नलवा स्पेशल स्टील को 25 लाख रुपए मुद्रांक शुल्क चुकाने का आदेश, प्लांट के अंदर भूमि की रजिस्ट्री, औद्योगिक निर्माण होने की वजह से बढ़ी वैल्यू, वैल्यूएशन को कृषि भूमि के रूप में दिखाया!

रायगढ़। छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले से एक सनसनीखेज खुलासा सामने आया है, जो औद्योगिक क्षेत्र में भूमि सौदों की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े करता है। नलवा स्टील एंड पावर लिमिटेड ने अपने तराईमाल प्लांट परिसर की जमीन को नई कंपनी नलवा स्पेशल स्टील लिमिटेड को बेचा, लेकिन वैल्युएशन को कृषि भूमि के रूप में दिखाकर करोड़ों रुपये की स्टैंप ड्यूटी बचाने की कोशिश की। स्थल निरीक्षण ने इस खेल की पोल खोल दी, जहां जमीन पर भारी-भरकम औद्योगिक निर्माण, टिन शेड, मशीनरी और अन्य संरचनाएं पहले से मौजूद थीं। इस अनियमितता के चलते, कलेक्टर ऑफ स्टाम्प्स ने नलवा स्पेशल स्टील लिमिटेड को 25,13,062 रुपये की अतिरिक्त मुद्रांक शुल्क जमा करने का आदेश दिया है। यह मामला न केवल कंपनी की कार्यप्रणाली को कटघरे में खड़ा करता है, बल्कि देशभर में औद्योगिक भूमि अधिग्रहण और उपयोग में हो रही चोरी-छिपे की गतिविधियों को उजागर करता है।

नियमों की अनदेखी और चुपके की खरीद

उद्योग स्थापित करने के लिए कंपनियां सामान्य रूप से राज्य सरकार के साथ एमओयू (मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग) साइन करती हैं। इसके बाद उद्योग विभाग और एसडीएम के माध्यम से भू-अर्जन की प्रक्रिया पूरी होती है। छत्तीसगढ़ स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (सीएसआईडीसी) जरूरत के हिसाब से कंपनियों को लीज पर जमीन उपलब्ध कराती है। लेकिन कई कंपनियां इस औपचारिक प्रक्रिया को दरकिनार कर अपने कर्मचारियों या अन्य व्यक्तियों के नाम पर सैकड़ों एकड़ जमीन चुपके से खरीद लेती हैं। ऐसी जमीनों का कोई रिकॉर्ड उद्योग विभाग के पास नहीं होता, जिससे स्टैंप ड्यूटी, लैंड यूज कन्वर्जन और टैक्स में भारी चोरी होती है। यह प्रथा पूरे देश में राजस्व हानि का एक बड़ा कारण बन रही है, और रायगढ़ का यह मामला इसकी एक बानगी है।

तराईमाल प्लांट में क्या हुआ?

नलवा स्टील एंड पावर लिमिटेड के तराईमाल परिसर में खसरा नंबर 141/5/घ/1, कुल रकबा 15.5970 हेक्टेयर, रामदुलार गुप्ता के नाम पर दर्ज है, जो नलवा स्पंज आयरन प्राइवेट लिमिटेड तराईमाल की ओर से खरीदी गई थी। इसके अलावा, 13 अन्य खसरा नंबरों की जमीनें भी रामदुलार गुप्ता के नाम पर हैं। जांच में सामने आया कि इन सभी जमीनों का उपयोग औद्योगिक प्रयोजन के लिए किया जा रहा है, जबकि इन्हें कृषि भूमि के रूप में रजिस्टर्ड दिखाया गया। इस खसरे से 2.400 हेक्टेयर जमीन को नलवा स्टील एंड पावर लिमिटेड के डायरेक्टर सरदार सिंह राठी ने नलवा स्पेशल स्टील लिमिटेड के डायरेक्टर मुकेश डालमिया को बेचा। रजिस्ट्री में जमीन की वैल्यु 4,15,70,500 रुपये आंकी गई, जिस पर 27,43,653 रुपये का मुद्रांक शुल्क जमा किया गया। लेकिन उप पंजीयक घरघोड़ा ने स्थल निरीक्षण के बाद इस सौदे की सच्चाई उजागर की और प्रकरण को जिला पंजीयक को भेजा। कलेक्टर ऑफ स्टाम्प्स ने प्रकरण दर्ज कर जमीन और उस पर मौजूद निर्माणों का पुन: आंकलन किया। निरीक्षण में पाया गया कि जमीन पर कई औद्योगिक संरचनाएं और मशीनरी मौजूद हैं, जिसके आधार पर कुल मूल्यांकन 7,96,47,112 रुपये निकला। इससे देय मुद्रांक शुल्क 52,56,715 रुपये बनता है, और नलवा स्पेशल स्टील लिमिटेड को 25,13,062 रुपये अतिरिक्त जमा करने का आदेश दिया गया।

स्थल निरीक्षण की चौंकाने वाली रिपोर्ट

उप पंजीयक के स्थल निरीक्षण में खुलासा हुआ कि कुल 16 हेक्टेयर की जमीन में से बेची गई 2.400 हेक्टेयर पर बिना डायवर्सन (भूमि उपयोग परिवर्तन) के औद्योगिक उपयोग हो रहा था। निरीक्षण में निम्नलिखित निर्माण और सुविधाएं सामने आईं:

  • टिन शेड: 3840 वर्ग मीटर
  • प्रसाधन कक्ष: 300 वर्ग फुट
  • फर्श आउटर: 29374 वर्ग फुट
  • फर्श अंदर: 41319 वर्ग फुट
  • वे ब्रिज कक्ष: 216 वर्ग फुट
  • बाउंड्रीवॉल: 403 रनिंग मीटर
  • अन्य: सीसी रोड, लैंड सॉइल फिलिंग, लिफ्ट मशीन आदि

इन निर्माणों के आधार पर जमीन का मूल्य औद्योगिक उपयोग के हिसाब से 4,01,04,000 रुपये और निर्मित संरचना व मशीनरी का मूल्य 3,95,43,112 रुपये आंका गया। जांच में साफ हुआ कि जमीन औद्योगिक उपयोग के लिए ही खरीदी गई थी, लेकिन डायवर्सन प्रक्रिया पूरी नहीं की गई, जो भारतीय स्टैंप एक्ट, 1899 और छत्तीसगढ़ के भूमि नियमों का खुला उल्लंघन है।

जांच की मांग

यह सनसनीखेज खुलासा प्लांट की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है। यह मामला केवल रायगढ़ तक सीमित नहीं है, बल्कि देशभर में औद्योगिक कंपनियों द्वारा भूमि अधिग्रहण और उपयोग में हो रही अनियमितताओं को दर्शाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी प्रथाएं राजस्व हानि के साथ-साथ स्थानीय किसानों और पर्यावरण को भी प्रभावित करती हैं। भारतीय स्टैंप एक्ट के तहत स्टैंप ड्यूटी चोरी एक गंभीर अपराध है, और इस मामले में केंद्र व राज्य सरकारों से सख्त जांच की मांग उठ रही है।सूत्रों के अनुसार, रायगढ़ प्रशासन अब जिले में अन्य कंपनियों के भूमि रिकॉर्ड्स की जांच शुरू करने की तैयारी में है। यह खबर न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे देश के औद्योगिक क्षेत्र में भूचाल ला सकती है।

न्यूज सोर्स – केलो प्रवाह