खरसिया के कोंहारडीपा स्कूल में तालाबंदी : बच्चों और अभिभावकों के आंदोलन के बीच विधायक उमेश पटेल बने मसीहा

रायगढ़, 21 जुलाई 2025। रायगढ़ जिले के खरसिया विकासखण्ड के ग्राम कोंहारडीपा में आज सुबह 9 बजे से प्राथमिक स्कूल के बच्चों और अभिभावकों ने तालाबंदी कर एक जोरदार आंदोलन शुरू किया। यह आंदोलन शिक्षक युक्तियुक्तकरण नीति के तहत प्रिय शिक्षक दिनेश कुमार राठिया के स्थानांतरण के विरोध में था। ग्रामीणों और बच्चों की एकमात्र मांग थी कि शिक्षक दिनेश कुमार राठिया को स्कूल में यथावत रखा जाए, ताकि बच्चों की पढ़ाई पर कोई असर न पड़े। इस आंदोलन ने पूरे क्षेत्र में हलचल मचा दी थी, लेकिन खरसिया विधायक उमेश पटेल की त्वरित पहल और संवेदनशीलता ने इस मामले को सुलझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

बता दें की कोंहारडीपा प्राथमिक स्कूल में पहले तीन शिक्षक कार्यरत थे। अभिभावकों के अनुसार, एक शिक्षक को उनकी नशे की आदत के कारण हटाया गया, जिसके बाद स्कूल में केवल दो शिक्षक बचे। लेकिन हाल ही में लागू युक्तियुक्तकरण नीति के तहत शिक्षक दिनेश कुमार राठिया का स्थानांतरण कर दिया गया। इसके बाद स्कूल में केवल एक शिक्षक रह गया, जिससे अभिभावकों और बच्चों में यह डर पैदा हो गया कि पढ़ाई-लिखाई का स्तर प्रभावित होगा। उनका कहना था कि एक शिक्षक के साथ पूरे स्कूल का संचालन असंभव है, और इससे बच्चों का भविष्य खतरे में पड़ सकता है।

नाराज अभिभावकों और बच्चों ने इस मुद्दे को लेकर पहले रायगढ़ जिला कलेक्टर और शिक्षा विभाग को आवेदन दिया था, लेकिन कोई सुनवाई न होने पर उन्होंने स्कूल में तालाबंदी कर आंदोलन शुरू कर दिया। स्थानीय लोगों का कहना था, “हम अपने बच्चों के भविष्य के साथ कोई समझौता नहीं करेंगे। शिक्षक दिनेश कुमार राठिया को स्कूल में बनाए रखने की हमारी मांग पूरी होनी चाहिए।”

जैसे ही यह खबर खरसिया विधायक उमेश पटेल तक पहुंची, उन्होंने तुरंत कोंहारडीपा का रुख किया। उनकी मौजूदगी ने न केवल आंदोलनरत बच्चों और अभिभावकों को भरोसा दिलाया, बल्कि प्रशासन को भी त्वरित कार्रवाई के लिए प्रेरित किया। उनके साथ खरसिया एसडीएम, तहसीलदार, बीईओ और बीआरसी भी मौके पर पहुंचे। विधायक उमेश पटेल ने बच्चों और अभिभावकों की समस्याओं को गंभीरता से सुना और अधिकारियों के साथ घंटों चली बैठक में इस मुद्दे का हल निकालने की दिशा में काम किया।

लंबी चर्चा और विचार-विमर्श के बाद जिला शिक्षा अधिकारी के आश्वासन पर बीईओ ने लिखित रूप में यह आश्वासन दिया कि शिक्षक दिनेश कुमार राठिया को वर्तमान में प्राथमिक शाला गेरसा में प्रभार लेना होगा, लेकिन एक महीने बाद उन्हें फिर से कोंहारडीपा प्राथमिक स्कूल में प्रभार सौंपा जाएगा। इस समझौते के बाद अभिभावकों और बच्चों ने तालाबंदी समाप्त कर दी, और स्कूल का माहौल सामान्य हो गया।

इस पूरे घटनाक्रम में खरसिया विधायक उमेश पटेल की भूमिका अभूतपूर्व रही। जिस संवेदनशीलता और तत्परता के साथ उन्होंने इस मुद्दे को संभाला, उसने न केवल उनकी जनसेवा की भावना को उजागर किया, बल्कि यह भी दिखाया कि वे अपने क्षेत्र की जनता के प्रति कितने जवाबदेह हैं। बच्चों और अभिभावकों की चिंताओं को समझते हुए उन्होंने तुरंत कार्रवाई की और अधिकारियों के साथ मिलकर एक व्यवहारिक समाधान निकाला। उनकी इस पहल ने न केवल तनावपूर्ण स्थिति को शांत किया, बल्कि ग्रामीणों के बीच उनके प्रति विश्वास को और मजबूत किया।

आंदोलन समाप्त होने के बाद ग्रामीणों ने विधायक उमेश पटेल का आभार जताया। एक अभिभावक ने कहा, “उमेश जी ने हमारी बात सुनी और हमारे बच्चों के भविष्य के लिए तुरंत कदम उठाया। हम उनके आभारी हैं।” हालांकि, ग्रामीणों ने यह भी कहा कि वे प्रशासन से उम्मीद करते हैं कि भविष्य में ऐसी नीतियां लागू करने से पहले स्थानीय समुदाय की राय ली जाए।

इस घटना ने एक बार फिर शिक्षा व्यवस्था में शिक्षकों की कमी और युक्तियुक्तकरण नीति के दुष्प्रभावों को उजागर किया है। कोंहारडीपा के इस आंदोलन ने यह सवाल खड़ा किया है कि क्या ऐसी नीतियां बनाते समय ग्रामीण क्षेत्रों की विशेष परिस्थितियों पर विचार किया जाता है? विधायक उमेश पटेल की पहल ने भले ही इस मामले को फिलहाल सुलझा दिया हो, लेकिन यह मुद्दा शिक्षा विभाग और प्रशासन के लिए एक सबक है कि ऐसी नीतियां लागू करने से पहले स्थानीय समुदाय के साथ संवाद जरूरी है।

खरसिया के इस छोटे से गांव कोंहारडीपा ने अपने बच्चों के भविष्य के लिए एकजुट होकर जो मिसाल पेश की, उसमें विधायक उमेश पटेल की भूमिका एक प्रेरणा बनकर उभरी। उनके नेतृत्व में न केवल समस्या का समाधान हुआ, बल्कि यह भी साबित हुआ कि सच्चा जनप्रतिनिधि वही है जो जनता की पुकार पर तुरंत कदम उठाए।