‘सुरेश लगातार आठ बार के सांसद नहीं है’…प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति पर जारी विवाद के बीच किरेन रिजिजू ने किया दावा

नई दिल्ली:

Protem Speaker Controversy: देश में फिलहाल लोकसभा के प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति पर घमासान मचा हुआ है. विपक्ष नियुक्ति पर आपत्ति जता रहा है. इन विवादों के बीच, संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने विपक्ष पर निशाना साधा. उन्होंने कांग्रेस पर राजनीतिकरण का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि प्रोटेम स्पीकर के चयन में परंपराओं का पालन किया गया है. मुझे शर्म आती है, कांग्रेस इस तरह की बयानबाजी कर रही है. बता दें, एक दिन पहले ही राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने लोकसभा सांसद भृतहरि महताब को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया है. महताब सात बार के सांसद है.  

रिजिजू ने शुक्रवार को दावा करते हुए कहा कि सुरेश आठ बार के सांसद है लेकिन 1998 और 2004 में वह लोकसभा के सदस्य नहीं थे. इस हिसाब से सुरेश लगातार आठ बार के सांसद नहीं हुए. ‘सुरेश दलित हैं, इस वजह से क्या सुरेश को नजरअंदाज किया गया’ कांग्रेस के इस आरोप के सवाल पर रिजिजू ने कहा कि आपको लगता है ऐसी बयानबाजी जायज है. उन्होंने कांग्रेस नेताओं पर झूठे और भ्रामक बयान देने के आरोप लगाए. 

कांग्रेस ने लगाए यह आरोप
एक दिन पहले, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने नियुक्ति पर सवाल उठाए थे. उन्होंने एक्स पर कहा था कि परंपरा के अनुसार, जिस सांसद का कार्यकाल सबसे अधिक है, उसे यह पद दिया जाता है. इस हिसाब से कांग्रेस के कोडिकुुन्निल सुरेश और भाजपा के वीरेंद्र कुमार सबसे वरिष्ठ हैं. दोनों नेता अपना आठवां कार्यकाल पूरा कर रहे हैं. उनका कहना है कि मुझे उम्मीद थी कि सुरेश लोकसभा के प्रोटेम स्पीकर बनेंगे लेकिन सात बार के सांसद महताब को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया गया.

जानें कौन हैं सांसद भर्तृहरि महताब
बता दें कि प्रोटेम स्पीकर बने भर्तृहरि महताब ओडिशा की कटक लोकसभा सीट से सांसद हैं वह इस सीट से लगातार सात बार चुनाव जीतकर संसद पहुंचे हैं. वह पहले बीजू जनता दल में थे लेकिन लोकसभा चुनाव से ठीक पहले उन्होंने पार्टी की स्थाई सदस्यता से इस्तीफा दिया. उसके बाद वह बीजेपी में शामिल हो गए. इसके बाद उन्होंने इस बार भी लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की. 

क्यों होती है प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति?
दरअसल, प्रोटेम स्पीकर संसद का अस्थाई अध्यक्ष होता है. जिसकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है. राष्ट्रपति प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति उस स्थिति में करता है जब संसद संसद के नियमित स्पीकर का चुनाव न हुआ हो. इसीलिए प्रोटेम स्पीकर का काम संसद के निर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाना है. इसके अलावा प्रोटेम स्पीकर नए स्पीकर के चुनाव की प्रक्रिया का भी संचालन करता है. जैसे ही संसद के नए स्पीकर की नियुक्ति होती है वैसे ही प्रोटेम स्पीकर की जिम्मेदारियां समाप्त हो जाती हैं.