राजनीतिक कारणों से की जा रहीं आपत्तिजनक टिप्पणियां, उपराष्ट्रपति धनखड़ का अशोक गहलोत पर कटाक्ष

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का नाम लिए बिना उन्हें सलाह दी है। धनखड़ ने कहा कि ‘उच्च पदों पर बैठे लोगों का आचरण भी वैसा ही होना चाहिए।’ गहलोत उपराष्ट्रपति की कांग्रेस शासित राज्य राजस्थान की लगातार यात्रा पर सवाल उठाते रहे हैं। यहां जल्द ही विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। राजस्थान के नीमराणा में एक चुनाव अभियान के दौरान, गहलोत ने उपराष्ट्रपति की पांच जिलों की यात्रा पर आपत्ति जताई थी। उन्होंने कहा था कि चुनाव नजदीक है और इस यात्रा से “सभी प्रकार के संदेश जाएंगे, जो लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है।”

अब उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार को कहा कि राजनीतिक कारणों से संवैधानिक संस्थाओं के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां की जा रही हैं जो गंभीर चिंता का विषय है। नालंदा विश्वविद्यालय में एक खुले सत्र में विद्यार्थियों और संकाय सदस्यों को संबोधित करते हुए धनखड़ ने कहा कि संवैधानिक संस्थाओं के विरुद्ध कोई भी टिप्पणी भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के खिलाफ है। उन्होंने कहा, ‘‘ राजनीतिक बढ़त हासिल करने के लिए हमें संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों को राजनीतिक चश्मे से नहीं देखना चाहिए। संवैधानिक संस्थाएं कुछ राजनीतिक कारणों से आपत्तिजनक टिप्पणियों का सामना कर रही हैं। यह गंभीर चिंता का विषय है। संवैधानिक संस्थानों की पवित्रता का सम्मान करना चाहिए।”

उपराष्ट्रपति ने कहा, “मैं लोगों से कहना चाहता हूं कि जब संवैधानिक संस्थाओं की बात आती है तो सबको जिम्मेदारी से व्यवहार करना चाहिए। संवैधानिक संस्थाओं के विरुद्ध कोई भी टिप्पणी भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के खिलाफ है।” धनखड़ ने कहा कि एक दशक पहले भारत को विश्व की ‘पांच कमज़ोर’ अर्थव्यवस्थाओं में रखा जाता था, लेकिन अब देश दुनिया की ‘पांच बड़ी’ अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है और “यह छोटी उपलब्धि नहीं है।” उन्होंने यह भी कहा कि अफ्रीकी संघ के लिए जी20 की सदस्यता हासिल करना भारत के लिए बड़ी कामयाबी है। धनखधड़ ने कहा, “ यह स्वतंत्रता, मानवाधिकार, विश्व की एकता, वैश्विक शांति और सद्भाव के लिए बड़ी उपलब्धि है।”

उपराष्ट्रपति ने कहा कि नालंदा अपने ज्ञान और शिक्षा के अनूठे ब्रांड की वजह से दुनिया भर में जाना जाता है। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा, “नालंदा का इतिहास और इसकी समृद्ध विरासत इसे दुनिया में पहचान दिलाती है। आपको इस विरासत को उच्चतर स्तर पर ले जाना है। भारत में अब एक ‘ईकोसिस्टम’ उभरा है जो आपको आपकी ऊर्जा, प्रतिभा और क्षमताओं का पूरी तरह से इस्तेमाल करने और सपने साकार करने की इजाजत देता है।”

धनखड़ ने कहा, “ जिज्ञासु बनें , भले ही आप नालंदा को छोड़ दें लेकिन कभी भी सीखना बंद मत कीजिएगा। दूसरों के विचारों का सदैव सम्मान करें। मेरा अनुभव कहता है कि कभी-कभी दूसरे का दृष्टिकोण सही होता है।” उन्होंने कहा कि शिक्षा से ज्ञान, सहनशीलता और मानव जाति के प्रति सम्मान की भावना पैदा होती है। धनखड़ ने कहा, “ शिक्षा आपके ज्ञान का विस्तार करती है, जिससे आप गांव, राज्य या राष्ट्र के बारे में नहीं सोचते, बल्कि विश्व स्तर पर सोचते हैं।”

उपराष्ट्रपति ने अपनी पत्नी सुदेश धनखड़ के संग विश्वविद्यालय परिसर में एक पौधा भी लगाया। राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार, नालंदा के सांसद कौशलेन्द्र कुमार और कुलपति अभय कुमार सिंह ने परिसर पहुंचने पर उनका स्वागत किया। नालंदा की यात्रा पर आने से पहले धनखड़ ने अपनी पत्नी के साथ गया के विष्णुपद मंदिर में अपने पूर्वजों की आत्मा को मोक्ष दिलाने के लिए पिंड दान किया।

(इनपुट एजेंसी)