कांग्रेस से जो पार्षद बनने की ‘कुव्वत’ नहीं रखते वो महापौर बनने को ‘आतुर’

रायगढ़। नगर निगम चुनाव की तारीख का अभी ऐलान भी नहीं हुआ है और महापौर की कुर्सी का मोह इस कदर हो गया है कि विपक्षी पार्टी होने के बावजूद महापौर बनने के लिए कांग्रेस में कई नाम सामने आने लगे हैं। 5 साल नगर निगम रायगढ़ में कांग्रेस की शहर सरकार रही लेकिन 2019 में जैसा रायगढ़ था वैसा ही रायगढ़ 2025 में भी है। बड़े बहुमत से कांग्रेस की सरकार नगर निगम में स्थापित हुई लेकिन 5 साल शहर का बैंड बजाने में कांग्रेस के पार्षद से लेकर महापौर ने कोई कसर नहीं छोड़ी है। अब जबकि 2025 के नगर निगम चुनाव की उलटी गिनती चल रही है तो ऐसे में कांग्रेस से ऐसे-ऐसे नाम महापौर पद के लिए सामने आ रहे हैं जो पार्षद बनने तक कि कुव्वत नहीं रखते हैं।

पांच साल जिस तरह कांग्रेस ने शहर का कबाड़ा किया है उसके बाद कांग्रेस के खिलाफ शहर में माहौल विरोध का ही पनप रहा है। प्रदेश में सरकार और नगर निगम में सरकार होने के बाद भी पांच साल गुटीय राजनीति में शहर को पांच साल पीछे धकेल दिया गया लेकिन अब जबकि फिर से चुनाव आने को है तो ऐसे में कांग्रेस के चेहरे किस मुंह से पब्लिक के बीच जाने को बेकरार है यह समझ से परे है। 5 साल तक रायगढ़ नगर निगम ने सबसे निष्क्रिय नगर सरकार देखा है जिनके कार्यकाल में केवल गुटीय राजनीति को हवा मिली और शहर विकास की बलि ले ली गई।

कभी एमआईसी में अपने पसंदीदा पार्षदों को रखने के लिए म्यान से तलवार बाहर आई तो कभी निगम के ठेकों को लेकर आपस में लकीरें खींच गई। जिस विश्वास से रायगढ़ शहर के लोगों ने 2019 में कांग्रेस को बहुमत दिया था उसके विपरीत 5 साल केवल स्वार्थपूर्ति के लिए कांग्रेस की शहर सरकार ने रायगढ़ नगर को न उठने दिया न आगे बढ़ने दिया। अब जबकि ऐसे में कांग्रेस के इस पांच साल का अतीत उसके वर्तमान पर भारी पड़ने जा रहा है तो ऐसे में आज कांग्रेस से महापौर की टिकट मांगने वाले अनजान चेहरों का क्या हश्र होगा, इसका आंकलन करना बेहद आसान है।