Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने करंट से हाथियों की मौत की घटनाओं पर स्वत: संज्ञान लेते हुए पूछा कि जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई। पूरी जानकारी के लिए पढ़ें यह रिपोर्ट…
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राज्य में करंट लगने से हाथियों और अन्य जंगली जानवरों की मौत की घटनाओं पर संज्ञान लेते हुए तीखे सवाल पूछे। अदालत ने ऊर्जा विभाग से सफाई मांगा और पूछा कि जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई। अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और जस्टिस बिभु दत्ता गुरु की डबल बेंच ने छत्तीसगढ़ के विभिन्न इलाकों में करंट से हाथियों और अन्य वन्य जीवों की मौत की घटनाओं पर स्वतः संज्ञान लिया है। अदालत जनहित याचिका के तौर पर मामले की सुनवाई कर रही है।
अदालत ने रायगढ़ जिले में एक बच्चे समेत 3 हाथियों की मौत की घटना पर छत्तीसगढ़ के ऊर्जा विभाग के सचिव और विद्युत वितरण कंपनी, रायपुर के प्रबंध निदेशक से जवाब मांगा है। अदालत ने पूछा है कि वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए क्या जरूरी सुधार किए गए हैं। ऐसी घटनाओं के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है। मामले की अगली सुनवाई 20 नवंबर को होगी।
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट से मिली जानकारी के अनुसार, पीठ ने सोमवार को इस मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए एक जनहित याचिका दर्ज करके सुनवाई की। विभिन्न न्यूज पेपर्स की रिपोर्टों में कहा गया है कि बीते दिनों रायगढ़ वन मंडल के चुहकीमार वन क्षेत्र में एक शावक समेत तीन मादा हाथियों की करंट लगने से मौत हो गई। अदालत ने कहा कि जब ये तीन हाथी 11 केवी के बिजली के तार के संपर्क में आए तो उनकी मौत हो गई। ये तार जमीन से बमुश्किल तीन-चार मीटर ऊपर लटके थे।
अदालत ने कहा कि यह स्पष्ट नियम है कि कृषि क्षेत्र और जंगल से गुजरने वाले बिजली के तार जमीन से कम से कम 7.5 मीटर ऊंचाई पर होने चाहिए और बिजली के खुले तारों की जगह इंसुलेटेड केबल का उपयोग किया जाना चाहिए। इसी दौरान रायपुर निवासी नितिन सिंघवी ने अपने वकील सूर्या कवलकर डांगी के माध्यम से एक आवेदन दाखिल कर बताया कि एक नवंबर 2024 को बिलासपुर वन मंडल के तखतपुर वन परिक्षेत्र में करंट लगने से हाथी के एक बच्चे की मौत हो गई थी।
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और जस्टिस बिभु दत्ता गुरु की डबल बेंच ने कहा कि साल 2001 के बाद से अब तक राज्य में 78 हाथियों की मौत हो चुकी है। इससे पहले 10 अक्टूबर को कांकेर में करंट लगने से तीन भालुओं की भी मौत हो गई थी। वहीं अक्टूबर महीने में ही वन्यजीवों के शिकार के लिए बिछाए गए बिजली के तारों की चपेट में आकर तीन लोगों की भी मौत हो चुकी है।