कोटवारी भूमि की बिक्री पर उठे गंभीर सवाल, पटवारी पर सरकारी नियमों से छल का आरोप, क्या जांच की आंच आला अधिकारियों तक पहुँचेगी?

रायगढ़। रायगढ़ तहसील के अंतर्गत ग्राम पंचायत परसदा में पदस्थ पटवारी अनिल की कार्यप्रणाली पर गंभीर आरोप लगे हैं। सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार, जब से अनिल की पदस्थापना परसदा में हुई है, तब से गाँव में ज़मीन के कई कथित फर्जीवाड़े सामने आए हैं, जिसमें सबसे गंभीर मामला कोटवारी भूमि की अवैध बिक्री से जुड़ा है। पटवारी पर आरोप है कि उन्होंने कथित तौर पर अपने निजी स्वार्थ के लिए शासकीय कोटवारी भूमि को ‘अग्रवाल बंधुओं’ के नाम पर बेचने की साजिश रची और इस जमीन का बिक्री नकल जारी कर दिया। यह कृत्य इसलिए भी गंभीर है क्योंकि कोटवारी भूमि हस्तांतरणीय (न बेची जाने योग्य) होती है, और नियमतः ऐसी भूमि की बिक्री नकल जारी करना सीधे तौर पर सरकारी नियमों का उल्लंघन है।

शासकीय रिकॉर्ड में ‘धोखाधड़ी’ के संकेत

सबसे बड़ा सवाल राजस्व नियमों की अनदेखी पर है। किसी भी भूमि का बिक्री नकल जारी करते समय टिप्पणी (रिमार्क) में उसकी प्रकृति (शासकीय, कोटवारी या निजी) का स्पष्ट उल्लेख करना अनिवार्य होता है। आरोप है कि पटवारी ने जानबूझकर कोटवारी भूमि को निजी भूमि बताकर शासन के साथ छल किया। इसी गलत आधार पर उक्त ज़मीन की रजिस्ट्री भी करवा दी गई।

अधिकारियों की भूमिका पर संदेह?

मामले की गंभीरता को देखते हुए यह आशंका गहरा रही है कि इस बड़े फर्जीवाड़े में अकेले पटवारी की संलिप्तता नहीं हो सकती। सूत्र बताते हैं कि पटवारी द्वारा किए गए ऐसे कथित कारनामों में राजस्व विभाग के कुछ उच्च अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध है। यही कारण है कि इस संवेदनशील मामले पर त्वरित और निष्पक्ष कार्रवाई करने से अधिकारी वर्ग ‘संकोच’ कर रहा है। ऐसी चर्चा है कि यदि इस मामले की ईमानदारी से जाँच की गई, तो पहले पटवारी और फिर उससे उच्च पद पर बैठे अधिकारी भी जांच के दायरे में आ सकते हैं। अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि पटवारी स्वयं यह सोच रहा है कि ‘अगर मैं फँसा, तो अधिकारियों को भी साथ ले डूबूंगा,’ जो इस बात का स्पष्ट संकेत देता है कि इस बड़ी गड़बड़ी में उच्च-स्तरीय सहमति की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

क्या मामला दबाने की कोशिश हो रही है?

फिलहाल, इस पूरे प्रकरण को दबाने के भरपूर प्रयास किए जाने की खबरें हैं। अब देखना यह है कि प्रशासन कब इस गंभीर मामले का संज्ञान लेता है और पटवारी पर अपेक्षित कार्रवाई करता है, या फिर उच्च अधिकारियों की कथित मिलीभगत के चलते यह मामला भी ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा। प्रशासन की चुप्पी कई अनसुलझे सवालों को जन्म दे रही है।

Shource – Capital Chhattisgarh