
रायगढ़। नगर निगम चुनाव की तारीख जैसे-जैसे करीब आ रही है राजनीतिक सरगर्मियां और चर्चाओं का दौर भी चरम पर है। इस बार वार्ड 19 की तरह वार्ड क्रमांक 04 भी सुर्खियों में है, और इसकी सबसे बड़ी वजह हैं 27 वर्षीय युवा प्रत्याशी मयंक जेठूराम मनहर। एक सिविल इंजीनियर से राजनेता बनने की उनकी यह यात्रा न केवल रोचक है, बल्कि स्थानीय राजनीति में एक नई लहर भी लेकर आई है। स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे मयंक ने अपने विजन, कार्यशैली और जमीनी जुड़ाव से वार्ड में एक अलग पहचान बना ली है।
युवा जोश और नई सोच की राजनीति
मयंक मनहर सिर्फ एक राजनीतिक परिवार से आने वाले प्रत्याशी नहीं हैं, बल्कि एक शिक्षित, तकनीकी रूप से दक्ष और जनसमस्याओं के समाधान पर केंद्रित युवा चेहरा हैं। इस चुनाव में खास बात यह है कि जहां एक ओर जेठूराम मनहर स्वतंत्र रूप से महापौर पद के लिए मैदान में हैं, वहीं उनके बेटे मयंक वार्ड क्रमांक 4 से अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत कर रहे हैं। यही वजह है कि वे पारंपरिक राजनीति से अलग हटकर वार्डवासियों के सामने एक नया विकल्प पेश कर रहे हैं। उनकी चुनावी रणनीति अन्य प्रत्याशियों से काफी अलग है। वे सिर्फ वादे नहीं कर रहे, बल्कि जमीनी स्तर पर वार्ड के हर गली-मोहल्ले में जाकर लोगों से संवाद कर रहे हैं, उनकी समस्याओं को सुन रहे हैं और उनके समाधान के लिए व्यावहारिक और तकनीकी रूप से मजबूत योजनाएं तैयार कर रहे हैं।
मयंक दे रहे कड़ी चुनौती
वार्ड क्रमांक 4 कांग्रेस के लिए हमेशा से मजबूत गढ़ माना जाता रहा है। यहां से कांग्रेस ने अमृत काटजू को मैदान में उतारा है, जो पूर्व महापौर जानकी काटजू के पति हैं। वहीं भाजपा ने मनोहर राम कौशिक को टिकट दिया है। लेकिन मयंक मनहर की प्रभावशाली उम्मीदवारी ने चुनावी समीकरण पूरी तरह बदल दिए हैं। जहां पहले यह चुनाव सीधा कांग्रेस बनाम भाजपा माना जा रहा था, अब जनता के बीच चर्चा है कि असली मुकाबला कांग्रेस बनाम मयंक मनहर के बीच है। भाजपा इस चुनावी दौड़ में कहीं टिकती नजर नहीं आ रही। मयंक के लिए जनता का बढ़ता समर्थन और उनके प्रति वार्डवासियों की आस्था यह दर्शाती है कि यह चुनाव पारंपरिक राजनीति की सोच से अलग हटकर नए नेतृत्व के चुनाव की ओर बढ़ रहा है।
विकास पर केंद्रित दृष्टिकोण
मयंक मनहर चुनाव को सिर्फ एक राजनीतिक प्रतिस्पर्धा के रूप में नहीं देख रहे, बल्कि इसे वार्ड के विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण अवसर मान रहे हैं। उन्होंने अपने घोषणा पत्र में बेहतर सड़कें, आधुनिक जल निकासी व्यवस्था, स्वच्छता अभियान, नालों में रिटर्निंग वॉल, स्ट्रीट लाइट्स, पुलिया, ऑक्सीजोन, गार्डन, और युवाओं के लिए रोजगारपरक योजनाएं जैसे ठोस मुद्दे शामिल किए हैं। उनका स्पष्ट कहना है कि “राजनीति बदलाव का माध्यम होनी चाहिए, न कि केवल सत्ता प्राप्ति का साधन।” इसी सोच के साथ वे वार्डवासियों के सामने एक नए नेतृत्व का विकल्प रख रहे हैं। उनकी ईमानदारी, मेहनत और स्पष्ट दृष्टि ने जनता के बीच उनकी छवि को और भी मजबूत बना दिया है।
मयंक मनहर की ओर झुकाव क्यों?
वार्ड में जनता का मूड देखने पर यह साफ समझ आता है कि मयंक मनहर को लेकर एक अलग तरह का उत्साह है। जहां पारंपरिक प्रत्याशी वर्षों पुरानी राजनीतिक शैली के सहारे मैदान में हैं, वहीं मयंक जनता के साथ प्रत्यक्ष संवाद और अपने विजन के सहारे चुनाव लड़ रहे हैं। उनकी मासूमियत, युवा ऊर्जा, लोगों के साथ जुड़ने की कला और तकनीकी रूप से मजबूत सोच उन्हें अन्य प्रत्याशियों से अलग बनाती है। वार्ड की जनता को पहली बार ऐसा प्रत्याशी मिला है जो खुद सिविल इंजीनियर है, समस्याओं को तकनीकी रूप से समझता है और उनके व्यावहारिक समाधान प्रस्तुत करता है।
क्या मयंक रचेंगे इतिहास?
अब तक कांग्रेस इस वार्ड में मजबूत मानी जा रही थी, लेकिन मयंक की एंट्री ने समीकरण पूरी तरह बदल दिए हैं। वे न सिर्फ जनता से सीधा जुड़ाव बना रहे हैं, बल्कि राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार वे इस बार पारंपरिक दलों के लिए सबसे बड़ा चुनौतीपूर्ण चेहरा बनकर उभरे हैं। वार्ड में उनकी बढ़ती लोकप्रियता और लोगों का समर्थन देखकर यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि मयंक मनहर चुनाव जीतकर इतिहास रच सकते हैं। जनता ने जिस तरह से उन्हें हाथों-हाथ लिया है, उससे साफ संकेत मिलते हैं कि वार्ड की राजनीति में अब युवा नेतृत्व की लहर चल पड़ी है।
बहरहाल अब देखना यह होगा कि जनता इस युवा इंजीनियर पर कितना विश्वास जताती है और क्या मयंक इस विश्वास को जीत में तब्दील कर पाते हैं या नहीं यह भविष्य के गर्भ में है लेकिन एक बात तय है – इस बार वार्ड क्रमांक 04 का चुनाव सिर्फ एक मुकाबला नहीं, बल्कि बदलाव की शुरुआत बनने जा रहा है।









