राजनीति में बदलाव के लिए अच्छे लोग जरूरी: लीलाधर बानू खूंटे

रायगढ़। नगर निगम चुनाव में ऑटो रिक्शा चालक से महापौर पद के उम्मीदवार बने लीलाधर बानू खूंटे का चुनाव प्रचार जोर-शोर से जारी है। खासकर गरीब और निम्न वर्ग के बीच उन्हें व्यापक समर्थन मिल रहा है। दलित समाज से आने वाले बानू खूंटे खुद भी संघर्षों से गुजरे हैं। उनके पिता किसान थे और हेमाली का काम करते थे, जिससे उन्होंने गरीबी और आम जनता की तकलीफों को नजदीक से देखा और समझा है।प्रचार के दौरान उन्होंने जनता से अपील की कि जब तक राजनीति में ईमानदार लोग नहीं आएंगे, तब तक भ्रष्टाचार का बोलबाला बना रहेगा और विकास की उम्मीद बेमानी होगी। उन्होंने रायगढ़ की बदहाल व्यवस्थाओं की ओर इशारा करते हुए कहा कि शहर अव्यवस्थाओं का गढ़ बन चुका है।

ट्रैफिक जाम की समस्या इतनी विकराल है कि शनि मंदिर से सुभाष चौक, स्टेशन से सुभाष चौक और सुभाष चौक से केवड़ाबाड़ी की महज 1 किलोमीटर की दूरी तय करने में घंटों लग जाते हैं। वहीं, संजय मार्केट की हालत बद से बदतर हो चुकी है। वहां की गंदगी, बेतरतीब नालियां और अव्यवस्थित सब्जी बाजार देखकर यही सवाल उठता है कि इतने वर्षों में इसका समाधान क्यों नहीं निकला।

बानू खूंटे ने यह भी उजागर किया कि रायगढ़ दशकों से पर्यावरण और प्रदूषण की मार झेल रहा है। आसपास फैली दर्जनों फैक्ट्रियों और प्लांट्स से भारी मात्रा में गंदगी और जहरीली गैसों का उत्सर्जन होता है। इन फैक्ट्रियों से नगर निगम को पर्याप्त राजस्व मिल सकता है, लेकिन नेताओं की मिलीभगत के कारण इसका सही इस्तेमाल नहीं हो रहा। इसके विपरीत, शहर का संचालन गरीब तबके से तरह-तरह के टैक्स वसूलकर किया जा रहा है।

अपने विजन को स्पष्ट करते हुए लीलाधर बानू खूंटे ने ऐलान किया कि अगर वे महापौर चुने जाते हैं, तो गरीबों पर टैक्स का बोझ कम कर फैक्ट्रियों से उचित टैक्स वसूला जाएगा। साथ ही, उन्होंने यह भी प्रतिज्ञा ली कि वे अपने कार्यकाल में न तो कोई गाड़ी खरीदेंगे, न कोई जमीन, न सोना-चांदी, और न ही अन्य संपत्ति अर्जित करेंगे। उनका संकल्प है कि वे केवल अपने मानदेय से जीवनयापन करेंगे और स्वच्छ राजनीति की एक नई शुरुआत करेंगे। उन्होंने रायगढ़ को मेट्रो सिटी के तर्ज पर विकसित करने का वादा किया और जनता से समर्थन की अपील की।