खरसिया में अवैध रेत कारोबार का बोलबाला, जिम्मेदारों की चुप्पी से ग्रामीण परेशान

खरसिया। क्षेत्र में अवैध रेत खनन और परिवहन का कारोबार तेज़ी से फैल रहा है। खरसिया तहसील के ग्राम काफरमार, बरभौना, कूकरीचोली, तेंदुमुड़ी, पामगढ़ और मुरा जैसे गांवों में यह धंधा खुलेआम चल रहा है। रोज़ाना नए-पुराने ट्रैक्टरों से बड़ी मात्रा में रेत का परिवहन किया जा रहा है, जिससे गांवों में ट्रैक्टरों की संख्या अप्रत्याशित रूप से बढ़ गई है।

ग्रामीणों का कहना है कि कारोबारियों का नेटवर्क इतना मज़बूत हो चुका है कि वे बिना किसी भय के दिन-रात काम कर रहे हैं। सवाल यह उठता है कि इतने बड़े पैमाने पर चल रहे कारोबार के पीछे आखिर संरक्षण किसका है—नेताओं का या प्रशासनिक अधिकारियों का? ग्रामीण मानते हैं कि बिना राजनीतिक या प्रशासनिक छत्रछाया के यह संभव ही नहीं।

प्रशासन की कार्रवाई अधिकतर सड़कों पर खड़े ट्रैक्टरों को पकड़ने तक ही सीमित रहती है, जबकि रेत घाटों पर निगरानी बेहद कम है। यही वजह है कि कारोबारी बिना रोक-टोक घाटों से रेत निकालकर ले जा रहे हैं।

इस धंधे से जहां कुछ लोगों को तुरंत मुनाफा मिल रहा है, वहीं आम ग्रामीणों के लिए परेशानियाँ बढ़ गई हैं। ट्रैक्टरों की अधिक आवाजाही से आए दिन जाम और दुर्घटनाओं की स्थिति बन रही है। कई बार बच्चों और ग्रामीणों की जान जोखिम में पड़ती है। अवैध खनन से पर्यावरण को भी गंभीर नुकसान हो रहा है।

ग्रामीणों का साफ कहना है कि केवल सड़क पर ट्रैक्टर पकड़ने से समस्या का समाधान नहीं होगा। जब तक रेत घाटों पर सीधी कार्रवाई नहीं होगी, तब तक यह कारोबार थमेगा नहीं। लोग सवाल उठा रहे हैं कि आखिर प्रशासन खामोश क्यों है और अब तक कठोर कार्रवाई क्यों नहीं हुई।

खरसिया में अवैध रेत कारोबार न केवल कानून व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न खड़ा कर रहा है बल्कि शासन-प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाता है।