खरसिया में मानवता की मिसाल : घायल गौमाता और नवजात बछिया को मिली नई ज़िंदगी, गौसेवकों की सेवा से बची दोनों की जान

खरसिया। तमनार क्षेत्र के मुख्य चौक पर बीते सात दिनों से एक घायल गौमाता सड़क किनारे तड़पती पड़ी थी। बारिश हो या धूप — मां वहीं बेसहारा हालत में थी। जानकारी के अनुसार, गौमाता को एक डंपर ने बुरी तरह घायल कर दिया था, जिससे उसका कुल्हा (हिप बोन) टूट गया था। इस दौरान तमनार के समाजसेवी गोपाल गुप्ता ने लगातार सात दिनों तक उनका उपचार करवाया। छठे दिन पशु चिकित्सक की मदद से गौमाता ने एक स्वस्थ बछिया को जन्म दिया। लेकिन मां स्वयं खड़ी नहीं हो पा रही थी, जिससे बछिया को दूध पिलाने में दिक्कतें आने लगीं।

स्थिति की गंभीरता को समझते हुए खरसिया के गौसेवक राकेश केशरवानी ने सोशल मीडिया के माध्यम से घटना पर नज़र रखी और तुरंत गोपाल गुप्ता से संपर्क किया। उन्होंने आग्रह किया कि दोनों जच्चा-बच्चा को खरसिया गौधाम भेजा जाए, जहां मशीन के सहारे उचित सेवा-संभार किया जा सके। तमनारवासियों के सहयोग से गौमाता और बछिया को खरसिया गौधाम लाया गया। यहां गौसेवकों ने मशीन की मदद से गौमाता को खड़ा किया और बछिया को पहली बार दूध पिलाया गया। यह दृश्य देख वहां मौजूद हर व्यक्ति की आंखें नम हो गईं, और मन गर्व व करुणा से भर गया।

फिलहाल दोनों — मां और बछिया — खरसिया गौधाम में सुरक्षित हैं, और निरंतर देखभाल की जा रही है। यह घटना मानवता और करुणा की एक ऐसी मिसाल बन गई है, जो समाज को यह संदेश देती है कि सेवा केवल इंसानों की नहीं, बल्कि मूक प्राणियों की भी की जानी चाहिए।