खरसिया : भगवान का भजन ही सार है, बांकी सब बेकार है – पंडित दीपककृष्ण महाराज

खरसिया, 15 फरवरी। खरसिया के ग्राम दर्रामुड़ा में पटैल परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के द्वितीय दिवस – 14 फरवरी बुधवार को परीक्षित जन्म व विदुर मैत्री की कथा का वाचन किया। जीवन जीना सीखना है तो श्री रामायण से सीखो और मरना सीखना है तो भागवत गीता से सीखो। त्रिवेणी संगम में गंगा, जमुना, सरस्वती का मिलन होता है। मिलन में गंगा जमुना तो दिखाई देती हैं लेकिन सरस्वती को कोई नहीं देख पाता, सरस्वती को देखने के लिए कई बार प्रयास करने पड़ते हैं लेकिन सफलता नहीं मिलती।

इसी तरह गीता में विज्ञान, वैराग्य और भक्ति है, लेकिन विज्ञान और वैराग्य तो दिखाई देता है लेकिन भक्ति नहीं दिखाई देती, भक्ति को देखने के लिए लीन होना पड़ता है। यह वचन कथा व्यास पं. दीपककृष्ण महाराज ने पटैल परिवार द्वारा आयोजित ग्राम दर्रामुड़ा में चल रही सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा के दौरान दिए। इसके अलावा व्यास नारद संवाद परीक्षित जन्म वक्ता के दस लक्षण, रसिका भूवि भाविका, कुंती चरित्र, विदुर मैत्री प्रसंग की कथा श्रवण कराई।












ग्राम दर्रामुड़ा में पटैल परिवार द्वारा आयोजित सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन 12 फरवरी से 20 फरवरी तक आयोजित किया गया है। कथा के दूसरे दिन 14 फरवरी बुधवार को कथा व्यास पं. दीपक कृष्ण महाराज ने द्वितीय दिवस ज्ञान भक्ति वैराग्य की कथा श्रवण करते हुए मोक्ष प्राप्ति की कथा श्रवण कराई। साथ ही व्यास नारद संवाद, परीक्षित जन्म, वस्ता के दस लक्षण, रसिका भूवि भाविका, कुन्ती चरित्र सहित विदुर मैत्री प्रसंग की कथा श्रवण कराई।


कथा व्यास महाराज ने बताया कि हमेशा मधुर मीठा बोलो, वाणी के सुर सुधार लो, जिस तरह कौवा दिन भर कांय कांय करता है लेकिन कोई नहीं सुनता लेकिन जब कोयल बोलती है तो सब ध्यान से सुनते हैं इसी लिए कोयल बनो कौवा नहीं। जीव का कल्याण भगवत भजन से होगा क्योंकि जीव का जन्म प्रभु की भक्ति के लिए हुआ है, प्रभु का भजन जो जीव नहीं करता है पशु के समान होता है। अगर कल्याण चाहते हैं तो जन्म मरण के चक्कर से बचना चाहते हैं तो हरी भजों, भगवान का भजन ही सार है बांकी सब बेकार है। इसके अलावा कथा वाचक पं.दीपक कृष्ण महाराज जी ने कई प्रसंग सुनाए।