यह चिंता की बात, 5 साल बाद भी पूरी नहीं हुई जांच; SC ने किस मामले पर ED को लगाई फटकार

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सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इस बात पर चिंता जाहिर की कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने छत्तीसगढ़ में सार्वजनिक वितरण प्रणाली में भ्रष्टाचार से संबंधित 2015 के नागरिक आपूर्ति निगम (एनएएन) घोटाले को लेकर 2019 में दर्ज केस में अबतक जांच पूरी नहीं की है। कोर्ट ने एनएएन के तत्कालीन मैनेजिंग डायरेक्टर अनिल टुटेजा और तत्कालीन चेयरमैन आलोक शुक्ला को अग्रिम जमानत देने के छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली ईडी की अपील पर सुनवाई करते हुए चिंता जताई।

कोर्ट ने कहा कि केस दर्ज होने के बाद पांच साल का समय बीत चुका है और अभी तक कोई अंतिम जांच रिपोर्ट नहीं आई है। जस्टिस एएस ओका और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा, ‘क्या यह चिंता करने वाली बात नहीं है कि 2019 की ईसीआईआर (प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट) में पांच साल तक जांच पूरी नहीं हुई है।’

वहीं ईडी की ओर से पेश हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कोर्ट को सूचित किया कि एजेंसी को यह दिखाने वाली मैटेरियल (सामग्री) मिले हैं कि कैसे दो पूर्व आईएएस अधिकारियों ने 14 अगस्त, 2020 को हाईकोर्ट से मिली जमानत का दुरुपयोग किया था। उन्होंने कोर्ट को दाखिल एक सीलबंद लिफाफे पर भरोसा करने की मांग की, जो घोटाले के संबंध में संवैधानिक पदाधिकारियों के बीच की कुछ बातचीत के कनेक्शन को लेकर है।

अदालत ने मामले को दो हफ्ते के लिए स्थगित कर दिया। कोर्ट ने एजेंसी को हलफनामा दाखिल करने के लिए और समय दिया। अब मामले की अगली सुनवाई 2 अगस्त को होगी। राज्य सरकार की तरफ से कोर्ट में पेश हुए वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी और एडवोकेट रवि शर्मा ने सीलबंद लिफाफे में कार्यवाही पर आपत्ति जताई। जेठमलानी ने कहा, ‘हमें सभी दस्तावेज दिए जाने चाहिए।’ उन्होंने कहा कि ज्यादातर दस्तावेज पहले से ही पब्लिक डोमेन में हैं और गंभीर प्रकृति के हैं।

क्या है मामला

फरवरी 2015 में राज्य के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो/आर्थिक अपराध शाखा (एसीबी/ईओडब्ल्यू) द्वारा टुटेजा और शुक्ला सहित 27 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किए जाने के बाद ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की जांच शुरू की। दोनों पर भ्रष्टाचार और आपराधिक साजिश का आरोप लगाया गया क्योंकि जांच के दौरान पता चला कि मई 2014 से फरवरी 2015 के बीच एनएएन में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने करोड़ों रुपये की अवैध संपत्ति अर्जित की थी। यह भी आरोप लगाया कि इस अवधि के दौरान, दोनों ने अवैध रूप से धन इकट्ठा करने का सिस्टम बनाया। सभी जिलों में तैनात एनएएन अधिकारियों और क्वालिटी इंस्पेक्टर्स ने मिलरों से खराब गुणवत्ता वाले चावल की खरीद के लिए रिश्वत ली।