
रायगढ़। छत्तीसगढ़ में इस सितंबर महीने में आए बिजली के बिलों ने प्रदेश की सियासत और आम जनता के बीच भूचाल ला दिया है। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार की लोकप्रिय ‘बिजली बिल हाफ योजना’ में की गई कटौती और बिजली की दरों में अप्रत्याशित वृद्धि से उपभोक्ता खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। इसी ज्वलंत मुद्दे पर, खरसिया के विधायक और छत्तीसगढ़ के पूर्व मंत्री उमेश पटेल ने अपने ऑफिशियल सोशल मीडिया पेज से एक पोस्ट कर भाजपा सरकार को सीधे निशाने पर लिया है, जिसके बाद चर्चाएं गर्म हैं।
उमेश पटेल का पोस्ट वायरल
जनता की बढ़ती आर्थिक परेशानी को आवाज देते हुए, उमेश पटेल ने अपनी पोस्ट में सीधा हमला किया:
“याद आ रही है जनता को ‘कांग्रेस की सरकार’ कांग्रेस ने किया था जनता का बिजली बिल हॉफ, भाजपा ने दिया जनता को डबल बिजली बिल का श्राप…”
पटेल ने स्पष्ट किया है कि भाजपा सरकार ने चुनावी घोषणापत्र में राहत देने की बात कही थी, लेकिन अगस्त महीने में योजना को सीमित करके और दरें बढ़ाकर जनता को ‘दोहरी मार’ या ‘डबल बिजली बिल का श्राप’ दिया है। उनकी इस पोस्ट ने जनता की नब्ज़ पकड़ ली है और यह तेज़ी से वायरल हो रही है।
क्यों मचा है बवाल?
बिल में अप्रत्याशित वृद्धि से हैरान-परेशान जनता में भारी आक्रोश है। यह मुद्दा सीधा आम नागरिक के जेब से जुड़ा है:
- हाफ योजना की बलि: कांग्रेस सरकार के समय 400 यूनिट तक बिजली बिल आधा होता था। भाजपा सरकार ने अगस्त में इसे घटाकर केवल 100 यूनिट कर दिया। इसका सीधा असर मध्यमवर्गीय परिवारों पर पड़ा, जो अब पूरी दर पर बिल भर रहे हैं।
- दोगुनी मार: योजना में कटौती के साथ ही बिजली की कीमतों में भी इज़ाफ़ा किया गया, जिससे कई उपभोक्ताओं के बिल दोगुने या उससे भी अधिक आ रहे हैं।
- स्मार्ट मीटर का संदेह: कई क्षेत्रों में यह भी आरोप लग रहे हैं कि नए स्मार्ट मीटर लगाए जाने के बाद से बिलों में अनावश्यक वृद्धि हो रही है।
आम पब्लिक का कहना है कि उन्हें चुनावी वादों के नाम पर धोखा दिया गया है।
एक उपभोक्ता ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “भाजपा ने कहा था कि राहत मिलेगी, लेकिन यह तो ज़बरदस्त झटका है। हमें लगता है कि सरकार ने हमें छला है।”
बिजली बिल की यह समस्या अब केवल प्रशासनिक मुद्दा नहीं, बल्कि एक बड़ा जन-आंदोलन बनने की दिशा में बढ़ रही है। पूर्व मंत्री उमेश पटेल ने इस मुद्दे को पुरजोर तरीके से उठाकर विपक्ष की ओर से सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है।

अब देखना यह है कि पब्लिक का इस मुद्दे क्या रिएक्शन होता है या फिर वह शोषित होकर चुपचाप बिजली बिल का भुगतान करते रहती है।

