त्योहारों के दौरान तेज आवाज वाले लाउड स्पीकर से बढ़ते पलूशन को देखते हुए छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने लगाम लगाने के लिए कलेक्टर समेत मजिस्ट्रेट को हलफनामा जमा करने के आदेश दिए हैं।
ध्वनी प्रदूषण को लेकर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने जिला कलेक्टर और मजिस्ट्रेट से व्यक्तिगत हलफनामा (पर्सनल एफीडेबिट) जमा करने को कहा है। यह आदेश राज्य सरकार द्वारा हाईकोर्ट को दिए गए आश्वासन के बाद आया है, जिसमें राज्य ने ध्वनी प्रदूषण पर प्रभावी ढंग से लगाम लगाने और इसके खिलाफ सख्त एक्शन लेने की बात कही थी। मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और बिभू दत्त की खंडपीठ ने ना केवल ध्वनी प्रदूषण को लेकर चिंता जाहिर की है, बल्कि लेज़र और बीम लाइट से होने वाली समस्याओं के लिए भी चिंता जाहिर की हैं।
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में ध्वनी प्रदूषण के नियंत्रण को लेकर सुनवाई चल रही थी। इसमें एडवोकेट जनरल प्रफुल एन भरत के साथ डिप्टी एडवोकेट जनरल शशांक ठाकुर राज्य की तरफ से जवाब दे रहे थे। ये दोनों लोग ध्वनी प्रदूषण को लेकर जमा किए गए आवेदनों पर सरकार का पक्ष रख रहे थे।
एडवोकेट जनरल लोगों द्वारा उठाई गई चिंताओं का जवाब दे रहे थे। इन चिंताओं में राज्य द्वारा त्योहारों के दौरान ध्वनी प्रदूषण को रोकने में असमर्थता का जिक्र करते हुए गाड़ियों पर बंधे तेज आवाज में बजते डीजे साउंड का जिक्र किया गया है, क्योंकि इससे बहुत ज्यादा पलूशन होता है। इस पर एजी ने कहा कि राज्य ने ऐसे पलूशन फैलाने वालों के खिलाफ एक्शन लिया है। साथ ही अदालत को ध्वनी प्रदूषण फैलाने वाले इस तरह के डीजे और साउंड पर और अधिक लगाम लगाने का आश्वासन दिया है।
डीजे पर बजने वाले तेज म्यूजिक सिस्टम और हाई बीम वाली लेजर लाइट के लोगों पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों का भी जिक्र किया गया है। इस पर एडवोकेट जनरल ने कहा कि डीजे के साथ इस तरह की लेजर लाइट का इस्तेमाल करना छत्तीसगढ़ में पहले से ही बैन है। साथ ही राज्य ने इसका उल्लंघन करने वालों पर जुर्माना भी लगाने का प्रावधान बनाया हुआ है। नियमों का बार-बार उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए उनकी गाड़ी और साउंड सिस्टम को सीज करने का प्रावधान बनाया गया है।