रायगढ़ की बेटी और जांबाज पुलिस अधिकारी एडीशनल एसपी निमिषा पाण्डेय ने हाल ही में एक ऐसी बहादुरी का उदाहरण प्रस्तुत किया है, जो सभी महिला पुलिसकर्मियों के लिए प्रेरणादायक है। उन्हें हाल ही में एसडीओपी के पद से प्रमोट कर बस्तर में एडीशनल एसपी के रूप में तैनात किया गया था। इस दौरान बलरामपुर में एक विशेष ड्यूटी पर उनकी तैनाती की गई। जब निमिषा पाण्डेय बलरामपुर में ड्यूटी के लिए पहुंचीं, तो उनका स्वागत फूलों से नहीं, बल्कि ईंट-पत्थरों, चप्पलों और आक्रोशपूर्ण हिंसा से किया गया। उग्र भीड़ ने उन पर हमला कर दिया, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने अपने कर्तव्य का निर्वहन करते हुए स्थिति को नियंत्रित करने का हर संभव प्रयास किया।
इस घटना का वीडियो दर्शाता है कि निमिषा पाण्डेय ने कानून और खाकी की गरिमा को बनाए रखते हुए किस प्रकार की निष्ठा दिखाई। कठिन परिस्थितियों में उनके साहस ने यह साबित कर दिया कि कानून का सम्मान और कर्तव्य-पालन सर्वोपरि है। निमिषा पाण्डेय जैसी अधिकारियों पर समाज को गर्व होना चाहिए, जो विषम परिस्थितियों में भी कर्तव्य की राह पर दृढ़ता से आगे बढ़ती हैं। उग्र भीड़ के सामने खड़े होकर हिम्मत दिखाना अच्छे-अच्छो के बस की बात नहीं है लेकिन निमिषा पाण्डेय ने इसे बखूबी निभाया। उन्हें काफी चोट भी लगी है उनके साथ भीड़ ने गलत किया। वो गिरी पड़ी लेकिन फिर उठी और अपने कर्तव्य पथ पर फिर से डट गई।
बलरामपुर में जो हुआ गलत हुआ। मृतक के परिजनों के प्रति मेरी संवेदना है लेकिन इस प्रकार उग्र होकर पुलिसकर्मियों पर हमला करने से क्या न्याय मिल जाएगा? जी नहीं। कानून हाथ में लेने का अधिकार किसी को भी नहीं है। घटना का वीडियो जैसे ही मैंने देखा तो मुझे बहुत तकलीफ हुई। मुझसे रहा नहीं गया। मैंने उनसे फोन में बात की तो उन्होंने हंसते-हंसते जवाब दिया कि भाई मैं ठीक हूं चिंता मत कर। मुझे कुछ नहीं होगा। उनके मुस्कुराते हुए शब्दों ने मुझे कॉन्फिडेंस दिया और तभी मुझे लगा कि निमिषा पाण्डेय एक ब्रेव लेडी ऑफिसर है।