
- खरसिया की तुरेकेला आदिम जाति सेवा सहकारी समिति में विवादित नियुक्ति से सहकारिता विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल
खरसिया। खरसिया विकासखंड के तुरेकेला आदिम जाति सेवा सहकारी समिति मर्या. में प्रबंधक पद की नई नियुक्ति ने सहकारिता विभाग की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। कुछ माह पहले इसी समिति में करोड़ों रुपये के धान घोटाले का मामला सामने आया था। अब उसी घोटाले के आरोपी के बेटे को समिति का नया प्रबंधक बना दिया गया है। ग्रामीणों और समिति सदस्यों ने इसे नियमों की खुली अवहेलना बताते हुए कहा कि “यह नियुक्ति प्रभावशाली लोगों को संरक्षण देने और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का प्रतीक है।”
धान घोटाले से डूबी थी समिति
सूत्रों के अनुसार, वर्ष 2024-25 की धान खरीदी के दौरान समिति के तत्कालीन प्रबंधक तिहारु राम जायसवाल पर गंभीर अनियमितताओं के आरोप लगे थे। जांच में पाया गया कि समिति से 22,389 बोरी (8955.55 क्विंटल) धान कम पाया गया, जिससे करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ। साथ ही 9,867 नग नए बारदाने और 6,376 नग मिलर्स के पुराने बारदाने अधिक पाए गए।इन गड़बड़ियों की पुष्टि के बाद तिहारु राम जायसवाल को तत्काल पद से हटाया गया और थाना खरसिया में अपराध दर्ज कराया गया।
अब आरोपी का बेटा प्रबंधक पद पर
आश्चर्यजनक रूप से, उसी तिहारु राम जायसवाल के पुत्र डमरु जायसवाल को अब समिति का नया प्रबंधक बना दिया गया है। ग्रामीणों का आरोप है कि सेवा सहकारी संस्थाओं के नियमों का उल्लंघन करते हुए यह नियुक्ति की गई है।डमरु जायसवाल के पास अनुभव और पात्रता की भी कमी बताई जा रही है।
ग्रामीणों ने कहा — जिस व्यक्ति ने संस्था को करोड़ों के नुकसान में डुबोया, उसके बेटे को उसी कुर्सी पर बैठाना जनता की आंखों में धूल झोंकने जैसा है।”
भाजयुमो अध्यक्ष ने की शिकायत – ‘कानूनी और नैतिक रूप से गलत नियुक्ति’
इस विवादित नियुक्ति को लेकर भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) के अध्यक्ष रविंद्र जीवन गबेल ने अनुविभागीय अधिकारी खरसिया को ज्ञापन सौंपा है। ज्ञापन की प्रतिलिपि कलेक्टर रायगढ़, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, वित्त मंत्री ओ.पी. चौधरी और प्रभारी मंत्री रामविचार नेताम को भी भेजी गई है।
गबेल ने कहा कि — जब तक पूर्व प्रबंधक द्वारा की गई गबन राशि की वसूली नहीं हो जाती, तब तक उनके परिजन को किसी भी पद पर नियुक्त करना कानून और नैतिकता दोनों के खिलाफ है।”
ग्रामीणों में आक्रोश – ‘किसकी शह पर हो रही है यह नियुक्ति?’
ग्रामीणों ने सवाल उठाया कि जब विभाग के पास घोटाले की रिपोर्ट और एफआईआर मौजूद है, तब ऐसे व्यक्ति के पुत्र को संवेदनशील पद पर क्यों बैठाया गया? उन्होंने चेतावनी दी कि यदि नियुक्ति निरस्त नहीं की गई, तो वे सड़क पर उतरकर आंदोलन करेंगे।ग्रामीणों और भाजयुमो पदाधिकारियों ने मांग की है कि तुरेकेला समिति की नियुक्ति की उच्चस्तरीय जांच कर जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए।
चपले समिति में भी दोहराई गई गड़बड़ी
सूत्रों का कहना है कि चपले समिति में भी विभागीय अधिकारियों की “महरबानी” से भ्रष्टाचारियों को दोबारा मौका दिया गया है। लोगों ने कहा कि यदि शासन सच में भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त है, तो ऐसी सभी विवादित नियुक्तियों को तुरंत रद्द कर पारदर्शिता का उदाहरण पेश करे।




