नई दिल्ली:
Baba Ramdev: सुप्रीम कोर्ट से योग गुरु बाबा रामदेव को एक और झटका लगा है. इस बार सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव के पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट को योग शिविर लगाने के लिए सर्विस टैक्स चुकाने का आदेश दिया है. शीर्ष कोर्ट अपीलीय न्यायाधिकरण के उस फैसले को बरकरार रखा है, जिसमें ट्रस्ट को योग शिविरों के आयोजन के लिए प्रवेश शुल्क लेने पर सेवा कर का भुगतान करने को कहा गया था. जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क और सेवा कर अपीलीय न्यायाधिकरण (CESTAT) की इलाहाबाद पीठ के 5 अक्टूबर, 2023 को आए फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया.
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इसी के साथ पीठ ने ट्रस्ट की अपील को खारिज कर दिया और कहा कि, “न्यायाधिकरण ने ठीक ही कहा है कि शुल्क वाले शिविरों में योग करना एक सेवा है. हमें इस आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं मिला. अपील खारिज की जाती है.” बता दें कि इससे पहले अक्टूबर 2023 में सीईएसटीएटी ने अपने आदेश में कहा था कि पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट की तरफ से आयोजित आवासीय एवं गैर-आवासीय योग शिविरों में शामिल होने के लिए शुल्क लिया जाता है, इसलिए यह ‘स्वास्थ्य और फिटनेस सेवा’ की श्रेणी में आता है और इस पर सेवा कर यानी सर्विस टैक्स लगेगा.
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‘सर्विस के दायरे में आती है योग कैंप के लिए ली गई फीस’
जानकारी के मुताबिक, योग गुरु रामदेव और उनके सहयोगी आचार्य बालकृष्ण के अधीन काम करने वाला ये ट्रस्ट विभिन्न शिविरों में योग प्रशिक्षण प्रदान करने का काम करता है. न्यायाधिकरण ने पिछले साल अक्टूबर में अपने आदेश में कहा था कि प्रतिभागियों से दान के रूप में योग शिविरों के लिए शुल्क लिया गया था. हालांकि यह राशि दान के रूप में ली गई थी. लेकिन यह उक्त सेवाएं प्रदान करने के लिए शुल्क ही था. इसलिए यह शुल्क की परिभाषा के तहत ही आता है.
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कितना देना होगा टैक्स
बता दें कि सीमा शुल्क और केंद्रीय उत्पाद शुल्क, मेरठ रेंज के आयुक्त ने मांग की थी कि पतंजलि योग ट्रस्ट अक्टूबर, 2006 से मार्च, 2011 के बीच लगाए गए ऐसे शिविरों के लिए 4.5 करोड़ रुपये चुकाए. इसमें जुर्माना, ब्याज और सेवा कर भी शामिल था. इसके जवाब में ट्रस्ट ने दलील दी थी कि वह ऐसी सेवाएं प्रदान कर रहा है जो बीमारियों के इलाज के लिए हैं. ट्रस्ट ने कहा था कि ये सेवाएं स्वास्थ्य और फिटनेस सेवा के तहत कर-योग्य नहीं हैं.