ओर रेलवे मानव रहित रेलवे क्रॉसिंग बनाने की दिशा में काम कर रही है। इसके लिए जरूरी है कि शहरों के बीच में स्थित रेलवे फाटक बंद हो जाएं और आरओबी का निर्माण हो। आरओबी नहीं बनने की वजह से लोगों को रेल लाइन पार करने के लिए ट्रेन के गुजरने का इंतजार करना पड़ता है।

खरसिया में रेलवे फाटक की मांग कई सालों से लोग कर रहे हैं। जनवरी 2021 में राज्य सरकार ने इसकी स्वीकृति की घोषणा की थी। सर्वे के बाद मार्च 2021 में ही प्रपोजल इंजीनियर इन चीफ को भेजा गया था। आरओबी निर्माण में राज्य और केंद्र सरकार बराबर राशि खर्च करेंगे। दो बार इसका टेंडर कैंसल हुआ। तीसरी बार में जयपुर की भारत स्पन कंपनी ने ठेका लिया है। 14 सितंबर 2022 को आरओबी के लिए भूमिपूजन भी किया जा चुका है। इसके लिए 64.95 करोड़ मंजूर किए गए थे। ठेका कंपनी ने कम दर में टेंडर करीब 59 करोड़ में पाया है। टेंडर हुए करीब एक साल होने वाले हैं। अभी तक इसका एग्रीमेंट नहीं हो सका है। बताया जा रहा है कि फंड की कमी के कारण स्वीकृति रोकी गई है। स्वीकृति के लिए जो काम लटकाए जाते हैं, उनके समय पर पूरा होने की संभावना भी बहुत कम होती है। खरसिया आरओबी का जब टेंडर हुआ तो रॉ मटेरियल की कीमतें कम थीं। अब कीमतें बढ़ चुकी हैं। एक साल में हालात भी अलग हो गए हैं। खरसिया के लोगों को अब भी वैसी ही परेशानी से दो चार होना पड़ रहा है।