जिला प्रशासन की अभिनव पहल सामुदायिक मध्यस्थता:अब ग्राम स्तर पर ही सुलझेंगे आपसी विवाद

  • पटवारी-सरपंच-सचिव और कोटवारों को दिया गया विशेष प्रशिक्षण
  • सामुदायिक मध्यस्थता से सुलझेंगे विवाद, बनेगी विवाद रहित ग्राम पंचायत: कलेक्टर श्री मयंक चतुर्वेदी
  • मध्यस्थता सामाजिक समरसता को देगी नई ऊंचाई-सीईओ जिला पंचायत श्री जितेन्द्र यादव
  • मध्यस्थता का अर्थ है दोनों पक्षों को स्वीकार्य समाधान-हमीदा सिद्दकी
  • सामुदायिक मध्यस्थता हेतु नगर निगम ऑडिटोरियम रायगढ़ में एक दिवसीय प्रशिक्षण आयोजित

रायगढ़, 13 सितम्बर 2025/  ग्राम स्तर पर उत्पन्न होने वाले छोटे-छोटे विवाद, जो प्राय: न्यायालय और थाने तक पहुँच जाते हैं, अब गाँव में ही आपसी सुलह-सहमति से सुलझाए जा सकेंगे। इस दिशा में जिला प्रशासन ने एक अभिनव पहल करते हुए ‘सामुदायिक मध्यस्थता’ को बढ़ावा देने की शुरुआत की है। इसके अंतर्गत ग्राम पंचायत स्तर पर कार्यरत पटवारी, सरपंच, सचिव और कोटवारों को मध्यस्थता के कानूनी प्रावधानों और व्यावहारिक पहलुओं का विशेष प्रशिक्षण दिया गया। यह प्रशिक्षण नगर निगम ऑडिटोरियम रायगढ़ में दो पालियों में सम्पन्न हुआ। पहली पाली में धरमजयगढ़, लैलूंगा व तमनार विकासखंड और दूसरी पाली में रायगढ़, पुसौर, खरसिया व घरघोड़ा ब्लॉक के पटवारियों, सरपंचों, पंचायत सचिवों और कोटवारों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया।

प्रशिक्षण का शुभारंभ राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के छायाचित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन कर किया गया। इस अवसर पर उच्च न्यायालय बिलासपुर की मध्यस्थ अधिवक्ता हमीदा सिद्दीकी, कलेक्टर श्री मयंक चतुर्वेदी, जिला पंचायत सीईओ श्री जितेंद्र यादव, अपर कलेक्टर श्री अपूर्व प्रियेश टोप्पो, श्री रवि राही, डॉ.प्रियंका वर्मा, एसडीएम घरघोड़ा श्री दुर्गा प्रसाद अधिकारी, एसडीएम रायगढ़ श्री महेश शर्मा, एसडीएम लैलूंगा श्री भरत कौशिक, एसडीएम धरमजयगढ़ श्री प्रवीण भगत, डीएसपी साईबर श्री अनिल विश्वकर्मा, डीएसपी ट्रेफिक श्री उत्तम प्रताप सिंह, जनपद पंचायतों के सीईओ, तहसीलदार और नायब तहसीलदार, सीजीआईएएम के अधिवक्ता रूपक विजय पांडे, जैद खान और विवेकानन्द मौजूद रहे।

प्रशिक्षण सत्र को संबोधित करते हुए कलेक्टर श्री मयंक चतुर्वेदी ने कहा कि इस पहल से गाँव स्तर पर आपसी भाईचारा और सद्भाव और बेहतर होगा। समय और धन की बचत होगी। विवाद न्यायालय और थाने तक पहुँचने से पहले ही हल हो जाएँगे। ग्राम पंचायतें ‘विवाद रहित पंचायत’ के रूप में स्थापित होंगी। उन्होंने प्रशिक्षणार्थियों से कहा कि आप लोगों के पास पहले से ही समाज का विश्वास और अधिकार है। अब यह पहल आपको एक औपचारिक जिम्मेदारी भी दे रही है। गाँवों में आपसी विवाद यदि स्थानीय स्तर पर ही सुलझ जाएँ तो न्यायालय और पुलिस दोनों पर बोझ घटेगा। इसलिए इसे गंभीरता से समझें और व्यवहार में लागू करें।

जिला पंचायत सीईओ श्री जितेंद्र यादव ने कहा कि आगामी 2 अक्टूबर को ग्राम सभाओं में अविवादित नामांतरण, बँटवारा, अतिक्रमण और पंचायत शक्तियों पर चर्चा की जाएगी। साथ ही प्रत्येक पंचायत में मध्यस्थता पैनल का चयन कर इस व्यवस्था को आगे बढ़ाई जाएगी। रायगढ़ जिला प्रशासन की सामुदायिक मध्यस्थता की पहल न केवल ग्राम स्तर पर विवादों का समाधान करेगी, बल्कि न्यायिक व्यवस्था में बोझ कम कर, सामाजिक समरसता को भी नई ऊँचाइयों तक ले जाएगी।

उच्च न्यायालय बिलासपुर की मध्यस्थ अधिवक्ता हमीदा सिद्दीकी ने कहा कि मध्यस्थता आज की आवश्यकता है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी स्वयं चाहते थे कि लोग अपने विवाद आपसी बातचीत से सुलझाएँ, न कि अदालत जाएँ। मध्यस्थता का अर्थ है दो पक्षों के बीच तटस्थ तीसरे व्यक्ति की सहायता से सहमति कराना है। मध्यस्थता की प्रक्रिया में कोई भी व्यक्ति हारता या जीतता नहीं है, बल्कि दोनों पक्ष मिलकर एक ऐसा समाधान निकालते हैं जो दोनों के लिए स्वीकार्य हो। यह प्रक्रिया पूरी तरह गोपनीय होती है और एक बार समझौता हो जाने पर उसे एक कानूनी समझौते के रूप में लिखा जाता है।

मध्यस्थता में अपील नहीं होती, निर्णय गोपनीय और अंतिम माना जाता है। पारंपरिक पंचायत व्यवस्था की तरह ही, आज भी गाँवों में आपसी सुलह की परंपरा को पुनर्जीवित करने की जरूरत है। उन्होंने व्यावहारिक उदाहरणों, केस स्टडी और डेमो के माध्यम से बताया कि किस प्रकार भूमि संबंधी विवाद, घरेलू कलह और छोटे स्तर के आपसी झगड़े मध्यस्थता के जरिए त्वरित और स्थायी समाधान पा सकते हैं। उन्होंने ‘पंच परमेश्वर’ की पुरानी भारतीय अवधारणा को बताते हुए कहा कि जहाँ बुजुर्ग लोग गाँवों में बैठकर विवादों को सुलझाते थे। मध्यस्थता इसी परंपरा का आधुनिक और कानूनी रूप है।