शिक्षा के मंदिर में घोर लापरवाही! कक्षा 5वीं के तीन मासूम बच्चों का भविष्य रौंदा, नवोदय परीक्षा से किया वंचित

खरसिया। जिस विद्यालय को बच्चों का भविष्य गढ़ने का मंदिर कहा जाता है, वहीं यदि शिक्षक ही लापरवाही और भेदभाव पर उतर आएं तो मासूम बच्चों का भविष्य कैसे सुरक्षित रह सकता है? खरसिया तहसील अंतर्गत ग्राम देहजरी पंचायत के शासकीय प्राथमिक शाला देहजरी से सामने आया मामला शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करता है।

विद्यालय की शिक्षिका आशा सारथी एवं प्रधान पाठक खलखो पर कक्षा 5वीं के तीन होनहार विद्यार्थियों के भविष्य के साथ खुला खिलवाड़ करने का आरोप लगा है। जानकारी के अनुसार 13 दिसंबर, शनिवार को नवोदय विद्यालय प्रवेश परीक्षा आयोजित की गई थी, जिसके लिए इन बच्चों को विशेष रूप से तैयार किया जा रहा था। लेकिन परीक्षा के ठीक पहले शिक्षक–शिक्षिका की लापरवाही ने बच्चों के सपनों पर पानी फेर दिया।

आरोप है कि एक छात्र को जानबूझकर प्रवेश पत्र ही नहीं दिया गया, जबकि दो अन्य छात्रों को यह महत्वपूर्ण जानकारी नहीं दी गई कि परीक्षा केंद्र पर प्रवेश पत्र के साथ आधार कार्ड ले जाना अनिवार्य है। हैरानी की बात यह है कि विद्यालय के अन्य विद्यार्थियों को न सिर्फ प्रवेश पत्र दिए गए, बल्कि उन्हें सभी आवश्यक निर्देश भी स्पष्ट रूप से समझाए गए। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर इन तीन बच्चों के साथ ही ऐसा अन्याय क्यों किया गया?

परीक्षा केंद्र पहुंचने पर आधार कार्ड नहीं होने के कारण दो बच्चों को वापस लौटा दिया गया, जबकि एक छात्र प्रवेश पत्र के अभाव में परीक्षा से बाहर ही रह गया। यह घटना न सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही है, बल्कि मासूम बच्चों के भविष्य पर सीधा हमला भी है।अभिभावकों का कहना है कि यदि शिक्षक समय रहते जिम्मेदारी निभाते, तो उनके बच्चे भी आज नवोदय विद्यालय में प्रवेश की दौड़ में शामिल होते। ग्रामीणों में भी इस घटना को लेकर भारी आक्रोश है और शिक्षा विभाग के खिलाफ नाराजगी देखी जा रही है।

इस गंभीर मामले की तत्काल जांच कर दोषी शिक्षक–शिक्षिका पर सख्त कार्रवाई की जाए। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाए कि भविष्य में किसी भी बच्चे का सपना किसी शिक्षक की लापरवाही की भेंट न चढ़े।